कंगना का बयान भाजपा पर पड़ सकता है भारी, विपक्ष ने चौतरफा घेरा
भाजपा ने कंगना के बयान से खुद को किया अलग, दी सख्त हिदायत
बॉलीवुड क्वीन और हाल ही में मंडी लोकसभा क्षेत्र से सांसद बनीं कंगना रनौत का एक बयान भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ा सिरदर्द बनता नजर आ रहा है। कंगना के इस विवादित बयान से भाजपा की राजनीतिक मुश्किलें बढ़ गई हैं। पार्टी ने कंगना से खुद को अलग करते हुए एक सख्त हिदायत भी जारी की है। भाजपा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कंगना को पार्टी की नीतियों पर बयान देने का कोई अधिकार नहीं है, और उन्हें ऐसे किसी भी बयान से दूर रहना चाहिए जो पार्टी के लिए परेशानी का कारण बने।
भाजपा ने मीडिया को जारी किए गए एक पत्र में साफ किया है कि कंगना रनौत पार्टी की नीतिगत विषयों पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं हैं, न ही उन्हें किसी भी प्रकार की आधिकारिक अनुमति है। पार्टी ने यह भी कहा कि कंगना के बयान से पार्टी का कोई संबंध नहीं है और यह उनका व्यक्तिगत विचार है। भाजपा की ओर से यह भी कहा गया कि कंगना को सख्त हिदायत दी गई है कि वे आगे से ऐसे बयान देने से बचें, जो पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
कंगना के बयान की पूरी कहानी
मामला तब शुरू हुआ जब कंगना रनौत ने हाल ही में एक निजी अखबार को दिए इंटरव्यू में किसान आंदोलन को लेकर विवादित टिप्पणी की। इस इंटरव्यू में कंगना ने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान हिंसा हुई, रेप और हत्याएं भी हुईं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस आंदोलन में विदेशी ताकतों का हाथ था और अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं होता, तो पंजाब को बांग्लादेश बना दिया गया होता। किसान बिल को वापस ले लिया गया वर्ना इन उपद्रवियों की बहुत लंबी प्लानिंग थी। वे देश में कुछ भी कर सकते थे। कंगना का यह बयान किसान आंदोलन को लेकर न केवल विवादास्पद था, बल्कि उन्होंने इसके जरिए भाजपा की नीतियों का समर्थन करते हुए अपने विचार रखे थे।
विपक्ष का तीखा हमला
कंगना के इस बयान के बाद विपक्ष ने भाजपा पर चारों ओर से हमला बोला। पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस नेता राजकुमार वेरका ने कंगना के इस बयान को किसानों का अपमान करार देते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। वेरका ने यह भी कहा कि कंगना पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाना चाहिए क्योंकि उन्होंने किसानों पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोड ने कंगना के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि कंगना ने किसानों को बलात्कारी कहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या इस पर कंगना के खिलाफ कोई कार्रवाई करेंगे, या फिर उन्हें साध्वी प्रज्ञा की तरह एक बार फिर बचाया जाएगा?
कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने भी कंगना के बयान पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “बीजेपी सांसद कंगना ने देश के अन्नदाताओं को हत्यारा और बलात्कारी कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और चीन, देश में अस्थिरता फैला रहे हैं। मतलब मोदी सरकार इतनी कमजोर है कि विदेशी ताकतें यह सब कर रही हैं? भाजपा और सरकार को इस पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए, नहीं तो इसे उनका आधिकारिक स्टैंड माना जाएगा।” सुप्रिया ने भाजपा से कंगना को पार्टी से निकालने की मांग भी की और कहा कि उन्हें किसानों से माफी मांगनी चाहिए। भाजपा ख़ुद किसानों से माफ़ी माँगे, अन्नदाताओं के लिए यह शब्द अपमान नहीं देशद्रोह है।
आम आदमी पार्टी का बयान
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता संदीप पाठक ने भी कंगना के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “यह भाजपा का किसान विरोधी चेहरा है। जिस पवित्र आंदोलन में 750 किसानों ने अपनी शहादत दी, उस पर भाजपा सांसद कीचड़ उछाल रही हैं। बलात्कार और हत्या के आरोप सरासर झूठ हैं। यह किसानों को बदनाम करने का घटिया षड्यंत्र है। आम आदमी पार्टी इस बयान की कड़ी निंदा करती है और मांग करती है कि मोदी जी और भाजपा सांसद को इस बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए। किसानों का अपमान, नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”
भाजपा की सफाई
भाजपा ने कंगना के बयान से खुद को पूरी तरह से अलग कर लिया है और इस मामले में कोई भी जिम्मेदारी लेने से इंकार कर दिया है। भाजपा का कहना है कि कंगना का यह बयान पार्टी का आधिकारिक दृष्टिकोण नहीं है, और उन्होंने इसे व्यक्तिगत विचार बताते हुए इसे नजरअंदाज करने की बात कही है। इसके बावजूद, विपक्ष कंगना के इस बयान को लेकर भाजपा पर लगातार हमलावर है और इसे किसानों के प्रति भाजपा की मानसिकता का प्रतीक बता रहा है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि भाजपा इस पूरे विवाद का कैसे सामना करती है और क्या कंगना अपने इस बयान पर माफी मांगती हैं या नहीं। इस विवाद ने जहां कंगना की राजनीतिक स्थिति को कमजोर किया है, वहीं भाजपा को भी एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
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