सेबी कर्मचारियों का टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन, सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग
सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के सैकड़ों कर्मचारियों ने 5 सितंबर को टॉप मैनेजमेंट के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने सेबी के कामकाज के तरीके को लेकर गंभीर आरोप लगाए और सेबी चीफ माधबी पुरी बुच के इस्तीफे की मांग की।
कर्मचारियों का आरोप है कि टॉप मैनेजमेंट ने उन पर अनुचित दबाव डाला, जिससे कार्यस्थल का माहौल तनावपूर्ण हो गया। कर्मचारियों ने यह भी कहा कि उन्हें अनरियलिस्टिक टारगेट दिए जा रहे थे और माइक्रोमैनेजमेंट के कारण उनका कामकाज प्रभावित हो रहा था। इस मुद्दे को लेकर पिछले महीने कर्मचारियों ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया था, जिसमें उन्होंने सेबी में टॉक्सिक वर्क कल्चर का जिक्र किया था।
सेबी का बयान: कर्मचारियों पर गुमराह करने का आरोप
इन आरोपों के जवाब में 4 सितंबर को सेबी ने एक बयान जारी किया था, जिसमें कहा गया कि कुछ कर्मचारी जानबूझकर निगेटिव वर्क एनवायरमेंट की कहानी बना रहे हैं और बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह किए जा रहे हैं। सेबी ने यह भी कहा कि कुछ कर्मचारी हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में 55% की बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं, जो एक अलग मुद्दा है, लेकिन इसे वर्क कल्चर से जोड़कर पेश किया जा रहा है।
ZEE के फाउंडर ने लगाए थे भ्रष्टाचार के आरोप
इससे पहले, 3 सितंबर को ZEE के फाउंडर सुभाष चंद्रा ने सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा कि सेबी की चेयरपर्सन बनने से पहले बुच और उनके पति की संयुक्त आय लगभग 1 करोड़ रुपए प्रति वर्ष थी, जो अब बढ़कर 40-50 करोड़ रुपए प्रति वर्ष हो गई है।
कांग्रेस का आरोप: तीन जगहों से सैलरी लेने का मामला
कांग्रेस पार्टी ने भी 4 सितंबर को सेबी चेयरपर्सन पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने SEBI में रहते हुए ICICI बैंक समेत तीन जगहों से सैलरी ली। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि यह मामला जांच का विषय है और इसमें गहरी साजिश हो सकती है। ICICI बैंक ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि माधबी पुरी बुच को सिर्फ रिटायरमेंटल बेनिफिट्स दिए गए हैं, न कि कोई सैलरी या एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन।
आंदोलन के बाद स्थिति
5 सितंबर को हुए इस प्रदर्शन के बाद सेबी के कार्यालयों में कामकाज प्रभावित हुआ। कर्मचारियों ने यह स्पष्ट किया है कि वे अपने आंदोलन को जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं। सेबी के लिए यह स्थिति गंभीर है, क्योंकि कर्मचारियों के असंतोष का असर संस्था की कार्यक्षमता पर पड़ सकता है। अब देखना यह होगा कि सेबी और सरकार इस मुद्दे का समाधान कैसे करती है।
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