गयाराम आयाराम के भरोसे पंचकूला नगर निगम में बनेंगे बीजेपी के डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर
42 दिन के अंदर सुनीत सिंगला की हुई भाजपा में वापसी
निर्दलीय ओमवती पूनिया, तो सुशील गर्ग नरवाना जेजेपी छोड़कर आए भाजपा में
खबरी प्रशाद पंचकूला रीतेश माहेश्वरी
हरियाणा विधानसभा के परिणाम आने के बाद सीएम नायाब सिंह सैनी ने कहा था जिस भी अधिकारी ने चुनाव में कांग्रेस की मदद की है उसे छोड़ेंगे नहीं। यहां तक कि भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक उन अधिकारियों की लिस्ट भी पहुंचा दी थी जिन पर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ देने का आरोप था। पर मुख्यमंत्री जी ने उन नेताओं को भी अब गले लगाना शुरू कर दिया है जिन नेताओं ने चुनाव के पहले भाजपा में थे और बयार का रुख देखकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था। पर जब वहां दाल नहीं गली तो वापस फिर से अपनी गलती मानकर भाजपा में आ गए । क्या उन नेताओं पर भी कोई कार्रवाई होगी या उनको सुबह का भुला शाम को घर आ जाए मानकर गले लगा लिया जाएगा ? जैसा रविवार को हुआ ।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पंचकूला नगर निगम में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पद के लिए आज 4 नवंबर को चुनाव होने हैं। विधानसभा चुनाव के कुछ दिन पहले तक भारतीय जनता पार्टी नगर निगम पंचकूला में पूर्ण बहुमत में थी। पर कई मीडिया संस्थानों ने ऐसे बयान दिए जिससे भाजपा के कई नेताओं को लगने लगा कि अबकी बार तो सरकार कांग्रेस की आने वाली है। उन्होंने फटाफट अपना बोरिया बिस्तर बांधा और कांग्रेस की गाड़ी में लटक गए थे। उनकी कांग्रेस की गाड़ी पकड़ने की स्पीड इतनी तेज थी कि कहीं ऐसा न हो जाए कि कांग्रेस की गाड़ी छूट जाए। पर होनी को कौन टाल सकता है। पंचकूला के जिन नेताओं को लग रहा था बयार कांग्रेस की बह रही है, जिन्होंने चिल्ला-चिल्ला कर वोट कांग्रेस के खाते में डलवाए। जब उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की थी तब अच्छे खासे आरोप भाजपा पर लगाए। पर 3 नवंबर को अपनी गलती को मानते हुए एक बार फिर उन्होंने मुख्यमंत्री के सामने घर वापसी कर ली। बात हो रही है वार्ड 13 के पार्षद सुनीत सिंगला की। सुनीत सिंगला 3 नवंबर से महज 42 दिन पहले भाजपा का दामन छोड़कर कांग्रेस मे चले गए थे। पंचकूला से भाजपा के उम्मीदवार ज्ञानचंद गुप्ता के खिलाफ जबरदस्त तरीके से उन्होंने लामबंदी की थी, और उनको हराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पर आज जब उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन दोबारा थामा तब मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने ही उन्हें गले लगाया। इसकी तस्वीर रविवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो गई । सीएम साहब, सिर्फ अधिकारियों पर ही कार्रवाई मत कीजिएगा, ऐसे बगावती नेताओं पर भी नजर जरूर बनाकर रखिएगा। ऐसे नेता कब दोबारा छोड़कर चले जाएंगे, आपको पता भी नहीं चल सकेगा ।
जननायक जनता पार्टी छोड़कर आए सुशील गर्ग नरवाना
