क्या बिना गिफ्ट दिए नहीं मनाया जा सकता करवा चौथ ?
जो पत्नी से करे प्यार , गिफ्ट से कैसे करे इंकार !
पति पत्नी के संबंध भी अब व्यवसाय की नजर में !
करवा चौथ के लिए बाजारों में मची है धूम,अब गिफ्टों से तोला जाएगा अपने पति के लिए प्यार?
प्रेरणा ढिंगरा
त्योहारों का सीजन चल रहा है और ऐसे में करवा चौथ शादीशुदा जोड़ों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है और उनका आशीर्वाद लेकर अपना व्रत खोलती है। ऐसे में समाज में एक नया ट्रेंड चल चुका है की हर एक पति को अपनी पत्नी के लिए तोहफा लाना भी जरूरी होता है । यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे कभी प्रेस्टीज प्रेसर कुकर का विज्ञापन टीवी चैनल पर आता था , जो पड़ती से करे प्यार प्रेशर कुक्कर से कैसे करें इंकार । आखिर पत्नी पूरा दिन उपवास रखकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है तो पति को भी अपनी पत्नी के लिए कुछ करना चाहिए। आईए जानते हैं कि यह कितना सही है और कितना गलत।
आप सब तो जाते ही होंगे कि करवा चौथ आने वाला है। ज्यादातर महिलाए बड़े उत्साह से इसकी तैयारी में लगी हुई है। नए कपड़े, गहने और अपने श्रृंगार के लिए हर एक जरूरी सम्मान की खरीदारी की जा रही है। इस दिन महिलाएं ‘निर्जला’ व्रत रखती हैं और शिव परिवार की पूजा करती हैं। इसके साथ ही महिलाएं अपने पतियों की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। वहीं, इस मौके पर पति अपनी पत्नी को खुश करने के लिए तोहफे खरीदने मे लगे हैं। ताकि उनका वैवाहिक जीवन खुशियों से भर जाए और उनकी पत्नी के चेहरे पर मुस्कान देख पत्तियों के लिए किया गया व्रत सफल हो जाए। पर आज के जमाने में करवा चौथ का मतलब पूरी तरीके से बदल चुका है। शायद यह कहना सही होगा कि करवा चौथ बस सजने के लिए और पति से बड़ा गिफ्ट मांगने का एक जरिया बन चुका है। ऐसा लगता है कि कौन सी महिला सबसे ज्यादा महंगा सरप्राइज अपने पति से पाती है, बस इसी बात पर यह पूरा त्यौहार टिका गया है। अगर गिफ्ट बड़ा तो पति अच्छा और अगर गिफ्ट छोटा तो पति बुरा। इन सब बातों को देख एक सवाल मन में उठता है कि क्या यह सही है? लगता है कि जैसे करवा चौथ का धार्मिक महत्व तो मानो खत्म ही हो चुका हो।
क्यों मनाया जाता है करवा चौथ?
ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ को देवी पार्वती की पूजा करने से रिश्ते में मधुरता आती है। साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है। इसलिए सनातन धर्म में इस व्रत का बहुत ज्यादा महत्व है। पौराणिक काल से यह मान्यता भी चली आ रही है कि पतिव्रता सती सावित्री के पति सत्यवान को लेने जब यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी ने यमराज से अपने पति के प्राण वापस मांगने के लिए प्रार्थना करनी शुरू करी। सावित्री ने यमराज से कहा कि वह उसके सुहाग को वापस लौटा दें और उनकी जान बख्श दे। मगर यमराज ने उसकी बात ना सुनी उसके बाद सावित्री अन्न जल त्यागकर अपने पति के मृत शरीर के पास बैठकर विलाप करने लग गई। यमराज को सावित्री पर दया आने लगी और उन्हें यमराज ने एक वर मांगने के लिए कहा। इस पर सावित्री ने कई बच्चों की मां बनने का वर मांग लिया। सावित्री पतिव्रता नारी थी और अपने पति के अलावा किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती थी तो यमराज को भी उसके आगे झुकना पड़ा और सत्यवान को जीवित करना पड़ा। तभी से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएं सावित्री की तरह निर्जला व्रत करती है।
करवा चौथ के लिए सज गया बाजार
जरा सोचिए सावित्री ने अपने पति की जान बचाने के लिए हर एक हद पार कर दी और आज के समय में करवा चौथ सिर्फ सच में और से करने के लिए एक त्यौहार बनकर रह चुका है। पर इसका असली मतलब और इसके पीछे की कहानी आज की सच्चाई से मेल नहीं खाती। मार्केट में करवा चौथ के लिए धूम मची हुई है। आभूषण, सोना और चांदी की खरीदी के लिए लोग दुकानों पर जाने लगे हैं। पर्व को लेकर शहर के विभन्न ब्यूटी पार्लरों में महिलाओं का सजने-संवरने के लिए आने का सिलसिला शुरू हो चुका है । सुंदर साड़ियां और सूट महिलाओं को लुभा रही है। लेकिन महिला यह भूल चुकी है कि करवा चौथ का असली मतलब अपने पति के साथ समय बिताना है और भगवान से उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करना है। महिलाओं को सच्चे मन से सावित्री की तरह भगवान कि आराधना करनी चाहिए । न की महंगे गिफ्ट की लालसा मन में हो ।
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