अयोध्या में श्रीराम तिलकोत्सव संपन्न, नेपाल के मुख्यमंत्री बने साक्षी
अयोध्या में रविवार को भगवान श्रीराम का भव्य तिलकोत्सव वैदिक परंपराओं के साथ संपन्न हुआ। रामसेवकपुरम में आयोजित इस आयोजन ने त्रेतायुगीन संस्कृति को जीवंत कर दिया। कार्यक्रम में वर पक्ष की भूमिका में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और वधू पक्ष की ओर से नेपाल के मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश सिंह शामिल हुए।
जनकपुर से 300 से अधिक तिलकधारी शनिवार रात ही अयोध्या पहुंचे थे। रविवार सुबह रामलला के दर्शन और पूजन के बाद रामसेवकपुरम में तिलकोत्सव समारोह आयोजित हुआ। ठीक 3:27 बजे भगवान श्रीराम को सिंहासन पर विराजित कर वैदिक मंत्रोच्चार के बीच तिलक की रस्म पूरी की गई।
तिलक के दौरान उत्सव और उल्लास
जनकपुर से आईं सखियों और वर पक्ष की महिलाओं ने मंगल गीत गाए। “आज अवधपुर चलो सखिन, देखन राम लखन चारो भइया” जैसे गीतों ने माहौल को भावनात्मक बना दिया। तिलकोत्सव की रस्म पूरी होते ही आतिशबाजी हुई और जय श्रीराम के गगनभेदी जयकारे गूंजे।
तिलक के उपहार और परंपरागत आदान-प्रदान
नेपाल से आए तिलकधारियों ने भगवान श्रीराम को 501 प्रकार के उपहार भेंट किए। इनमें पारंपरिक कांसे के बर्तन, वस्त्र, आभूषण, मिष्ठान और फल शामिल थे। मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश सिंह ने यह उपहार चंपत राय को सौंपे, जिन्हें रामलला को समर्पित किया जाएगा।
भारत-नेपाल संबंधों को नया आयाम
नेपाल के मुख्यमंत्री सतीश सिंह ने इस आयोजन को भारत और नेपाल के सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन त्रेतायुगीन संबंधों की निरंतरता का प्रतीक है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने भी इसे भारत-नेपाल के ऐतिहासिक रोटी-बेटी संबंध का प्रतीक बताया।
आगे की तैयारी
तिलकोत्सव के बाद अब 26 नवंबर को अयोध्या से राम बरात जनकपुर के लिए प्रस्थान करेगी। 6 दिसंबर को भव्य राम विवाह का आयोजन होगा, जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं।
यह आयोजन भारत और नेपाल के सांस्कृतिक संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान करता है। भगवान श्रीराम के तिलकोत्सव ने अयोध्या की प्राचीन परंपराओं को जीवंत करते हुए त्रेतायुगीन महिमा का स्मरण कराया।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!