खरी-खरी : क्या राजीव कुमार जाते-जाते दिल्ली की गद्दी सौंपेंगे बीजेपी को !
कांगो जैसे देशों की कतार में खड़े भारत देश में शहंशाह, वाइसराय को मात देती जिल्ले इलाही व राजनेताओं की विलासिता
दिल्ली विधानसभा की घोषणा होते ही बीजेपी और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच जबानी और पोस्टर वार शुरू हो गया है। चूंकि मोदी भाजपा के पास सीएम का कोई चेहरा नहीं है तो वह पीएम नरेन्द्र मोदी के चेहरे के आसरे चुनावी नैया पार करना चाहती है, वहीं आम आदमी पार्टी के पास अरविंद केजरीवाल के अलावा कोई दूसरा चेहरा नहीं है तो वह चौथी बार भी उन्हीं के भरोसे अपनी सत्ता बरकरार रखने की कोशिश में लगी हुई है। पीएम मोदी ने केजरीवाल के घर को शीशमहल का नाम देते हुए इसे चुनावी मुद्दा बनाया तो आप पार्टी भी पीएम मोदी के घर को राजमहल का नाम देते हुए मुद्दा सामने ला रही है। वैसे देखा जाए तो पीएम मोदी और पूर्व सीएम केजरीवाल ने एक दूसरे के खिलाफ जिस बात को लेकर मुद्दा बनाया है वह मुद्दा बनना ही चाहिए क्योंकि एक ने खुद को फकीर कहते हुए देश की सल्तनत संभाली तो दूसरा सादगी का चोला पहन कर दिल्ली की कुर्सी में बैठा है। मगर कुर्सी पर बैठते ही दोनों अपने कहे की बखिया खुद ही उधेड़ कर धज्जियाँ उड़ते हुए राजनीति का पाठ जिस लहजे में पढ़ते हैं वह भी अपने आप में एक अजूबा ही है।
पीएम नरेन्द्र मोदी जब अरविंद केजरीवाल के शीशमहल को आईने में दिखाते हैं तो उन्हें एक आईना अपने सामने भी रखना चाहिए था मगर वे सदैव की तरह भूल जाते हैं कि जब वे सामने वाले पर एक उंगली उठाते हैं तो बाकी उंगलियां उनके ही गिरहवान की ओर होती हैं। अरविंद केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने दिल्ली के सीएम रहते अपने निवास स्थान को बकौल पीएम नरेन्द्र मोदी शीशमहल में तब्दील कराया। जो जानकारी निकल कर आई है उसके मुताबिक केजरीवाल ने 2 करोड़ 36 लाख इकहत्तर हजार 9 सौ 24 रुपये खर्च किए हैं। ब्यौरे बार देखा जाए तो 20 लाख 34 हजार टेलीविजन, 96 लाख पर्दे, 49 लाख 8 हजार 8 सौ 46 रसोई उपकरण, 18 लाख 52 हजार जिम, 14 लाख फ्लोर टाईल्स, 4 लाख 80 हजार राउंड डाइनिंग टेबल, 3 लाख 99 हजार 4 सौ 99 बेड (बिस्तर), 2 लाख 49 हजार 2 सौ 33 मिरर (आईना), 4 लाख 80 हजार 52 बार, 6 लाख 40 हजार 6 सौ 4 एल सेफ सोफा, 16 लाख 27 हजार 6 सौ 90 सिल्क कार्पेट पर खर्च किए गए हैं। पीएम मोदी ने केजरीवाल पर जो निशाना साधा है वह इसलिए सही कहा जायेगा क्योंकि एक सादगी भरा व्यक्ति राजनीति को साधते – साधते शीशमहल बना बैठा और यह जनता की भावनाओं के साथ तथा तकनीकी तौर पर धोखाधड़ी है।
अब बात करते हैं पीएम नरेन्द्र मोदी की तो जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार पीएम का निवास स्थान जिसे अब 7 एनसीआर की जगह 7 लोक कल्याण मार्ग कहा जाने लगा है की मरम्मत में 27 करोड़ की जगह 89 करोड़ रुपये खर्च किए गए। नरेन्द्र मोदी ने बतौर पीएम अपने उड़ने के लिए जो उड़न-खटोला खरीदा है उसकी कीमत 8 हजार 4 सौ करोड़ बताई जा रही है। पीएम के आने-जाने में आगे-पीछे जिन गाड़ियों का रैला चलता है उसकी कीमत भी करोड़ों में होती है। शीशमहल बनाम राजमहल पर पलटवार करते हुए आप पार्टी ने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के पास 6700 जोड़ी चरण पादुकायें, 5000 सूट, 10 लाख कीमत की कलम, 3 हजार करोड़ का सोने के तारों से बना डिजाइनदार कालीन, 2 सौ करोड़ का हीरे जड़ित झूमर, भी है। पीएम मोदी ने स्वाभिमान अपार्टमेंट के जिन घरों की चाबी सौंपते हुए शीशमहल का जिक्र किया है उस घर की कीमत सरकारी तौर पर 25 लाख रुपये बताई गई है और पीएम जिस गाड़ी में बैठकर तफरी करने निकलते हैं उसकी कीमत ही तकरीबन 10 करोड़ है । मतलब पीएम की एक गाड़ी बराबर गरीबों के हक के 40 घर। और पीएम के आगे-पीछे जो गाडिय़ों का रेला चलता है उसकी कीमत लगभग 240 करोड़ होती है तो स्वाभिमान अपार्टमेंट में जो 1 हजार 6 सौ 75 फ्लैट हैं वो सारे फ्लैट पीएम की गाड़ियों में सिमट जाते हैं। जिस एलजी के कांधे पर बंदूक रखकर गोली केजरीवाल और उनकी आप पार्टी पर दागी जाती है उनके घर की रिपेयरिंग पर भी 15 करोड़ रुपये खर्च होना बताया जाता है।
