गणेश चतुर्थी 2024: जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और इस पावन त्योहार के अनुष्ठान
गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी या गणेश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, भगवान गणेश के जन्म का पर्व है। गणेश जी को बुद्धि, समृद्धि और शुभता के देवता माना जाता है, और वे सभी बाधाओं को दूर करने वाले विघ्नहर्ता के रूप में पूजे जाते हैं। यह त्योहार भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे राज्यों में।
गणेश चतुर्थी 2024 की तारीख क्या है?
इस साल गणेश चतुर्थी का पर्व 6 सितंबर 2024 से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा। गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी और रक्षाबंधन की तरह ही, इसके उत्सव की तारीख को लेकर कुछ भ्रम बना रहता है। हालांकि, इस साल यह दस दिन का उत्सव 6 सितंबर से शुरू होगा।
गणेश चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त और तिथि
द्रिक पंचांग के अनुसार, गणपति की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश को घर लाने का शुभ समय 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर को शाम 05:37 बजे तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त 7 सितंबर 2024 को सुबह 11:03 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है।
गणेश चतुर्थी 2024: अनुष्ठान और उत्सव
भगवान गणेश को हिंदू धर्म में विशेष स्थान प्राप्त है, और वे सभी धार्मिक अनुष्ठानों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। गणेश चतुर्थी की तैयारी महीनों पहले ही शुरू हो जाती है, जिसमें भगवान गणेश की मूर्तियों का निर्माण और सजावट शामिल है।
गणेश चतुर्थी के चार मुख्य अनुष्ठान हैं – प्राणप्रतिष्ठा, षोडशोपचार, उत्तरपूजा और विसर्जन। लोग अपने घरों को फूलों और रंगोली से सजाते हैं और गणेश जी की मिट्टी की मूर्तियों को अपने घरों में स्थापित करते हैं। सार्वजनिक पंडालों, कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में भी भव्य रूप से गणेश जी की मूर्तियों की स्थापना की जाती है।
प्राणप्रतिष्ठा अनुष्ठान में पुजारी मंत्रों का जाप कर भगवान गणेश की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठित करते हैं। इसके बाद षोडशोपचार पूजा की जाती है, जिसमें 16 अलग-अलग विधियां शामिल होती हैं। महाराष्ट्र का प्रसिद्ध मीठा मोदक गणपति जी का प्रिय प्रसाद माना जाता है, जिसे पूजा में भगवान को भोग के रूप में चढ़ाया जाता है।
लोग इस त्योहार को धार्मिक भजनों, ढोल-नगाड़ों पर नाचते हुए और स्वादिष्ट भोजन बनाकर मनाते हैं। गणेश चतुर्थी का तीसरा मुख्य अनुष्ठान उत्तरपूजा है, जिसमें गणपति बप्पा को विदाई दी जाती है।
गणेश चतुर्थी के दसवें और अंतिम दिन गणपति विसर्जन की परंपरा निभाई जाती है, जिसमें गणेश जी की मूर्ति को श्रद्धा पूर्वक किसी पास के नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है। इस समय भक्तगण “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के जयकारे लगाते हैं।
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