8 महीने में मात्र एक चिकित्सालय में 114 बेटियो का हुआ गर्भपात / प्रसव
क्या से क्या हो गया…?
आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में असुरक्षित हो गई बेटिया, वासना के भूखे दंरिदो ने घेरा डाला
बैतूल से रामकिशोर पंवार की सचित्र रिर्पोट
बैतूल। बहुंत पहले पंजाब के युवाओ में नशे की लत को लेकर बनी फिल्म उड़ता पंजाब आई थी। फिल्म में युवाओ को बुरी तरह से जकड़ चुके नशे को लेकर होने वाली स्थिति एवं परिस्थिति को दिखाया गया था। देश की राजधानी से लगभग 942.2 किमी दूर अखंड भारत का केन्द्र बिन्दू कहे जाने वाले आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले से मायानगरी मुम्बई की दूरी 783.3 है। महाराष्ट्र की सीमा से लगा बैतूल किसी जमाने में देश दुनिया में जाना – पहचाना जाता था अपने बेतूल आईल से लेकर सागौन तक के लिए लेकिन अब यह जिला वर्तमान में प्रदेश में डाँ मोहन यादव की सरकार में अपनी एक नई पहचान बना चुका है।
जिले में बहुसंख्यक आदिवासी के बाद कुंबी, पंवार, अनुसूचित जाति के लोग आते है। जिले में अन्य पिछड़ी जातियो के साथ अल्पसंख्यक समुदाय जिसमें सिख्ख, जैन, इसाई और मुस्लिम भी आते है उनकी संख्या का प्रतिशत कम है। वर्तमान में यह जिला पांच विधानसभा से तथा एक संसदीय क्षेत्र में समाया हुआ है। जिले में इस समय मौजूद जिला चिकित्सालय की एक रिर्पोट जो छनती हुई मीडिया तक पहुंची है वह काफी चौकान्ने वाली है। इन दिनो बैतूल जिले में सिनेमा घरों में कैंसर से बचाव के लिए दिखाए जाने वाले विज्ञापन देश में यह हुआ क्या ..? हर तरफ धुंआ – धुंआ….? की टैग लाईन किशोरियों और युवतियों के किए जा रहे तथाकथित दैहिक शोषण पर सटीक बैठी हुई जिले को कटघरे में ला खड़ा कर चुकी है।
आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में नाबालिगों के साथ ही अविवाहित युवतियों का बलपूर्वक या बहला – फुसला कर किस प्रकार दैहिक शोषण किया जा रहा हैं इसका अंदाजा प्रसव करवाने जिला अस्पताल पहुंचने वाली नाबालिगों और अविवाहित युवतियों की संख्या को देखकर लगाया जा सकता है। इस वर्ष 2024 के अभी आठ माह पूरे होने में भी कुछ दिन बाकी है, लेकिन अभी तक अकेले जिला अस्पताल में ही 114 नाबालिग या अविवाहिता युवती प्रसव करवाने के लिए भर्ती हुई जिनके नाम एवं पते की पहचान को गुप्त रखते हुए इस बात का खुलासा किया गया है ।
जिला मुख्य चिकित्सालय का यह आकड़ा सरकारी रिकार्ड में दर्ज है। सबसे चौकान्ने वाली बात यह है कि उक्तआंकड़े अकेले जिला मुख्य चिकित्सालय के है इसके अतिरिक्त जिले में एक सिविल अस्पताल, नौ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 39 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में 48 स्थानों पर भी संस्थागत प्रसव होता है। यदि इन सभी 48 प्रसव केन्द्रों के साथ जिले भर के 25 नीजी चिकित्सालयो को जोड़ कर प्रसव या गर्भपात करवाने वाली नाबालिग या अविवाहिता युवती की संख्या से चार गुणी संख्या उन नीम हकीम बंगाली डाक्टरो एवं गांव – गांव में कुकुर मुत्तो की तरह खुल चुके दवाखाना का रिकार्ड खंगाला गया तो बीते 8 महीने में 800 से अधिक ऐसे नाबालिग या अविवाहित युवतियों के प्रसव या गर्भपात हुए है जो कानून की नजर में संगीन अपराध है।
