लोगों ने कहा सीएचसी ढकोली में ही होना चाहिए मनोरोग माहिर डाक्टर
सुखमण हॉस्पिटल, नशा छुड़ाऊ केंद्र बंद होने से नशा छोड़ने वाले मरीज हो रहे हैं परेशान
जीरकपुर / संदीप सिंह बावा: शहर में पटियाला रोड पर पिछले काफी समय से विवादों में चल रहे डॉक्टर अमित बंसल का सुखमण अस्पताल नामक नशा छुड़ाऊ केंद्र उच्च अधिकारियों के निर्देशों पर सील हो चुका है। इस अस्पताल के सील होने के बाद क्षेत्र में यहां से इलाज करवाने वाले मरीजों में हड़कंप मच गया है। आजकल शहर में नशा छोड़ने वाले मरीज इतने परेशान हो रहे हैं कि उन्हें कोई भी रास्ता दिखाई नहीं दे रहा जिस दिन सुखमण अस्पताल को सील करने के लिए अधिकारी वहां पर पहुंचे हुए थे उसे समय भी 20 से 30 मैरिज वहां पर चक्कर लगाते हुए देखे गए थे और बहुत से मरीज तो मौके पर मौजूद अधिकारियों के साथ बहस भी करते देखे गए थे क्योंकि उन्हें दवाई नहीं मिल रही थी। उसे समय अधिकारियों ने उन लोगों को समझने की कोशिश भी की थी कि अब यह अस्पताल बंद हो रहा है जिसके चलते आपके यहां से दवाई नहीं मिलेगी इसलिए आप लोगों को मोहाली के सेक्टर 66 में स्थित अस्पताल में जाकर अपनी आईडी बनवाकर आप किसी भी सरकारी अस्पताल अथवा सी एच सी ढकोली से अपनी दवाई मुफ्त ले सकते हो।
सीएचसी ढकोली में मनोरोग माहिर डाक्टर न होने से होती है परेशानी
जानकारी के अनुसार सीएचसी ढकोली में कोई भी मनोरोग माहिर डाक्टर नहीं है जिसके कारण नशा छोड़ने वाले मरीजों को दवाई लेने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मरीज को सुखमण अस्पताल से एक दिन में एक बार में 8 से 10 गोलियां मिल जाती थी जब के सीएचसी ढकोली में ज्यादा से ज्यादा तीन गोलियां ही मिलती है जिससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिक्र योग्य है कि ढकोली में 100 के करीब मरीज प्रतिदिन आते हैं जो यहां से नशा छोड़ने वाली दवाई लेते हैं लेकिन सुखमण अस्पताल के बंद होने के बाद जीरकपुर के आसपास के करीब 15 से 20 मरीज प्रतिदिन ओर यहां पर आने लगे हैं। लोगों ने कहा है कि अगर यहां पर मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर आने लग जाए तो इससे यहां आने वाले मरीजों का मोहाली आने जाने में जो वक्त बर्बाद होता है उससे बचाव हो सकता है।मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर द्वारा पहले मरीज की काउंसलिंग की जाती है उसके पश्चात उसका डोप टेस्ट कर उसे कितनी डोज दवाई की देनी है या निश्चित किया जाता है।
सरकारी नशा मुक्ति केंद्र को संभालती है मात्र एक महिला
ढकोली में सरकारी नशा मुक्ति केंद्र को मात्र एक महिला ही संभालती है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उनकी ड्यूटी प्रतिदिन सुबह 9:00 बजे से 1:00 बजे तक होती है और रविवार के दिन भी यह नशा मुक्ति केंद्र खुला रहता है। प्रतिदिन 100 से अधिक नशा छोड़ने वाले मरीजों को संभालना एक महिला के लिए खतरनाक भी हो सकता है। यहां पर कोई भी सिक्योरिटी गार्ड नहीं होता। अस्पतालों में महिला डॉक्टरों तथा अन्य महिला स्टाफ की सुरक्षा को लेकर पहले ही डॉक्टरों द्वारा बड़े-बड़े संघर्ष किया जा चुके हैं लेकिन सरकार द्वारा सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किए गए। नशा मुक्ति केंद्र जैसी जगह पर कम से कम एक सुरक्षा गार्ड तो जरूर होना चाहिए ताकि वहां पर काम करने वाले मुलाजिम अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें।
प्रोटोकॉल के अनुसार सभी मरीजों को पहले मोहाली के सेक्टर 66 में मनोरोग माहिर डाक्टर से अपना चेकअप करवाना अनिवार्य है जिसके बाद ही वहां पर मनोरोग माहिर डॉक्टर उसे बता सकते हैं के इस कितनी दवाई की जरूरत है नियमों के अनुसार प्रतिदिन एक मरीज को ज्यादा से ज्यादा तीन गोलियां ही दी जा सकती है। – डॉ संगीता जैन, सिविल सर्जन मोहाली।
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