मैं श्राप देता हूं , पार्टी सीट हार जायेगी :भाजपा हो या कांग्रेस हर जगह यही हाल
जनता क्यो करे भरोसा इन दलबदूलों से ,जो अपनी ही पार्टी के न हुए!
बीजेपी के बाद कांग्रेस के नेता हुए नाराज, बगावत दोनों जगह तो कहां करें वोट?
चंडीगढ़ केशव माहेश्वरी / प्रेरणा ढिंगरा
एक जमाना था जब ऋषि मुनि किसी व्यक्ति पर दुष्ट हो जाते हैं तो वह उसको श्राप दे देते थे । और श्राप के रूप में ज्यादातर मौके पर अनिष्ट की ही कामना की जाती थी । और यह परंपरा सतयुग से लेकर कलयुग तक कायम है । हां यह अलग बात है कि सतयुग में श्राप फलीभूत हो जाता था पर कलयुग में फलीभूत होगा या नहीं होगा इस बात को कह पाना मुश्किल काम है । दरअसल हरियाणा में विधानसभा के चुनाव की दुंदुभी बजी हुई है , राजनीतिक पार्टियों चुनाव जीतने वाले उम्मीदवारों को टिकट दे रही हैं पर जिन उम्मीदवारों को अपनी पार्टी से टिकट की आस्था और टिकट नहीं मिला वह जब तक पार्टी से टिकट की आज से तब तक तो पार्टी का गुणगान कर रहे थे पर जैसे ही टिकट कटी पार्टी को श्राप देने पर उतर आए । और कई नेताओं ने तो अपनी मूल पार्टी के लिए कह भी दिया , अबकी बार , डूब गई नैया यार और यह श्राप देखकर नेताजी ने अपने लिए दूसरी नौका तलाश करने में लग गए , ताकि चुनावी रूपी इस गंगा को पार किया जा सके ।
हरियाणा में कांग्रेस की पहली लिस्ट जारी होने के बाद अब बगावत भी सामने आने लगी है। जैसा बीजेपी के साथ हुआ वैसा ही कुछ कांग्रेस में भी देखने को मिल रहा है। हॉट सीट बरोदा से एक बार फिर कांग्रेस ने इंदु राज भालू को अपना प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया है, पर टिकट ना मिलने से नाखुश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपूर सिंह नरवाल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर वादाखिलाफी का आरोप लगा दिया है। ऐसे में कई सारे सवाल खड़े होते हैं, जैसे आखिर नेता कौन सी पार्टी के पक्ष में है? आखिर कहां उन्हें मिलती है असली खुशी?
आपको बता दे की कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा चुनाव की पहली लिस्ट जारी कर दी है, इसके बाद कई नेता पार्टी की फैसले से नाराज चल रहे हैं। टिकट मिलने की चाह पर रोक लगने के बाद कांग्रेस पार्टी के नेताओं का कहना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बातों पर खरे नहीं उतरे। इस लिस्ट में पहला नाम है बहादुरगढ़ के राजेश जून का है। उन्होंने अब निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी करी पर दोनों ही पार्टियों के फैसले से उन्हीं के नेता विरोध कर रहे हैं। जिन नेताओं को उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगी पर लिस्ट में उनका नाम नहीं, तो ऐसे माहौल में एक बगावत सी छिड़ चुकी है। उनके अपने ही नेताओं ने पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। अब ऐसे समय पर सारे सवाल खड़े होते है। पहले लिस्ट के बाद भाजपा को छोड़कर कई नेताओं ने कांग्रेस का हाथ थामा था वैसा ही कुछ अब कांग्रेस के नेता क्या करेंगे? हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी के नेता अपनी ही पार्टी से खुश नहीं तो जनता इन पार्टियों पर कैसे भरोसा करें? कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने वादे से पलटते हैं, तो क्या ऐसा वह जनता के साथ भी करेंगे? एक और सवाल मन में आता है कि नेता को कौन सी पार्टी से लगाव है कांग्रेस, भाजपा या सीट?
अपनी ही नेताओं ने दिए चुनाव से पहले झटके
दो सीटों पर कांग्रेस नेताओं ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। बारोदा सीट पर इंदु राज भालू को मैदान में उतारने का फैसला कांग्रेस के लिए भारी पड़ गया क्योंकि वहां से कपूर सिंह नरवाल जो की टिकट मिलने की आस लगाए बैठे थे, उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर वार कर दिया है। उनका कहना है कि “भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनके साथ नहीं, बल्कि बरोदा की जनता के साथ धोखा किया है। इसका जवाब जनता ही देगी।”
कांग्रेस की लिस्ट जारी होने के बाद पार्टी के बड़े नेता राजेश जून ने फैसला किया है कि वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। उनका कहना है कि उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो क्या हुआ चुनाव से वह पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा है कि “मेरे साथ कांग्रेस नेतृत्व ने धोखा किया है। लेकिन मैं हार नहीं मानने वाला हूं मैं इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की तुलना मे दोगुने वोट लेकर विधायक चुना जाऊंगा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने मुझसे वादा किया था कि मुझे टिकट देंगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं।”
पार्टी ने जारी की 32 उम्मीदवारों की लिस्ट
पहली लिस्ट के मुताबिक पार्टी के दिग्गज नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक की गढ़ी सांपला किलोई सीट से चुनाव के मैदान में उतरेंग और उनके खिलाफ भाजपा ने मंजू हुड्डा को अपना प्रत्याशी बनाया है। सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा के 4 समर्थक विधायकों को फिर से टिकट देने का फैसला किया है। वहीं, शुक्रवार को ही कांग्रेस में शामिल हुईं पहलवान विनेश फोगाट को उनकी ससुराल जुलाना से टिकट मिला है। कुरुक्षेत्र की सीट पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के खिलाफ कांग्रेस द्वारा मेवा सिंह को टिकट दिया गया है। रेवाड़ी से लालू यादव के दामाद और 2 बार से विधायक चिरंजीव राव भी चुनावी अखाड़े में उतरेंगे। हालांकि, पार्टी ने इस बार अब तक किसी भी सांसद को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है। पार्टी ने कुमारी शैलजा कैंप के 4 समर्थकों को टिकट दिया।
लिस्ट में 9 उम्मीदवार जाट समुदाय से हैं, अनुसूचित जाति से 9, पिछड़ा वर्ग के 7 उम्मीदवारों को जगह मिली है, 3 मुस्लिम, 2 ब्राह्मण, 1 सिख और एक पंजाबी शख्श का लिस्ट में नाम शामिल है। पार्टी ने 5 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस की इस लिस्ट से एक बात तय हो गई है कि उसने सभी वर्गों को साथ लेने की कोशिश करी ताकि कोई सवाल ना खड़े हो सके।
जरा सोचिए अगर नेताओं को ही पार्टी पर भरोसा नहीं होगा और वह खुद ही उन पर वादों से पलटी मारने का आरोप लगाएगी तो ऐसे में जनता किसके पक्ष में वोट करेगी? नेता पूरे साल अपनी पार्टी की तारीफे करते रहते हैं और अगर उन्हें टिकट न मिले तब आरोप लगाना शुरू कर देते हैं या अपनी पार्टी का साथ छोड़ दूसरी तरफ चले जाते हैं, अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वे जनता की सेवा करने के लिए नेता बने थे या सीट की चाह उनको राजनीति के रास्ते पर लेकर आई? नेताओं की माने तो भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों की विचारधारा गलत है, तो ऐसे में सही कौन है?
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