ऐसा नहीं कि बैतूल जिला मुख्यालय के सरकारी चिकित्सालय में हुए नाबालिग या अविवाहित युवतियों प्रसव या गर्भपात की पुलिस को जानकारी नहीं है…? जिला मुख्य चिकित्सालय में मौजूद पुलिस चौकी / सहायता केन्द्र में हर घटनाक्रम की जानकारी चिकित्सालय प्रबंधन प्रतिदिन देता है। इन 114 नाबालिग या अविवाहित युवतियो की जानकारी समय – समय पर पुलिस सहायता केन्द्र को दी गई लेकिन अवैध गर्भपात के मामले में कोई अपराध दर्ज नहीं हो सका।
बैतूल जिले में मौजूदा समय में पास्को एक्ट के तहत वे मामले दर्ज हुए जिसमें दोनो पक्षो के बीच सहमति / रजामंदी न हो सकी। ऐसे ही मामले बालिग युवतियो एवं विवाहिता के संग हुए तथाकथित दुराचार के मामलो में सहमति / रजामंदी तथा कुछ मामलो में बदले की दुर्रभावना से फंसाने के चलते दर्ज हुए है। जिले में बीते 8 महीने में जिले भर में दर्ज दुराचार के आकड़े भी कम चौकान्ने वाले नहीं है।
महिलाओं को जागरूक करने चल रहे कई अभियान
बैतूल जिले में यूं तो दो दर्जन से अधिक सरकारी अनुदान एवं चंदा एक्सपर्ट संगठन कार्यरत है जो समय – समय पर अपने तथाकथित स्कूल, कॉलेज की छात्राओं के साथ ही किशोरियों, युवतियों और महिलाओं को जागरूक करने प्रेस रिलीज छपवा कर अपनी वाह – वाही लूट ले जाती है लेकिन इनके कार्यो की जमीनी हकीकत सामने आ गई तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएगें। पुलिस प्रशासन की अनेको नवाचार समय – समय पर प्रेस रिलीज के बहाने पढऩे को मिल जाते है लेकिन 114 नाबालिग या अविवाहित युवतियो की चौखट तक महिला पुलिस सेल यह जानने के लिए नहीं पहुंच सका कि मर्जी या मनमर्जी से हुआ उनका दैहिक शोषण जो कहीं न कहीं संगीन अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिले का पुलिस विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग के साथ ही स्वास्थ्य विभाग इन 114 के आकड़ों का सच जान सका है..?
कहना तो नहीं चाहिए लेकिन इन विभागो के द्वारा यदि जागरूकता अभियान चलाया गया होता तो संभव था कि 114 नाबालिग या अविवाहित युवतियो में से एक हिम्मत जुटा कर पुलिस तक न्याय मांगने जरूर आती लेकिन ऐसा हो न सका। हालांकि मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में सरकारी कागजो एवं रिकार्ड में जगह – जगह ऐसे तथाकथित जागरूकता शिविर लगाकर भी सरकारी पैसा बेहिसाब खर्च किया जा चुका है। एक कड़वा सच तो यह भी है कि शासकीय विभागों के साथ ही जिले में चल रहे कुछ एनजीओ द्वारा भी महिलाओंए युवतियों और किशोरियों को जागरूक करने अभियान चलाकर सरकार से लाखों रूपए की राशि ली जा रही हैं इसके बावजूद नाबालिक और युवतियों का दैहिक शोषण रूकने का नाम नहीं ले रहा हैं। जिले में बड़ी संख्या में किशोरियों और युवतियों का या तो बलपूर्वक या फिर बहला फुसला कर, प्रलोभन देकर या अन्य तरीकों से शारीरिक शोषण किया जा रहा है।
मोबाइल, इंटरनेट, ओटीटी से बढ़ रही अश्लीलता
