खजूर दूध के 6 स्वास्थ्य लाभ
नाभि खिसकना, नाभि टलना, नलै-नरै होना, धरण डिगना (Naval Displacement)
अलग-अलग क्षेत्रों में इस समस्या को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। नाभि का खिसकना एक ऐसी स्थिति है जिसके कारण कई लोग पाचन से संबंधित समस्याओं और अन्य विकारों का अनुभव कर सकते हैं। जब तक नाभि अपनी प्राकृतिक स्थिति में नहीं लौटती, इन विकारों को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
नाभि टलना क्या है?
नाभि के मध्य ह्रदय-स्पंदन (धड़कन) महसूस की जानी चाहिए। कई कारणों से, यह अपने स्थान से खिसक जाती है और धड़कन इधर-उधर महसूस की जा सकती है। यह समस्या कुछ लोगों के लिए असुविधाजनक हो सकती है, लेकिन इसका समाधान अक्सर सरल प्रक्रियाओं से किया जा सकता है।
नाभि का टलना कैसे चेक करें?
आप नाभि के स्थान को विभिन्न तरीकों से चेक कर सकते हैं:
सीधे खड़े होकर दोनों हाथों की कनिष्ठा उंगली की लंबाई की तुलना करें। यदि दोनों उंगलियां असमान हैं, तो नाभि का स्थान बदल सकता है।
समतल जगह पर लेटने के बाद, दोनों पैरों के अंगूठों की लंबाई देखें। असमान अंगूठे नाभि खिसकने का संकेत हो सकते हैं।
किसी अन्य व्यक्ति से नाभि के मध्य से दोनों निप्पल्स की दूरी नापने को कहें। यदि यह दूरी असमान हो, तो नाभि खिसकी हुई हो सकती है।
दूसरे व्यक्ति को नाभि के बीचों-बीच उंगली से हल्के दवाब देकर ह्रदय स्पंदन चेक करने को कहें। यदि धड़कन बीच से इधर-उधर महसूस हो रही है, तो नाभि का स्थान बदला हो सकता है।
नाभि को वापिस स्थान पर लाने के तरीके
पेट को हल्के दवाब से चेक करें कि क्या यह दुखता है या सख्त है। यदि ऐसा नहीं है, तो सुबह खाली पेट (फ्रेश होने के बाद) समतल जगह पर लेटें और नाभि पर बर्फ का कटोरा रखें। इसे तब तक रखें जब तक कि आप इसे सहन कर सकें।
यदि पेट सख्त है, तो सोते समय एक विशेष रोटी (जिसकी एक तरफ कच्ची हो) बनवाएं। उस कच्ची वाली तरफ सरसों या तिल का तेल लगाकर रोटी को नाभि पर रखें और कपड़े से बांध लें। यह प्रक्रिया 2-4-6 रातों तक दोहराएं, जब तक पेट मुलायम न हो जाए।
पेट मुलायम होने पर बर्फ का कटोरा नाभि पर रखने की प्रक्रिया को फिर से अपनाएं। 1 से 4 दिनों तक आवश्यकतानुसार यह प्रक्रिया दोहराएं जब तक नाभि अपने स्थान पर न आ जाए।
नाभि के सही स्थान पर बने रहने के लिए सुझाव:
भारी वजन उठाने से बचें, और अगर उठाना हो, तो धीरे-धीरे उठाएं।
ज्यादा देर खाली पेट न रहें।
असमतल जगह पर चलने और झटके से बचें।
सुपाच्य भोजन करें और प्रतिदिन नाभि में सरसों का तेल, घी, या पंचगव्य इत्यादि लगाएं।
नाभि को सुरक्षित रखने के लिए अतिरिक्त उपाय:
नाभि को सेट करने के बाद काला धागा या चाँदी/लोहे के छल्ले पैरों के अंगूठों में डालने से कुछ लोगों को लाभ होता है।
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