हमारा प्रयास हैट्रिक बनाने का : भाजपा, हमारा प्रयास हैट्रिक बचाने का : कांग्रेस
बीजेपी जीत के लिए और कांग्रेस हार को जीत में बदलने की जुगत मे
बीजेपी और कांग्रेस के बीच जुबानी जंग और रणनीति की टकराहट
वादों के सहारे भाजपा तो एंटी इनकंबेंसी का लाभ उठाने की कोशिश में कांग्रेस आ रही नजर
रितेश माहेश्वरी: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारी पूरी जोर-शोर से चल रही है। चुनाव के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों के बीच तकरार और रणनीति का खुलासा हो रहा है। एक अक्टूबर को होने वाले इस चुनाव में मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे, और 4 अक्टूबर को चुनाव परिणाम आएंगे। इस बार का चुनाव हरियाणा की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दल अपनी-अपनी योजनाओं के साथ मैदान में हैं। भाजपा और कांग्रेस के अलावा मैदान में आम आदमी पार्टी जननायक जनता पार्टी और इनेलो बसपा गठबंधन भी है । पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होने की पूरी पूरी संभावना है ।
हैट्रिक बनाने के लिए क्या हो सकती है भाजपा की रणनीति
बीजेपी, जो हरियाणा में सत्ता में बने रहने के लिए अपने तीसरे कार्यकाल का सपना देख रही है, ने इस बार की चुनावी तैयारी में कई रणनीतिक कदम उठाए हैं। पार्टी ने हाल ही में लोकसभा चुनाव में पांच सीटों पर हार का सामना किया था, जिसके बाद पार्टी की रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल रहा है। बीजेपी की योजना है कि हरियाणा में तीसरी बार सत्ता में आकर अपनी हैट्रिक पूरी की जाए। इसके लिए पार्टी ने विभिन्न मोर्चों पर काम किया है:
- वंशवाद के खिलाफ पार्टी का रुख: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंशवाद की आलोचना करते हुए इसे राजनीति का एक बुरा हिस्सा बताया है। हालांकि ऐसा लग रहा है कि हरियाणा में बीजेपी चुनावी रणनीति मे वंशवाद के तत्वों को शामिल कर रही है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह अपनी बेटी आरती राव, कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे, सांसद धर्मवीर अपने भाई या बेटे, कुलदीप बिश्नोई अपने बेटे, रमेश कौशिक अपने भाई, के साथ-साथ कई बड़े दूसरे नेता भी अपने करीबियों के लिए टिकट मांग रहे हैं । यह विरोधाभास बीजेपी की छवि पर सवाल उठाता है और पार्टी को वंशवाद की राजनीति पर अपने विचार स्पष्ट करने की आवश्यकता हो सकती है।
- जाट समुदाय को लुभाने की कोशिश: बीजेपी का पारंपरिक फोकस गैर-जाट वोट बैंक पर रहा है, लेकिन इस बार पार्टी ने जाट समुदाय को भी अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है। पार्टी ने किरण चौधरी को पार्टी में शामिल किया और कई फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के दायरे में लाने का निर्णय लिया। यह सब बीजेपी की योजना का हिस्सा है, जिनका उद्देश्य जाट वोटरों को पार्टी की ओर खींचना है। इसके अलावा, पार्टी ने जाटों के लिए विभिन्न योजनाओं की घोषणा की है, जैसे कि कृषि क्षेत्र में सुधार और रोजगार सृजन के लिए विशेष कार्यक्रम।
- पारदर्शिता और विकास के दावे: बीजेपी ने अपनी चुनावी रणनीति में पारदर्शिता और विकास को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। पार्टी का दावा है कि उसने बिना खर्ची और पर्ची के नौकरी देने, हाईवे निर्माण, समान रूप से प्रदेश में विकास कार्य करवाने, और पारदर्शिता लाने में सफल रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और उनके पूर्ववर्ती मनोहर लाल खट्टर की स्वच्छ छवि का लाभ उठाते हुए, बीजेपी ने इन उपलब्धियों को चुनावी प्रचार का हिस्सा बनाया है। हालांकि, पार्टी को सत्ता विरोधी लहर का सामना भी करना पड़ सकता है, जो पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
- दलित वोटरों को रिझाने की योजना: बीजेपी ने दलित वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर को जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी ने 17 रिजर्व सीटों पर फोकस किया है, जहां दलित बाहुल्य क्षेत्र शामिल हैं। पार्टी का टारगेट 17+35 सीटों पर है, और इसके लिए विभिन्न सम्मेलन और कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों में खट्टर और पूर्व चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर सुदेश कटारिया शामिल होंगे। बीजेपी का उद्देश्य दलित वोटरों को अपने पक्ष में करने और कांग्रेस के आरोपों को झूठा साबित करने का है।
- वोट के बदले वादों से लुभाने की कोशिश: बीजेपी के लिए इस बार का चुनाव एक बड़ी ही चुनौती है, क्योंकि पार्टी का वोट शेयर धीरे-धीरे घटता नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव के नतीजे भी इसी बात का संकेत देते हैं। किसान आंदोलन के बाद, बीजेपी ने किसानों से अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश की है। पार्टी ने महिलाओं, युवाओं, और किसानों के लिए विशेष योजनाओं की घोषणा की है, जो चुनावी वादों का हिस्सा हैं। यह सवाल उठता है कि क्या वादों के सहारे बीजेपी सत्ता की ओर बढ़ पाएगी, या सत्ता विरोधी लहर उसे रोक देगी।
कांग्रेस की रणनीति: सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाना
कांग्रेस के लिए इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने का एक सुनहरा अवसर है। पार्टी ने कई महत्वपूर्ण रणनीतियों को अपनाया है, जिनका उद्देश्य बीजेपी को हराना और सत्ता में वापसी करना है:
- सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठाना: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, और रणदीप सिंह सुरजेवाला का कहना है कि बीजेपी की सरकार ने हर वर्ग को दुखी किया है। महंगाई, बेरोजगारी, और पोर्टल सिस्टम की समस्याओं से जनता परेशान है। कांग्रेस ने इन मुद्दों को उठाकर बीजेपी को घेरने की योजना बनाई है। पार्टी ने इस बार के चुनाव में सत्ता विरोधी लहर को अपने पक्ष में करने के लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया है।
- ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान : राज्य में कांग्रेस ने ‘ हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य सरकार की कमियों को उजागर करना है। इस अभियान के जरिए कांग्रेस ने बीजेपी की नीतियों और फैसलों की आलोचना की है और जनता को यह संदेश दिया है कि वे एक विकल्प के रूप में कांग्रेस को चुनें। कांग्रेस ने इस अभियान के तहत विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, जैसे कि महंगाई, बेरोजगारी, और कानून व्यवस्था।
- नए उम्मीदवारों की कड़ी चयन प्रक्रिया: कांग्रेस ने चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया को लेकर भी कड़े फैसले की योजना बना रही हैं। पार्टी उन नेताओं की टिकट काटने पर विचार कर रही है, जिन्होंने लगातार दो बार चुनाव हारने का रिकॉर्ड बनाया है या जिनकी जमानत जब्त हुई है। कांग्रेस का ध्यान उन उम्मीदवारों को चुनने पर है, जो चुनाव में प्रभावी साबित हो सकते हैं। पार्टी ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि नए उम्मीदवारों के चयन में पार्टी की छवि और राजनीति को ध्यान में रखा जाए।
- रैली और प्रचार अभियान: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की जींद में होने वाली रैली की तारीख पर विचार किया जा रहा है। इस रैली के जरिए कांग्रेस अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी और बीजेपी के खिलाफ जनसमर्थन जुटाने की कोशिश करेगी। पार्टी ने अपने प्रचार अभियान को और प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न माध्यमों का उपयोग करने जा रही है, जैसे कि जनसभाएं, सोशल मीडिया, और मीडिया विज्ञापन।
- सभी वर्गों के मुद्दों को उठाना: कांग्रेस ने चुनावी प्रचार में महिलाओं, दलितों, और किसानों के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। पार्टी का उद्देश्य है कि वह इन वर्गों के बीच लोकप्रियता बढ़ाए और बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत स्थिति बनाए। कांग्रेस ने विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं की घोषणा की है, जो इन वर्गों की समस्याओं को हल करने के लिए तैयार की गई हैं।
संभावित परिणाम और चुनावी परिदृश्य
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर की संभावना है। बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत विभिन्न मोर्चों पर काम किया है, जबकि कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने के लिए कई रणनीतियों को अपनाया है।
बीजेपी के लिए संभावित परिणाम: बीजेपी ने अपनी रणनीति में वंशवाद, जाट समुदाय, दलित वोटरों, और पारदर्शिता पर फोकस किया है। अगर पार्टी अपने दावों को सही साबित करने में सफल रहती है, तो यह संभव है कि वह तीसरी बार सत्ता में आए। हालांकि, सत्ता विरोधी लहर और लोकसभा चुनाव के नतीजे बीजेपी के लिए एक चुनौती हो सकते हैं। पार्टी को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी रणनीति और वादे जनता को आकर्षित करने में सफल हों।
कांग्रेस के लिए संभावित परिणाम: कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर, ‘हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान, और नए उम्मीदवारों के चयन को लेकर कड़े फैसले किए हैं। पार्टी का उद्देश्य है कि वह इन रणनीतियों के जरिए बीजेपी को हराकर सत्ता में वापसी करे। अगर कांग्रेस अपने अभियान में सफल रहती है और मतदाताओं के बीच प्रभावी स्थिति बनाती है, तो पार्टी को सत्ता में वापसी का अवसर मिल सकता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुकाबला अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों प्रमुख दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियों के तहत तैयारी की है और विभिन्न मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है। बीजेपी ने अपनी पारदर्शिता, विकास, और विशेष योजनाओं के जरिए सत्ता में वापसी की प्लानिंग कर रही है, जबकि कांग्रेस ने सत्ता विरोधी लहर, ‘ हरियाणा मांगे हिसाब’ अभियान, और नए उम्मीदवारों को मैदान में उतर कर बीजेपी को चुनौती देने जा रही है ।
चुनाव के परिणाम यह तय करेंगे कि कौन सी पार्टी हरियाणा की सत्ता पर काबिज होगी और किसकी रणनीति सफल साबित होगी। मतदाता के हाथ में अब यह निर्णय है कि वे किस पार्टी को अपना समर्थन देते हैं और किसकी योजनाओं को अपनाते हैं। यह चुनाव हरियाणा की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ने की संभावना रखता है, और इसके परिणाम राजनीति के परिदृश्य को पूरी तरह से बदल सकते हैं। अगर मतदाताओं ने भाजपा की के वादों पर अपना भरोसा जताया तो यह निश्चित बात है कि भाजपा हैट्रिक लगा देगी परंतु अगर इसके उलट देखें मतदाताओं ने भरोसा कांग्रेस पर जता दिया तो कांग्रेस हार की हैट्रिक बचाने में कामयाब हो जाएगी ।
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