वर्तमान में स्मार्ट मोबाईल का चलन इतना अधिक बढ़ गया है कि स्कूल जाने वाली छात्राओ के हाथों में लाख सवा लाख तक के स्मार्ट फोन आ गए है। अकसर नेशनल हाइवे नागपुर – भोपाल के बीच बसे बैतूल जिले में सोनाघाटी कोसमी सापना ऐसे क्षेत्र हो गए है जहां पर दुपहिया से लेकर काले शीशा लगाए चौपहिया वाहनो में मुंह पर दुपटा लगा कर अपनी पहचान छुपाने वाली अधिकांश स्कूल – कालेज की छात्राओ को घर से निकली पोशाक को बैग में रख कर दुसरी पोशाक पहने देखा जा सकता है। कुछ जानकार लोगो का ऐसा मानना है कि नाबालिग युवतियो एवं युवको को समय से पहले ओटीटी प्लेट फार्म की फिल्मे, धारावाहिक, मोबाईल में आसानी से उपलब्ध अश्लील कंटेंट के चलते वे समय के पहले जवान हो रहे है। मोबाईल में आसानी से उपलब्ध अश्लील सामग्री से किशोरावस्था में ही बच्चों की मानसिकता विकृत होते जा रही है। इसी का परिणाम है कि 13 साल की किशोरी तक गर्भवती हो रही है।
अकेले जिला अस्पताल में पहुंची 114 गर्भवती
जिले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुल 49 स्थानों पर प्रसव की व्यवस्था उपलब्ध करवाई है। इसमें जिला अस्पताल को छोड़कर 48 अन्य अस्पतालों में भी प्रसव सुविधा है। अकेले जिला अस्पताल में ही साल 2024 में जनवरी माह से 24 अगस्त तक 114 नाबालिग या अविवाहित युवतियां प्रसव के लिए जिला अस्पताल पहुंची है। इनमें से कुछ के प्रसव हुए तो कुछ के एबार्शन भी हुए वहीं कुछ को रेफर कर दिया गया है। जिला अस्पताल द्वारा इन सभी 114 नाबालिगों और अविवाहित गर्भवतियों की सूचना अस्पताल पुलिस चौकी को दी गई है।
अगस्त माह में पहुंची सर्वाधिक 24 गर्भवती
जिला अस्पताल से मिले आंकड़े के अनुसार साल 2024 के शुरूवाती आठ माह में पहुंची 114 गर्भवती में से अगस्त माह के 24 दिनों में सर्वाधिक 23 नाबालिग.अविवाहित गर्भवती जिला अस्पताल पहुंची है। इनमें भी 24 अगस्त को एक दिन में सर्वाधिक चार नाबालिग.अविवाहित गर्भवती जिला अस्पताल में भर्ती हुई है। इसके साथ ही साल 2024 के जनवरी माह में 13, फरवरी में 14, मार्च में 15, अप्रैल में 16, मई में 12, जून में 9 और जुलाई माह में 12 नाबालिग.अविवाहित गर्भवती जिला अस्पताल पहुंची है। नाबालिग और अविवाहिताओं के गर्भवती होने के ये आंकड़े दुखद और चौकाने वाले तो है ही साथ ही समाज में पाश्चात्य संस्कृति की तर्ज पर जो मॉर्डनाईजेशन हो रहा है उसके साइड इफेक्ट को भी दर्शा रहे है। यदि समाज सुधार के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए और सिर्फ कागजों में योजनाएं बनती रही तो आने वाले समय में इसके और गंभीर दुष्परिणाम सामने आएंगे।
राम – लखन के 8 महीने…..
बैतूल जिले में इस समय मुख्यमंत्री डाँ मोहन यादव की मनपसंद के कलेक्टर नरेन्द्र सूर्यवंशी एवं पुलिस कप्तान निश्चल एन झारिया मौजूद है। जहां एक ओर बैतूल जिला कलेक्टर के रूप में नरेन्द्र सूर्यवंशी ने 2 जनवरी 2024 को पदभार संभाला वहीं दुसरी ओर 19 फरवरी 2024 को निश्चल एन झारिया को बैतूल जिले का नया पुलिस कप्तान बनाया गया। दोनो अधिकारियो की टयूनिंग आपस में अच्छी होने के कारण दोनो को एक सिक्केके दो पहलू कहा जा सकता है। यह चौकान्ने वाला आकड़ा भी जो सामने आया है इन्ही राम – लखन के समय का है जो जिले में चिंता का कारण बना हुआ है। दोनो ही अधिकारी की जिले में मौजूदगी के बाद जिले में इस तरह का आकड़ा नाबालिग या अविवाहित युवतियो का जिला मुख्य चिकित्सालय के गलियारे से आना कहीं न कहीं शासन – प्रशासन के फेल होने का अहसास कराता है क्योकि यदि नाबालिग या अविवाहित युवतियो में जागरूकता लाई जाती तो शायद उनका दैहिक शारीरिक शोषण रोका जा सकता था।
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