चंडीगढ़ मेयर चुनाव में विपक्ष को सीक्रेट वोटिंग से क्यों लगता है डर ?
चंडीगढ़ मेयर चुनाव: सीक्रेट बैलट को लेकर सियासी घमासान
कांग्रेस और आप की मांग: वोटिंग हो हाथ उठाकर, भाजपा ने बताया मुद्दा तूल देने की कोशिश
चंडीगढ़ रीतेश माहेश्वरी
24 जनवरी को होने वाले नगर निगम मेयर चुनाव को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) इस बार सीक्रेट बैलट प्रक्रिया के खिलाफ हैं और खुली वोटिंग (हाथ उठाकर) की मांग कर रही हैं। दूसरी ओर, भाजपा ने इन मांगों को खारिज करते हुए सीक्रेट बैलट प्रक्रिया का समर्थन किया है। सवाल इस बात का है कि आखिरकार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को सीक्रेट बैलट वोटिंग से डर क्यों लग रहा है।
क्यों हो रहा है सीक्रेट बैलट का विरोध?
चंडीगढ़ नगर निगम में दल-बदल कानून लागू नहीं है। इस वजह से पार्षद किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं। विपक्ष को आशंका है कि भाजपा “ऑपरेशन लोटस” के तहत उनके पार्षदों को प्रलोभन देकर अपने पक्ष में कर सकती है।
कांग्रेस और आप का कहना है कि सीक्रेट बैलट में यह पता नहीं चल पाता कि किसने किसे वोट दिया, जिससे गुपचुप तरीके से पार्षदों को खरीदा जा सकता है। हाथ उठाकर वोटिंग होने पर पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और यह स्पष्ट होगा कि कौन-सा पार्षद किसे समर्थन दे रहा है।
क्या कहते हैं भाजपा नेता?
भाजपा के नेताओं का कहना है कि विपक्ष बिना वजह इस मुद्दे को तूल दे रहा है। उनका तर्क है कि वोटिंग प्रक्रिया चाहे सीक्रेट हो या हाथ उठाकर, इसका परिणाम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जिसको जहां वोट देना होगा वह वही वोट देगा चाहे हाथ उठाकर वोटिंग हो या फिर बैलट पेपर से। भाजपा ने दावा किया है कि पार्टी के सभी पार्षद एकजुट हैं और ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जिससे उनकी पार्टी की छवि धूमिल हो।
2024 चुनाव का अनुभव: विपक्ष की चिंता
पिछले मेयर चुनाव में सीक्रेट बैलट प्रक्रिया के दौरान कई विवाद हुए थे। विपक्ष ने प्रीज़ाइडिंग ऑफिसर अनिल मसीह पर पक्षपात के आरोप लगाए थे। दरअसल अनिल मसीह ने आप और कांग्रेस के पार्षदों के बैलट पेपर पर जानबूझकर क्रॉस लगाया गया। अनिल मसीह की मेहरबानी से भाजपा का मेयर बन गया था। चूँकि सारी प्रक्रिया कैमरे की निगरानी में हो रही थी जिस वजह से सच सामने आ सका। इस बार भी कांग्रेस और आप को आशंका है कि भाजपा चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।
नगर निगम का गणित: कौन कहां खड़ा है?
- कुल पार्षद: 35
- सांसद का वोट: 1
- कुल वोट: 36
- बहुमत के लिए आवश्यक वोट: 19
पार्षदों का समर्थन:
- भाजपा: 15 पार्षद
- आप: 13 पार्षद
- कांग्रेस: 7 पार्षद
- सांसद का वोट: कांग्रेस को
यदि कांग्रेस और आप इस बार भी मिलकर चुनाव लड़ते हैं, तो भाजपा बहुमत से पीछे रह सकती है। ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए बिना तोड़फोड़ किए मेयर बनाना मुश्किल होगा।
कोर्ट में मामला: चुनाव पर लग सकता है ब्रेक
चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद आम आदमी पार्टी जल्द ही अदालत में याचिका दायर करने वाली है। उनका कहना है कि पिछले साल मेयर का कार्यकाल 20 फरवरी को समाप्त हुआ था, इसलिए 19 फरवरी से पहले चुनाव कराना अनुचित है। कोर्ट का फैसला अगले हफ्ते तक आने की उम्मीद है। अगर अदालत ने स्टे जारी कर दिया, तो 24 जनवरी को चुनाव होना मुश्किल हो जाएगा।
भाजपा की प्राथमिकता: दिल्ली विधानसभा चुनाव
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता है। पार्टी नहीं चाहती कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव के कारण किसी भी प्रकार का विवाद उत्पन्न हो, जो दिल्ली में उसके चुनावी प्रदर्शन को प्रभावित कर सके।
पूर्व आप संयोजक का सुझाव
चंडीगढ़ के पूर्व आप संयोजक प्रेम गर्ग ने सुझाव दिया कि मेयर का चुनाव 24 जनवरी को हो सकता है, लेकिन शपथ ग्रहण 20 फरवरी को होना चाहिए, जैसा कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान होता है।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव अब राजनीतिक दलों के बीच शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक बन चुका है। कोर्ट का फैसला और 24 जनवरी की चुनाव प्रक्रिया यह तय करेगी कि इस सियासी घमासान में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा।
इन सबके बीच बड़ी बात यह है कि कांग्रेस चुनाव की तैयारी कर रही है इस मामले पर कांग्रेस की क्या प्रतिक्रिया है
चंडीगढ़ कांग्रेस ने मेयर चुनाव की तैयारियों के लिए कमर कसी
प्रशासन द्वारा इस वर्ष के मेयर चुनाव की अधिसूचना जारी किए जाने के बाद चंडीगढ़ कांग्रेस ने आगामी 24 तारीख को होने वाले चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी हैं।
10 जनवरी से चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष एच.एस. लक्की ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों, पार्षदों और फ्रंटल संगठनों तथा प्रकोष्ठों के प्रमुखों की अलग-अलग बैठकें बुलाई हैं, ताकि इन चुनावों के लिए व्यापक रणनीति बनाई जा सके।
चंडीगढ़ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता राजीव शर्मा ने आशंका व्यक्त की कि भाजपा के पास अपने पुराने और लम्बे समय से सक्रिय कार्यकर्ताओं में से मेयर पद के लिए कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं है, इसलिए इस बात की प्रबल सम्भावना है कि इस पद के लिए वह कांग्रेस के टिकट पर जीते उम्मीदवार को मैदान में उतारने पर मजबूर हो सकती है, जिससे पार्टी के पुराने दिग्गजों में बेचैनी चल रही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा अपनी आंतरिक समस्याओं से निपटने के लिए सदन के जनादेश को अलोकतांत्रिक तरीकों का सहारा लेकर छीनने की कोशिश कर सकती है। उन्होंने कहा कि पिछले साल चुनाव के दौरान उन्होंने जो कुछ भी किया, उसकी कड़वी यादें अभी भी शहरवासियों के मन में ताजा हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे बताया कि पार्टी की इन बैठकों में चंडीगढ़ की जनता के सामने भाजपा द्वारा की जा रही खरीद-फरोख्त की कोशिशों और सम्भावित चुनावी धांधलियों को चण्डीगढ़ वासियों के सामने उजागर करने पर ज़ोर दिया जाएगा।
इस बीच, कांग्रेस पार्टी के नेता आम आदमी पार्टी के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हैं ताकि दोनो पार्टियों के बीच सुचारू समन्वय सुनिश्चित किया जा सके।
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