जिस देश की आर्थिक हालत खराब हो, जरूरी कामों के लिए सरकारों को आये दिन हाथ पसारना पड़ता हो, विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा हो, बैंकों का एनपीए ऊचाईयां छू रहा हो, डालर के मुकाबले रूपया बेदम हो रहा हो, वर्ल्ड बैंक का सूद सुरसा के मुख की तरह फैल रहा हो, गरीबी-भुखमरी की स्थिति कांगो जैसे देशों की तरह होती जा रही हो और उस देश में जिल्ले इलाही सहित राजनेता ऐसा विलासिता पूर्ण जीवन जी रहे हों जैसा अकबर, शाहजहां और वाइसराय ने भी नहीं जिया हो तो इस देश के लिए वैसी ही दुसह: स्थिति होती है जैसे गरीब का हाथी पालना।
लगता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के सीने में कटार की तरह चुभती है अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता और आम आदमी पार्टी का 10 साल के भीतर राष्ट्रीय पार्टी बन जाना। जहां अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर पीएम नरेन्द्र मोदी को चुनौती देते हैं और पीएम नरेन्द्र मोदी केजरीवाल का नाम लिए बगैर शीशमहल और अलग – अलग सिम्बल के जरिए उस पर निशाना साधते हुए रैलियां करते हैं। चूंकि दिल्ली देश की राजधानी है इसलिए दिल्ली ताकतवर है, राजनेताओं की पहचान है इसलिए दिल्ली चुनाव को लेकर सवाल किया जाना लाजिमी है कि क्या दिल्ली का चुनाव दो ताकतवर, दो पहचान पाये लोगों के लिए आखिरी चुनाव तो नहीं होगा ? अरविंद केजरीवाल अगर चुनाव हार जाते हैं तो उनकी राजनीति सिमट जायेगी। बीजेपी जीत जाती है तो जीत का परचम मोदी के कांधे सवार होकर लहराने लगेगा। अगर बीजेपी हार जाती है और आम आदमी पार्टी जीत जाती है तो तय मानिए अरविंद केजरीवाल विकल्प के तौर पर भारत की राजनीति में एक धुव्र तारा बन जायेंगे। क्योंकि हरियाणा और महाराष्ट्र की हार, लोकसभा में नायडू और नितीश की बैसाखी के सहारे टिकी मोदी सरकार के साथ ही देश के छत्रपों का भविष्य (छत्रपों की राजनीति बचेगी या नहीं) तय करेगा दिल्ली विधानसभा का चुनाव परिणाम। इसलिए पीएम मोदी चाहते हैं कि हरहाल में अरविंद केजरीवाल चुनाव हार जायें और उसके लिए साम दाम दंड भेद की चाल चलने से मोदी जरा भी संकोच नहीं करेंगे।
एक दिल्ली जैसे केंद्र शासित राज्य के चुनाव का ऐलान करते वक्त देश का मुख्य चुनाव आयुक्त अपनी सफाई देने में (चोर की दाढ़ी में तिनका) 38 मिनट लगाता है और तारीख का ऐलान 40 सेकंड में कर देता है। वैसे देखा जाए तो दिल्ली विधानसभा के चुनाव की बिसात तो 15 सितम्बर 2024 को अरविंद केजरीवाल ने बिछा दी थी यह कहते हुए कि मैं दो दिन बाद कुर्सी छोड़ रहा हूं, जनता वोट देगी तो दुबारा सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा, वोट नहीं देगी तो सीएम नहीं बनूंगा और 2 दिन बाद 17 सितम्बर को इस्तीफा दे देते हैं। भले ही चुनाव आयोग ने चुनाव का ऐलान 7 जनवरी 2025 को किया है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जिस तरह से दिल्ली के चुनाव की तारीख घोषित की है उस पर भी उंगली उठाते हुए कहा जा रहा है कि देश का चुनाव आयुक्त सत्ता के साथ खड़ा है। दिल्ली में वोटिंग 5 फरवरी को होगी, 8 फरवरी को रिजल्ट आयेगा। दिल्ली विधानसभा की सांसें 26 फरवरी तक है और 18 फरवरी को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का रिटायर्मेंट है। 8 फरवरी और 26 फरवरी के बीच 14 दिन हैं जिसमें सरकार बनाने के लिए होने वाली तिकड़मों से इंकार नहीं किया जा सकता है। लोकतंत्र का रक्षक चुनाव आयोग का मुखिया जब प्रेस कांफ्रेंस में 99 फीसदी टाईम अपनी सफाई देने में लगाता है तो इस बात पर संदेह होना लाजिमी है कि क्या राजीव कुमार बतौर मुख्य चुनाव आयुक्त अपने आखिरी चुनाव में दिल्ली की सत्ता मोदी बीजेपी को सौपना चाहते हैं हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह !
अश्वनी बडगैया अधिवक्ता
स्वतंत्र पत्रकार
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