यह रिश्ता क्या कहलाता है ! भाजपा ने गोपाल कांडा के आगे घुटने टेके
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के तहत गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी के सामने अपने उम्मीदवार को हटाकर नए समीकरणों को जन्म दे दिया है।
भाजपा और गोपाल कांडा: गठबंधन की उलझन
हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट पर सोमवार को भाजपा ने अपने उम्मीदवार का नामांकन वापस लेकर गोपाल कांडा को समर्थन दिया, जो 2019 में एनडीए का हिस्सा थे। हालांकि, 2024 के चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने कांडा की पार्टी से अपना गठबंधन तोड़ दिया था, जिसका कारण सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और कांडा के बीच खींचतान थी। कांडा सिरसा सहित दो सीटों की मांग कर रहे थे, जिनमें से एक पर रणजीत चौटाला भी दावा कर रहे थे।
कांडा ने नई राह पकड़ी
गठबंधन टूटने के बाद गोपाल कांडा ने इनेलो-बसपा गठबंधन से हाथ मिलाया और सिरसा सीट से खुद उम्मीदवार बन गए। रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांडा ने यह स्पष्ट किया कि उनका रिश्ता भाजपा और आरएसएस से पुराना है और वह अभी भी एनडीए का हिस्सा हैं। उनके इस बयान से राजनीतिक माहौल गरमा गया।
सिरसा में सीधा मुकाबला: कांडा बनाम कांग्रेस
सोमवार को नामांकन वापसी के आखिरी दिन भाजपा ने अपने उम्मीदवार का पर्चा वापस लेकर कांडा को सिरसा सीट पर वॉकओवर दे दिया। अब कांडा का सीधा मुकाबला कांग्रेस उम्मीदवार से होगा।
कौन हैं गोपाल कांडा?
जूते की दुकान से लेकर हरियाणा की राजनीति में बड़ा नाम बनने तक गोपाल कांडा का सफर बेहद रोचक है। 2000 में इनेलो प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला के करीब रहने वाले कांडा ने गुड़गांव में जमीनों के कारोबार में अपनी किस्मत बदली। उन्होंने अपने पिता मुरलीधर के नाम पर एमडीएलआर एयरलाइन शुरू की, जिसके बाद एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की आत्महत्या के मामले में उन्हें कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 2023 में कांडा को इस केस से बरी कर दिया गया।
भाजपा की इस ताजा राजनीतिक चाल ने हरियाणा की चुनावी तस्वीर को फिर से नया मोड़ दे दिया है।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!