15 महीनों में सबसे धीमी GDP ग्रोथ, अप्रैल-जून 2024 में केवल 6.7% की वृद्धि
देश की अर्थव्यवस्था के लिए यह तिमाही बुरी खबर लेकर आई है। वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2024) में भारत की GDP ग्रोथ घटकर 6.7% पर आ गई है, जो पिछले 15 महीनों में सबसे कम है। यह गिरावट पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 7.8% की तुलना में स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। यह आंकड़ा देश की आर्थिक प्रगति में एक अहम संकेतक है और विभिन्न सेक्टर्स में उतार-चढ़ाव का प्रतिनिधित्व करता है।
कृषि और खनन सेक्टर में गिरावट
भारत के सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक, कृषि और खनन सेक्टर, इस तिमाही में सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। कृषि क्षेत्र की ग्रोथ घटकर 2% रह गई, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में यह 3.7% थी। इसी तरह, खनन सेक्टर में भी मामूली वृद्धि देखी गई, जो इस तिमाही में 7.2% रही, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 7% थी।
मैन्युफैक्चरिंग और बिजली उद्योग में उछाल
वहीं, दूसरी ओर मैन्युफैक्चरिंग और बिजली क्षेत्र ने मजबूती दिखाई है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ अप्रैल-जून 2024 में 7% रही, जबकि पिछले वर्ष की इसी तिमाही में यह 5% थी। बिजली उद्योग ने इस बार शानदार प्रदर्शन किया है, जिसकी ग्रोथ 10.4% रही, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में 3.2% थी।
अन्य प्रमुख सेक्टर्स की स्थिति
- निर्माण (कंस्ट्रक्शन) सेक्टर: इस तिमाही में 10.5% की ग्रोथ देखी गई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 8.6% थी।
- सार्वजनिक प्रशासन और सेवा क्षेत्र: 9.5% की वृद्धि के साथ, इस सेक्टर ने मजबूती दिखाई, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही में 8.2% थी।
- व्यापार और होटल सेक्टर: यहां गिरावट दर्ज की गई है। इस तिमाही में ग्रोथ घटकर 5.7% रह गई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 9.7% थी।
GDP और GVA में गिरावट का असर
वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) भी घटकर 6.8% रह गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 8.3% था। GDP और GVA के इन आंकड़ों से साफ है कि देश की अर्थव्यवस्था धीमी गति से आगे बढ़ रही है, जो भविष्य के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
GDP और GVA: क्या हैं इनके मायने?
GDP किसी देश में एक निश्चित अवधि के भीतर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य का माप है। यह देश की अर्थव्यवस्था की सेहत का संकेतक होता है। GDP में उन विदेशी कंपनियों का उत्पादन भी शामिल होता है, जो देश की सीमा के अंदर रहकर उत्पादन करती हैं।
GDP दो प्रकार की होती है: रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत का कैलकुलेशन बेस ईयर (फिलहाल 2011-12) की स्थिर कीमतों पर किया जाता है, जबकि नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन मौजूदा कीमतों पर किया जाता है।
GVA (ग्रॉस वैल्यू एडेड) से किसी अर्थव्यवस्था में हुए कुल आउटपुट और इनकम का अनुमान मिलता है। GVA यह बताता है कि एक निर्धारित अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल की लागत निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। मैक्रो लेवल पर, GDP में से सब्सिडी और टैक्स घटाने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है।
देश की GDP में गिरावट और प्रमुख सेक्टर्स में उतार-चढ़ाव यह संकेत देते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाली तिमाहियों में अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ती है और सरकार एवं उद्योगों द्वारा किस तरह की नीतियां अपनाई जाती हैं।
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