ना घर के रहे ना घाट के: कन्हैया मित्तल की कांग्रेस में जाने की घोषणा और फिर यू-टर्न
2 दिन में ही उतरा कांग्रेस का भूत
प्रख्यात भजन गायक कन्हैया मित्तल, जो अपने प्रसिद्ध भजन “जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे” के लिए जाने जाते हैं, हाल ही में राजनीति में शामिल होने के फैसले से चर्चाओं में आ गए। रविवार को मित्तल ने कांग्रेस ज्वाइन करने की घोषणा की, जिसके बाद उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा। दो दिनों के भीतर ही मित्तल ने अपना फैसला बदलते हुए कांग्रेस में शामिल न होने की घोषणा कर दी।
कांग्रेस में जाने की घोषणा
रविवार को मित्तल ने फेसबुक लाइव आकर कहा कि वह कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं। उनके इस बयान के बाद सनातनी समाज और उनके प्रशंसकों में हलचल मच गई। मित्तल ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि हर राजनीतिक दल में सनातन धर्म की बात होनी चाहिए, न कि केवल किसी एक पार्टी में। हालांकि, इस घोषणा के बाद से मित्तल सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गए।
सोशल मीडिया पर आलोचना
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कन्हैया मित्तल को अपशब्द लिखे और आरोप लगाया कि वह ‘मतलब की राजनीति’ कर रहे हैं। लोगों ने कहा कि भाजपा से उनका मन ऊब गया है, इसलिए अब कांग्रेस में उन्हें राम नजर आने लगे हैं। कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि मित्तल ‘मौकापरस्त’ हैं। भाजपा से जुड़े लोगों ने भी उनके इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह निर्णय उनके राजनीतिक स्वार्थ का परिचायक है।
यू-टर्न और कांग्रेस में न जाने की घोषणा
दो दिनों की आलोचना और ट्रोलिंग के बाद, कन्हैया मित्तल ने मंगलवार को एक बार फिर से फेसबुक लाइव किया, जिसमें उन्होंने अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए कांग्रेस में न जाने की घोषणा की। उन्होंने अपने प्रशंसकों और सनातनी अनुयायियों से माफी मांगते हुए कहा, “मुझसे गलती हो गई थी, मुझे माफ कर दें। मैं कांग्रेस में नहीं जाऊंगा।”
उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हैं और उनके प्रति कोई नाराजगी नहीं है। यह बयान कन्हैया मित्तल के पहले लाइव वीडियो से बिल्कुल अलग था, जिसमें उन्होंने कहा था कि “भाजपा ने मुझे सिर्फ इस्तेमाल किया है, मैं भाजपा का सदस्य नहीं हूं।”
क्या मित्तल को सनातनी माफ करेंगे?
अब सवाल यह है कि कन्हैया मित्तल की इस यू-टर्न के बाद क्या सनातन धर्म के लोग और उनके प्रशंसक उन्हें माफ करेंगे? मात्र दो दिनों में अपने निर्णय को बदलकर मित्तल ने अपनी साख पर सवाल खड़ा कर दिया है।
सोशल मीडिया पर हो रही ट्रोलिंग और आलोचना ने उनके फैसले को प्रभावित किया, लेकिन यह भी स्पष्ट है कि मित्तल के इस कदम से उनके राजनीतिक भविष्य पर असर पड़ा है। मित्तल के इस बयान के बाद उनके समर्थक उनके साथ बने रहेंगे या नहीं, यह देखने वाली बात होगी।
कन्हैया मित्तल का कांग्रेस में जाने और फिर न जाने का यह प्रकरण यह दिखाता है कि राजनीति में फैसले कितने जल्दी बदल सकते हैं। सनातन धर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए, मित्तल ने अपना निर्णय बदला। हालांकि, यह देखना बाकी है कि उनके इस कदम का उनके करियर और छवि पर कैसा प्रभाव पड़ेगा।
क्या मित्तल अपनी खोई हुई साख वापस पा सकेंगे? यह सवाल आने वाले समय में ही जवाब देगा।
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