भगवान भरोसे पंचकुला के पब्लिक डीलिंग वाले सरकारी दफ्तर
झांसी अग्निकांड के बाद खबरी टीम की पड़ताल में डराने वाला सच
चिराग तले अंधेरा वाली कहावत पूरी तरह से ठीक
झांसी अग्निकांड के बाद पंचकूला में फायर सुरक्षा की पड़ताल: सरकारी-प्राइवेट अस्पतालों और दफ्तरों की सुरक्षा पर सवाल
झांसी के एक अस्पताल में बच्चा वार्ड में लगी भीषण आग, जिसमें 10 मासूम बच्चों की जान चली गई, ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस भयावह घटना ने अस्पतालों और सरकारी भवनों में फायर सुरक्षा उपायों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। और इस घटना के बाद ही देश के कई जगहों पर सरकारी ऑफिसेज में फायर सेफ्टी को लेकर आर्डर जारी हुए हैं । कुछ ऐसा ही एक आर्डर पंचकूला की उपायुक्त द्वारा अग्निशमन विभाग पंचकूला को भेजा गया है । जिसकी कॉपी खबरी प्रसाद अखबार के पास मौजूद है।
उपयुक्त पंचकूला द्वारा जारी किए गए इस पत्र को आधार बनाकर खबरी प्रशाद की टीम ने पंचकूला के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों, दफ्तरों और अन्य संस्थानों में फायर सुरक्षा की पड़ताल की । इस संबंध में सबसे चौंकाने वाली बात तो खुद फायर विभाग के सूत्रों से ही हमें पता चली जहां से हमें पता चला कि जिस सरकारी दफ्तर से यह पत्र जारी हुआ है , इस दफ्तर के पास फायर विभाग से एनओसी नहीं जारी हो रखी है । नाम न छापने की शर्त पर फायर विभाग के सूत्रों ने हमें बताया कि लगभग 15 16 महीने पहले हमने उपायुक्त कार्यालय को फायर सेफ्टी के लिए पत्र लिखा था उसके बाद से कई उपायुक्त की बदली हो चुकी है पर अब तक फायर सेफ्टी के नॉर्म्स उपयुक्त कार्यालय ने भी पूरे नहीं कियाहैं । इसी को कहते हैं चिराग तेरे अंधेरा । जिस उपायुक्त कार्यालय से फायर सेफ्टी के लिए 18 नवंबर को आर्डर जारी हुआ है , उसी कार्यालय के पास अपनी फायर सेफ्टी के एनओसी नहीं है।
कई सरकारी भवनों में फायर NOC की कमी: गंभीर लापरवाही
पंचकूला, जो हरियाणा सरकार के कई विभागीय मुख्यालयों का केंद्र है, यहां कई सरकारी दफ्तरों के पास फायर एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण पंचकूला डीसी ऑफिस है। यह वही कार्यालय है, जहां से पूरा जिला प्रशासन संचालित होता है। डीसी, एडीसी, डीसीपी, एसडीएम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी इसी भवन में बैठते हैं।
फायर विभाग के विशेष सूत्रों के अनुसार, डीसी ऑफिस को फायर एनओसी के लिए कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। विडंबना यह है कि जिस अधिकारी को फायर सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, उनके ही कार्यालय के पास यह सर्टिफिकेट नहीं है।
सिविल अस्पताल की इमरजेंसी ब्लॉक भी असुरक्षित
पंचकूला सेक्टर-6 स्थित सिविल अस्पताल का डी-ब्लॉक, जो कि इमरजेंसी ब्लॉक है, फायर एनओसी के बिना ही संचालित हो रहा है। यह ब्लॉक हर समय मरीजों और उनके परिजनों से भरा रहता है। इमरजेंसी सेवाओं के बावजूद फायर सुरक्षा की यह स्थिति प्रशासन की असंवेदनशीलता को दर्शाती है। बुधवार को जब खबरी प्रसाद अखबार की टीम उपयुक्त कार्यालय द्वारा जारी पत्र को लेकर सीएमओ दफ्तर पहुंची तो पता चला सीएमओ बुधवार को छुट्टी पर थी । सीएमओ दफ्तर से बताया गया कि संबंध में पीएमओ जितेंद्र ही बता सकेंगे। जब हमारी टीम ने डॉक्टर जितेंद्र से संपर्क किया तो उन्होंने सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहा पर यह जरूर कहा कि जिस समय यह अस्पताल का यह हिस्सा बना होगा उस समय शायद NOC की जरूरत नहीं रही होगी पर अगर अब अगर NOC की जरूरत पड़ रही है तो जो जरूरी कार्रवाई होगी वह की जाएगी ।
