हरियाणा में भाजपा की टिकट बंटवारे के बाद नेताओं में असंतोष, इस्तीफों की बाढ़, कई दिग्गज नेता बगावत पर उतरे
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा पहली सूची जारी होते ही पार्टी के भीतर बगावत का माहौल बन गया है। टिकट कटने से नाराज़ कई बड़े नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और कुछ ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पार्टी में असंतोष इस कदर बढ़ गया है कि हरियाणा के अलग-अलग जिलों से पार्टी के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
सोनीपत में कविता जैन और समर्थकों का बगावती तेवर
सोनीपत से दो बार विधायक और हरियाणा की पूर्व मंत्री कविता जैन का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। कविता जैन, जिनका राजनीतिक कद सोनीपत में काफी बड़ा है, टिकट न मिलने से आहत हैं। उन्होंने कहा कि वे 8 सितंबर तक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से इस मामले पर फैसला करने का इंतजार करेंगी। इसके बाद ही वे अपनी अगली रणनीति तय करेंगी। उनके पति राजीव जैन, जो मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के OSD रह चुके हैं, दिल्ली में पार्टी आलाकमान से बातचीत कर रहे हैं।
सोनीपत में कविता जैन के समर्थकों ने भाजपा के खिलाफ नारेबाजी की और निखिल मदान को टिकट देने के फैसले पर कड़ा विरोध जताया। इस विरोध के बीच कई पदाधिकारियों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। कविता जैन ने रोते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी की वर्षों तक सेवा की है, लेकिन अब पार्टी उन्हें नजरअंदाज कर रही है। उनके समर्थकों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बड़े पैमाने पर बगावत करेंगे।
रेवाड़ी और कोसली में भी बगावत की लहर
रेवाड़ी और कोसली में भी भाजपा के टिकट बंटवारे को लेकर पुरानी पार्टी के नेताओं ने नाराजगी जाहिर की है। रेवाड़ी से डॉ. सतीश खोला, जो कि लंबे समय से भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं, ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। डॉ. खोला ने कहा कि उन्होंने पार्टी के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया, लेकिन अब पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिससे वे निराश हैं। रेवाड़ी के पूर्व विधायक रणधीर सिंह कापड़ीवास और सतीश यादव भी बगावत की राह पर हैं और जल्द ही अपने समर्थकों के साथ बैठक कर बड़ा फैसला ले सकते हैं।
इसी तरह कोसली से अनिल डहीना को टिकट मिलने के बाद पुराने भाजपाई नेताओं में गहरा असंतोष है। अनिल डहीना को केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का करीबी माना जाता है, और यही वजह है कि पार्टी ने उन्हें टिकट दिया। हालांकि, इस फैसले से विक्रम ठेकेदार और अभिमन्यु यादव जैसे पुराने नेताओं की नाराजगी बढ़ गई है। यह स्थिति भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इन बगावतों का असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है।
फतेहाबाद के विधायक लक्ष्मण नापा का इस्तीफा और कांग्रेस में जाने की तैयारी
फतेहाबाद की रतिया विधानसभा सीट से भाजपा विधायक लक्ष्मण नापा ने टिकट कटने के बाद पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आधी रात को ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए। दिल्ली में वे कांग्रेस पार्टी में शामिल होंगे। लक्ष्मण नापा ने पहले ही बागी तेवर दिखाते हुए पार्टी के निर्णय के खिलाफ नाराजगी जाहिर की थी। अब उन्होंने कांग्रेस में जाने का फैसला किया है, जिससे भाजपा को एक और बड़ा झटका लगा है।
कर्ण देव कांबोज का इस्तीफा और भाजपा पर गंभीर आरोप
हरियाणा के पूर्व मंत्री कर्ण देव कांबोज ने भी इंद्री विधानसभा सीट से टिकट न मिलने के बाद भाजपा से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि अब भाजपा वह पार्टी नहीं रही जो पहले थी। कर्ण देव कांबोज ने कहा कि पार्टी में वफादार कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है और गद्दारों को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि भाजपा ने उनके योगदान को नजरअंदाज किया और ऐसे लोगों को टिकट दिया जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं। कांबोज का यह फैसला इंद्री क्षेत्र में भाजपा के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि वे इलाके में एक प्रभावशाली नेता रहे हैं।
रणजीत चौटाला और अन्य नेताओं का असंतोष
हरियाणा के रानियां से भाजपा के बिजली मंत्री रणजीत चौटाला का टिकट कटने के बाद उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बैठक बुलाई है। रणजीत चौटाला, जो देवीलाल के बेटे हैं, ने संकेत दिया है कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं, हिसार से भाजपा विधायक तरुण जैन ने भी टिकट न मिलने पर पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है। उनके समर्थकों ने भी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ विरोध जताया है।
भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ीं
भाजपा की पहली सूची जारी होते ही हरियाणा में बगावत का माहौल बन गया है। कई जिलों में पार्टी के नेता और कार्यकर्ता नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, जिससे भाजपा के लिए चुनावी तैयारियां चुनौतीपूर्ण हो गई हैं। हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनावों में भी टिकट वितरण के बाद इसी तरह की बगावत देखी गई थी, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ था। अब 2024 के चुनाव में भी अगर यही स्थिति बनी रहती है, तो भाजपा को बड़े स्तर पर नुकसान झेलना पड़ सकता है।
हरियाणा में भाजपा की स्थिति कमजोर होती दिख रही है, और आने वाले दिनों में पार्टी को इन बगावतों से निपटने के लिए कड़ी रणनीति बनानी होगी।
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