लाखों रुपए खर्च कर मंगवाई गई तीन ट्रोमल मशीनों में से दो मशीनें बारिश के पानी से हो रही है खराब
ट्रोमल मशीनों में लगी मोटरें तथा बिजली का पैनल बारिश के पानी से हो सकते हैं शॉर्ट
संदीप सिंह बावा: बिशनपुरा डम्पिंग ग्राउंड में लेगेसी वेस्ट का पहाड़ बना हुआ है। डम्पिंग ग्राउंड में नगर परिषद द्वारा कूड़े के निस्तारण के लिए लाखों रुपए खर्च कर खरीदी गई तीन ट्रोमल मशीनों में से दो ट्रोमल मशीनें जंग खा रही है। पहले तो ट्रोमल मशीन ट्रायल के बाद 6 महीने तकचलाई नहीं गई थी और जब इन संबंधी खबरें प्रकाशित होने लगी तो नगर कौंसिल द्वारा इन्हें चलाना शुरु कर दिया गया।
नगर परिषद द्वारा अगस्त 2023 में दो ट्रोमल मशीन खरीदी थी उस वक्त अधिकारियों का दावा था कि दो मशीन लगने से कचरे का निस्तारण दोगुनी रफ्तार से होगा। मशीन के जरिये कचरे से प्लास्टिक सहित गीले कचरे को अलग-अलग करने का दावा किया गया था। बिशनपुर डंपिंग ग्राउंड में लगी तीन ट्रोमल मशीनों में से एक मशीन तो शेड के अंदर लगी हुई है जब के दो मशीनें खुले आसमान के नीचे लगा रखी है। जो मशीन खुले आसमान में के नीचे रखी हुई है वह मशीन बारिश के पानी से खराब हो रही है और उन्हें जंग खा रही है जिक्र योग्य है के एक ट्रोमल मशीन में चार बिजली की मोटर लगी होती है और एक इलेक्ट्रिक पैनल लगा हुआ है। जब बारिश आती है तो बारिश का पानी इन मोटरों में चला जाता है और पैनल में भी पानी पड़ जाता है अगर गलती से भी बारिश के तुरंत बाद इस मशीन को चलाया जाता है तो सारी मोटरें तथा इलेक्ट्रिक पैनल शॉर्ट सर्किट होकर बेकार हो सकता है और उनकी रिपेयर के लिए फिर लाखों रुपए का खर्च होने से इनकार नहीं किया जा सकता। अगर इन दोनों ट्रोमल मशीनों के ऊपर शेड बना दिया जाए तो उस पर उतना खर्च नहीं आएगा जितना एक ट्रोमल मशीन की मरम्मत में आ सकता है।
बारिश से गीली हुई खाद को सुखाने में फिर से लगती है मेहनत
खुले आसमान के नीचे लगी हुई ट्रोमल मशीन जब चलाई जाती है तो उनसे जो खाद बनती है बारिश आने पर वह सारी की सारी खाद गीली हो जाती है। उस गीली खाद को बकेट के साथ बिखेर कर दोबारा से सुखाया जाता है, जिस पर डबल मेहनत होती है। अगर यह मशीन शेड के नीचे लगी हुई हो तो इससे एक तो मशीन खराब होने से बच सकती है और दूसरा खाद को सूखने के लिए दोबारा से जो मेहनत करनी पड़ती है उसे करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
हर रोज 42 से 45 टन कचरा निकलता है शहर से, इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक ज्यादा
शहर में हर रोज 42 से 45 टन से ज्यादा कचरा निकलता है। इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल आदि भी काफी मात्रा में शामिल होता है। ट्राईसिटी में सब जगह सिंगल यूज प्लास्टिक बैन किया हुआ है, लेकिन जीरकपुर में इसे सिर्फ कागजों में ही बैन दिखाया गया है। सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगानी बहुत जरूरी है। सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है। रेहड़ी-फड़ियों, दुकानों और मैरिज पैलेसों में तमाम तरह के आयोजनों में सिंगल यूज प्लास्टिक और डिस्पोजेबेल प्लेट्स का यूज होता है। नगर परिषद के अधिकारी दावा तो करते हैं कि उन्होंने इसके लिए कई दुकानदारों के चालान किए हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि अधिकारियों ने इस तरह का अभियान चलाया होता तो सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लग सकती थी। अधिकारियों के दावे के उलट शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल करने और बेचने वालों पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। यही कारण है कि शहर में सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा लगातार बढ़ रहा है।
डंपिंग ग्राउंड में खुले आसमान के नीचे लगी हुई ट्रामल मशीनों पर शेड बनाने के लिए जल्द ही कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। – अशोक पथरिया, कार्यकारी अधिकारी, नगर कौंसिल जीरकपुर।
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