कई पुलिस थानों और नगर निगम कार्यालय भी सुरक्षित नहीं
अग्निशमन विभाग के सूत्रों के अनुसार पंचकूला के कई पुलिस थानों के पास भी फायर एनओसी नहीं है। इन थानों में हर दिन आम नागरिकों और पुलिसकर्मियों की भारी आवाजाही होती है। इसके अलावा, पंचकूला नगर निगम कार्यालय, जो शहर के विकास और प्रशासन का केंद्र है, के पास भी फायर एनओसी नहीं है। हालांकि नगर निगम के सेक्टर 14 वाले दफ्तर में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा हुआ है पर वह चलता है या नहीं चलता है ना तो इसके लिए कोई कभी मॉक ड्रिल होती है ना ही कर्मचारियों को इस बात की ट्रेनिंग दी गई है कि विषम परिस्थितियों में इन उपकरणों को चलाया कैसे जाना है।
अवैध कोचिंग संस्थान: छात्रों की सुरक्षा दांव पर
पंचकूला में अवैध रूप से चल रहे कई कोचिंग संस्थानों की स्थिति और भी खराब है। इनमें से अधिकांश के पास फायर एनओसी नहीं है, और वे सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते। इन संस्थानों में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं, जिनकी सुरक्षा पर गंभीर खतरा बना हुआ है। पहले भी देश के अलग-अलग हिस्सों में कोचिंग संस्थानों में अग्निकांड हो चुके हैं जिनमें कई बच्चों की जान जा चुकी है पर पंचकूला के प्रशासनिक अफसर को शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार है।
फायर उपकरण: महज दिखावा या बेकार हो रहे साबित
अखबार की पड़ताल में एक और बड़ी बात सामने आई है , कई संस्थाओं ने अपने यहां पर फायर फाइटिंग सिस्टम तो लगा रखा है पर वह चलता नहीं है । हाल ही में दीपावली के पहले पंचकूला के सेक्टर 20 की एक हाई-फाई सोसाइटी के एक मकान में आग लग गई थी जबकि सोसाइटी में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा हुआ था मगर वह काम नहीं कर रहा था क्योंकि समिति के पास में फायर एनओसी नहीं थी।
इसके अलावा भी कई संस्थानों और भवनों में फायर एनओसी नहीं है, उनमें से कुछ ने आग बुझाने के उपकरण (फायर एक्सटीन्गुइशर) तो लगाए हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर या तो एक्सपायर हो चुके हैं या फिर कार्यरत नहीं हैं। यह लापरवाही आपात स्थिति में बड़ी त्रासदी का कारण बन सकती है।
डीसी ने दिए निर्देश, लेकिन वही चिराग तले अंधेरा
झांसी अग्निकांड के बाद पंचकूला डीसी ने 18 नवंबर को सिविल सर्जन को अस्पतालों में फायर फाइटिंग सिस्टम दुरुस्त करने और इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम बनाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, सबसे बड़ा सवाल यह है कि डीसी ऑफिस में फायर एनओसी की कमी पर ध्यान कौन देगा ? यानी कहां जा सकता है चिराग तले अंधेरा की कहावत पूरी तरीके से पंचकूला में चरितार्थ हो रही है।
जरूरत : कड़े कदम और सख्त निगरानी कब
पंचकूला जैसे महत्वपूर्ण प्रशासनिक और निजी के साथ साथ शैक्षणिक केंद्र में फायर सुरक्षा की यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। प्रशासन को चाहिए कि वह फायर विभाग के साथ मिलकर फायर एनओसी की प्रक्रिया को तेज करे और सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करे। इसके अलावा, अवैध संस्थानों पर तुरंत कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में किसी भी तरह की त्रासदी को रोका जा सके। झांसी की घटना से सबक लेते हुए, पंचकूला में फायर सुरक्षा की स्थिति में सुधार करना न केवल प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि यह आम नागरिकों की सुरक्षा का सवाल भी है।
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