शारदीय नवरात्रि कल से शुरू: जानें कलश स्थापना का मुहूर्त, विधि और मां शैलपुत्री की पूजा
शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है, और इस दिन कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। इस दौरान मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप, मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि का समय बेहद पवित्र माना जाता है, और यह 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करने का अवसर प्रदान करता है।
कलश स्थापना का मुहूर्त और विधि
नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। इस साल 3 अक्टूबर को सुबह 6:07 बजे से लेकर 9:30 बजे तक शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जा सकता है। इसके अलावा, 11:37 बजे से 12:23 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना की जा सकती है।
कलश स्थापना सामग्री:
कलश स्थापना के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, उनमें कलश, जल, पान का पत्ता, अक्षत, कुमकुम, आम के पत्ते, मौली, रोली, केसर, दूर्वा-कुश, सुपारी, फूल, सूत, नारियल, अनाज, लाल कपड़ा, ज्वारे, और सिक्के शामिल होते हैं। यह सभी सामग्री सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का प्रतीक मानी जाती है।
विधि:
- सबसे पहले, देवी-देवताओं का आह्वान करें और एक मिट्टी के पात्र में ज्वारे के बीज डालें।
- गंगाजल से भरे हुए कलश पर मौली बांधें और उसमें सुपारी, अक्षत और सिक्का डालें।
- कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर मौली बांध दें।
- फिर जमीन को साफ करके ज्वारे और कलश स्थापित करें।
- कलश स्थापना के बाद नौ दिनों तक इसमें नियमित जल अर्पित करें और मां दुर्गा की पूजा आरंभ करें।
मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। वह हिमालय की पुत्री और नवदुर्गा के प्रथम स्वरूप हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पूर्व जन्म में वह सती थीं, जिन्होंने दक्ष प्रजापति के यज्ञ में आत्मदाह कर लिया था। अगले जन्म में वह शैलपुत्री के रूप में जन्मी और भगवान शिव से विवाह किया।
मां शैलपुत्री की पूजा से आध्यात्मिक शक्ति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर भक्तजन उनके आशीर्वाद से कष्टों से मुक्ति और सुख-शांति की कामना करते हैं।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!