दीपावली तिथि को लेकर बनी असमंजस की स्थिति, लेकिन ज्यादातर 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली : पं. रामकिशन महाराज
अलग-अलग तथ्यों के चलते दीपावली को लेकर ज्योतिषियों की अलग-अलग राय
दिपावली पर पूर्व और उत्तर दिशा में दीपक जलाने से सुख-शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि, धन तथा आय में होगा लाभ : पं. रामकिशन महाराज
हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। इसी दिन दीपावली उत्सव के साथ महालक्ष्मी पूजन का अनुष्ठान होता है, घर दीयों से सजाए जाते हैं, घरों में पकवान बनते हैं, रंगोली बनाई जाती है, पटाखे छोड़े जाते हैं। लेकिन अमावस्या तिथि के निर्धारण को लेकर अलग-अलग मान्यताओं के कारण अबकी बार दिवाली की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस पर अलग-अलग विद्वानों की राय भी अलग-अलग है। इसी कड़ी में तोशाम के प्राचीन छपारिया हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रामकिशन महाराज के अनुसार अबकी बार दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जानी उचित है। दीपावली के बारे विस्तृत जानकारी देते हुए पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही दिवाली मनाई जाती है और इसी दिन महालक्ष्मी पूजन किया जाता है। हिंदी कैलेंडर और पंचांग के अनुसार अबकी बार कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर गुरुवार को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है और अमावस्या तिथि 1 नवंबर शुक्रवार को शाम 06 बजकर 16 मिनट पर संपन्न हो रही है।
यानी एक दोपहर से शुरू होकर अगले दिन शाम तक अमावस्या का होना ही तिथि निर्धारण में मतांतर का भी विषय हो गई है। पंडित रामकिशन महाराज का कहना था कि सामान्यतः यहां उदयातिथि के नियम को मानने पर दीपावली और महालक्ष्मी पूजन 1 नवंबर को होगा। जिसके चलते अबकी बार दीपावली पर्व को लेकर विद्वानों के अलग अलग मत हैं, लेकिन अमावस्या तिथि के चलते दीपावली 31 अक्टूबर को ही अधिक मान्य होगी।
दीपावली को लेकर ज्योतिषियों की राय…
पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि काशी के अनेक पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तथा उज्जैन, खाटू श्याम, सालासर तथा भोपाल के ज्योतिषीयों का मानना है कि दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जानी चाहिए और इसी दिन लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। वहीं उत्तराखंड के कई पंचांगकर्ताओं का मत दिवाली 1 नवंबर को मनाने के पक्ष में हैं।
दिवाली और अमावस्या को लेकर अलग-अलग मत क्या हैं…
पंडित रामकिशन महाराज का कहना था कि उत्तराखंड के विद्वानों कहना है कि दीपावली और महालक्ष्मी पूजन अबकी बार शुक्रवार 1 नवंबर को होना चाहिए। इसके पीछे वो कुछ कारण भी बताते हैं, उनके अनुसार धार्मिक ग्रंथ धर्म सिंधु में इस तरह के मतांतरों पर पुरुषार्थ चिंतामणि में गाइड लाइन बनाई गई है। इसके अनुसार अमावस्या के निर्धारण के लिए पहले दिन प्रदोष की व्याप्ति हो और दूसरे दिन तीन प्रहर से अधिक समय तक अमावस्या हो(चाहे दूसरे दिन प्रदोष व्याप्त न हो) तो पूर्व दिन की अमावस्या (प्रदोष व्यापिनी और निशिथ व्यापिनी अमावस्या) की अपेक्षा से प्रतिपदा की वृद्धि हो तो लक्ष्मी पूजन आदि भी दूसरे दिन करना चाहिए। इस निर्णय के अनुसार चूंकि अधिकतर पंचांग में 1 नवंबर को अमावस्या 03 प्रहर से अधिक समय तक है और अन्य दृश्य पंचांगों में भी इस तिथि की प्रदोष में व्याप्ति है। इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजन और दीपावली शास्त्र सम्मत है। इसे और स्पष्ट करते हुए धर्म सिन्धु में कहा गया है कि दूसरे दिन अमावस्या भले ही प्रदोष में न हो लेकिन अमावस्या साढ़े तीन प्रहर से अधिक हो तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन सही है अर्थात् गौण प्रदोष काल में भी दूसरे दिन अमावस्या हो तो दीपावली दूसरे दिन ही शास्त्र सम्मत है। यदि लक्ष्मी पूजा और दीपावली शुक्रवार 1 नवंबर को मनाएं तो लक्ष्मी पूजा मुहूर्त शाम 05 बजकर 36 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक ही मात्र 41 मिनट को अवधि का रहेगा। इस दिन प्रदोष काल शाम 05:36 बजे से शाम 08:11 बजे तक रहेगा तो वृषभ काल शाम 06:20 बजे से शाम 08:15 बजे तक रहेगा। इस दिन लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना है। निशिता काल रात 11:39 बजे से रात 12:31बजे तक है, इस दिन सिंह लग्न 2 नवंबर को सुबह 12:50 (रात) से सुबह 03:07 बजे तक रहेगी। इस दौरान अमावस्या तिथि निशिता मुहूर्त के साथ व्याप्त नहीं है, इसलिए निशिता काल में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त नहीं है। 