इसी विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी के चुनाव चिन्ह पर पंचकूला विधानसभा से अपनी किस्मत आजमाने वाले वार्ड 14 से पार्षद सुशील गर्ग नरवाना भी वापस भाजपा में लौट आए हैं। भाजपा का दामन थामने के बाद जब हमारी बात सुशील गर्ग नरवाना से हुई तो उनका कहना था कि हम तो पहले से ही भाजपा के थे। पिछली बार जब चुनाव हुआ था, उसमें गठबंधन में यह वार्ड जननायक जनता पार्टी के हिस्से में आया था, जिसकी वजह से मुझे जननायक जनता पार्टी से चुनाव लड़ना पड़ा था। मैं तो शुरू से ही भाजपाई था, बीच में कुछ दिन के लिए मेरे ऊपर ठप्पा दूसरा लग गया था, पर अब मैं फिर से वापस अपने घर आ गया हूं। आपको बता दे 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद में भाजपा और जेजेपी का गठबंधन हुआ था । और इसी साल फरवरी में वह गठबंधन टूट भी गया था ।
निर्दलीय उम्मीदवार ओमवती पूनिया ने भी भाजपा का दामन थामा
वार्ड 11 से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीतकर आई ओमवती पूनिया इसी विधानसभा चुनाव में पंचकूला से कांग्रेस से टिकट मांग रही थीं। और उन्होंने कांग्रेस का मंच भी कई बार साझा किया था। भाजपा ज्वाइन करने पर जब हमारी टीम ओमवती पूनिया के घर पहुंची कि आखिर आपको क्या आश्वासन मिला है जो आपने बीजेपी का दामन थामा है, तो वह तो नहीं मिली पर उनके पति सुखबीर सिंह पूनिया ने कहा कि ना तो हमने किसी से कोई आश्वासन लिया है, हम ने तो सिर्फ मुख्यमंत्री साहब से इतना ही कहा है कि जनता के काम नहीं रुकने चाहिए ।
48 घंटे के अंदर अल्पमत से बहुमत में आ गई पंचकूला नगर निगम में भाजपा
महज 48 घंटे के अंदर भारतीय जनता पार्टी पंचकूला नगर निगम में अल्पमत से बहुमत में आ गई है। इससे समझा जा सकता है कि छोटे से चुनाव को भी बीजेपी कितनी शिद्दत से ले रही है। यह चुनाव कांग्रेस के उन नेताओं के लिए एक सीख भी है, जिनको लोकसभा चुनाव में पांच सीट जीतने के बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बयार बहती हुई नजर आ रही थी, और इसी वजह से कई नेता तो घर से बाहर नहीं निकले। एसी कमरों से ही रणनीति बनाते रहे। अगर चुनाव लड़ना है तो चाहे चुनाव छोटा हो या बड़ा, उसको युद्ध की तरीके से ही लेना पड़ेगा, जैसे भाजपा लेती है। पार्टी कोई भी हो, कांग्रेस हो या जननायक जनता पार्टी, इनलो हो या आम आदमी पार्टी, चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से सीख लेनी ही चाहिए।
सदन में अब क्या है भाजपा और कांग्रेस की स्थिति
भले ही 3 नवंबर को रविवार था और लोग अपने घरों में छुट्टियां मना रहे थे। पर पंचकूला की राजनीति में छुट्टियां नहीं थीं। पूरा दिन कांग्रेस और भाजपा के नेता आज होने वाले चुनाव को लेकर मंथन करते रहे। भाजपा ने जहां कांग्रेस के तीन विकेट गिराए, वहीं कांग्रेस खबर लिखे जाने के वक्त तक क्रॉस वोट के आसरे थी। तीन पार्षदों के भाजपा ज्वाइन करने के बाद सदन में अब भाजपा बहुमत में आ गई है और कांग्रेस अल्पमत में।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ आज नगर निगम के सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में उतरने जा रही है, तो वहीं कांग्रेस अगर चुनाव में उतरती है, तो क्रॉस वोट के आसरे पर ही उसे उतरना होगा । या फिर यह भी हो सकता है की अंतिम समय पर कांग्रेस चुनाव से ही वॉकआउट कर जाए । और भाजपा को बिना लड़े ही डिप्टी मेयर और सीनियर डिप्टी मेयर के पोस्ट मिल जाए ।
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