हरितालिका तीज : जानिये पूजा में किन बातों का रखें ध्यान
शिव परिवार की पूजा का शुभ योग,6 सितंबर को देवी पार्वती की पूजा बाद 7 तारीख़ से शुरू होगा गणेश उत्सव,
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में शिव परिवार की पूजा का शुभ योग रहता है। भादौ शुक्ल तृतीया पर हरतालिका तीज (6 सितंबर) का व्रत किया जाता है। इस व्रत में देवी पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। इसके बाद अगले दिन से गणेश उत्सव (7 से 17 सितंबर तक) शुरू हो जाता है। इन दिनों में देवी पार्वती, गणेश जी के साथ ही शिव जी और कार्तिकेय स्वामी की भी पूजा करनी चाहिए ।
शिव परिवार की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। वैवाहिक जीवन की समस्याएं दूर करने के लिए शिव-पार्वती का अभिषेक करना चाहिए। बुद्धि से संबंधित कामों में सफल होना चाहते हैं तो शिव-पार्वती के साथ ही गणेश जी का भी अभिषेक करना चाहिए। गणेश जी को बुद्धि का देवता माना जाता है और इनकी पूजा से भक्तों की बुद्धि प्रखर होती है।
सौभाग्य बढ़ाने वाला व्रत है हरतालिका तीज
तीज तिथि की स्वामी देवी पार्वती ही मानी जाती हैं। इस व्रत से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, लेकिन सबसे प्रसिद्ध मान्यता देवी पार्वती से जुड़ी है। माना जाता है कि पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए ये व्रत किया था। जो महिलाएं हरतालिका तीज व्रत करती हैं, उन्हें देवी पार्वती और शिव जी की कृपा से सौभाग्य मिलता है। इस व्रत से शुभ असर से वैवाहिक जीवन सुख-शांति और प्रेम बना रहता है, जीवन साथी को लंबी उम्र, अच्छी सेहत और भाग्य का साथ मिलता है। जो कन्याएं विवाह के लिए मनचाहा वर पाना चाहते हैं, वे भी हरतालिका व्रत करती हैं।
हरतालिका तीज पर दान-पुण्य करना न भूलें
तीज पर व्रत करने के साथ ही दान-पुण्य भी जरूर करना चाहिए। जरूरतमंद सुहागिन महिलाओं को सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, साड़ी, कुमकुम, बिंदिया, आभूषण आदि चीजें दान कर सकते हैं। महिलाओं को फलाहार भोजन कराएं। छोटी कन्याओं की पूजा करें और पढ़ाई से जुड़ी चीजें दान करें।
7 से 17 सितंबर तक करें गणेश जी के साथ शिव-पार्वती की पूजा
7 तारीख से गणेश उत्सव शुरू हो रहा है। इस दिन घर में गणेश जी की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित करें। रोज सुबह गणेश जी के साथ ही शिव-पार्वती और कार्तिकेय स्वामी की भी पूजा करें। मान्यता है कि गणेश उत्सव के दिनों में की गई पूजा से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका शुभ असर जीवन भर बना रहता है। इन दिनों में ज्योतिर्लिंग, शक्तिपीठ और अष्टविनायक मंदिरों में दर्शन-पूजन भी करना चाहिए। अगर इन मंदिरों में भी दर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो अपने शहर के पौराणिक मंदिरों में दर्शन-पूजन कर सकते हैं।
हेमंत किगरं ( समाजसेवी)
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