1 नवंबर को दिवाली लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) सुबह 06:33 बजे से सुबह 10:42 बजे तक, अपराह्न मुहूर्त (चर) शाम 04:13 बजे से शाम 05:36 बजे तक अपराह्न मुहूर्त (शुभ) दोपहर 12:04 बजे से दोपहर 01:27 बजे तक का है। हालांकि दिवाली और लक्ष्मी पूजन के मतांतर को देखते हुए स्थानीय मान्यताओं और परंपराओं, विद्वानों की राय के मद्देनजर लक्ष्मीपूजन कर सकते हैं और दीपावली मना सकते हैं। पंडित रामकिशन का कहना था कि इसी कड़ी में दूसरी तरफ काशी के विद्वानों का दिवाली को लेकर अलग मत है और हाल ही में बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में काशी के विद्वानों की दिवाली की तिथि पर चर्चा हुई। इसके बाद राजकीय महाराज आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जयपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष, काशी अखिल भारतीय विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महासचिव और राजस्थान अखिल भारतीय विद्वत परिषद के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जारी पत्र में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाने की अपील की गई है। उनके अनुसार दिवाली मनाने के लिए मुख्य काल प्रदोष में अमावस्या का होना जरूरी होता है। अबकी बार 31 अक्टूबर को प्रदोष 2 घंटे 34 मिनट रहेगा और इसलिए 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना सही होगा। अंततः दीपावली का त्यौहार अबकी बार 31 अक्टूबर को मनाया जाना ही उचित है। पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि 31 अक्टूबर को दीपावली पर लक्ष्मी पूजा का निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 39 मिनट से देर रात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक है। वहीं 31 अक्टूबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 36 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इसी दिन वृषभ लग्न का मुहूर्त शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। 31 अक्टूबर को दीपावली पर प्रदोष काल, वृषभ लग्न और चौघड़िया के हिसाब से लक्ष्मी पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर 7 बजकर 13 मिनट के बीच रहेगा। यह सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त मात्र 48 मिनट का रहेगा।
दिवाली पर इन दिशाओं में दीपक जलाने से आएगी खुशहाली….
तोशाम के प्राचीन छपारिया हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रामकिशन महाराज का कहना था कि मान्यता यह है दिवाली के दिन दान पुण्य करने से भगवान गणेश के साथ माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है तथा अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार दीपावली के दिन सही तरीके से दिए जलाएं जिसके लिए नियम तथा कई विधि है। पंडित रामकिशन महाराज ने बताया कि दीपावली के दिन दीपक जलाने के पहले अपने कुल देवता का पूजन करें फिर माता लक्ष्मी तथा गणेश जी का पूजन करें और प्रसाद चढ़ाए, एक दीपक जलाकर पूजा स्थल पर रखें। दीपावली के दिन दीपक जलाने के लिए सरसों के तेल या शुद्ध गाय के घी का उपयोग करें, ऐसा करने से घर में परिवार में खुशहाली बनी रहती है तथा माता लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं। उन्होंने बताया कि दीपावली के दिन दीपक जलाने के लिए सही समय भी चुने इस दिन दीपक सूर्यास्त के बाद तथा प्रदोष काल में दीपक जलाएं तथा माता लक्ष्मी का पूजन करें ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है वहीं धन लक्ष्मी तथा कुबेर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पंडित रामकिशन महाराज के अनुसार दीपावली के दिन दिए जलाते समय मिट्टी से बने दिए जलाएं धातु से बने दीपक का उपयोग न करें। उनका कहना था कि वास्तु के अनुसार दिया जलाना बहुत ही अनुकूल होता है। साथ ही दिशा का ध्यान देना वास्तु के लिए उत्तम होता है। दीपक जलाते समय इस बात का ध्यान रखें कि मुख्य दरवाजे के चौखट के दोनों बगल स्वास्तिक बनाएं तथा तथा उनके ऊपर दीपक जलाए इससे परिवार में शांति बनी रहती है। वहीं पूर्व दिशा में दीपक जलाने से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहता है और आय ठीक बनी रहती है तथा धन की कमी नहीं रहती है। उन्होंने बताया कि उतर दिशा में दीपक जलाने से सुख शांति तथा समृद्धि में लाभ होता है।
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