खुदरा क्षेत्र में भारी छंटनी: 52,000 कर्मचारियों की नौकरी गई, बढ़ती बेरोजगारी से संकट गहराया
बेरोजगारी की दर में लगातार हो रही वृद्धि और कमजोर मांग के कारण खुदरा क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है। रिलायंस और टाइटन समेत देश की पांच प्रमुख कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान 52,000 कर्मचारियों की छंटनी की है। यह आंकड़ा इन कंपनियों की संयुक्त श्रमबल का करीब 17 फीसदी है, जो मौजूदा आर्थिक स्थितियों की गंभीरता को दर्शाता है।
रिलायंस रिटेल की सबसे बड़ी छंटनी
रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिटेल इकाई, रिलायंस रिटेल, ने सबसे अधिक छंटनी की है। कंपनी ने 2023-24 के वित्तीय वर्ष में 38,029 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, जिससे उसके कुल कर्मचारियों की संख्या 2,07,552 पर आ गई है। इसके पहले वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह संख्या 2,45,581 थी।
अन्य कंपनियों पर भी पड़ा असर
टाटा समूह की टाइटन, रेमंड, पेज इंडस्ट्रीज और स्पेन्सर जैसी प्रमुख कंपनियों ने भी बड़े पैमाने पर छंटनी की है। टाइटन ने 8,569 कर्मचारियों की छंटनी की, जिससे उसके कर्मचारियों की संख्या 17,535 रह गई। पेज इंडस्ट्रीज ने 4,217 कर्मचारियों को हटाया, जिससे उसके कर्मचारियों की संख्या घटकर 22,564 हो गई।
बिक्री में मामूली वृद्धि, लेकिन छंटनी जारी
रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन ने बताया कि जुलाई 2024 में खुदरा क्षेत्र में साल-दर-साल केवल 2% की मामूली वृद्धि दर्ज की गई है। हालांकि, यह वृद्धि छंटनी के सिलसिले को रोकने में सक्षम नहीं रही।
अन्य कंपनियों में भी छंटनी का दौर
लाइफस्टाइल, ग्रॉसरी रिटेलर्स और क्विक सर्विस रेस्टोरेंट्स जैसी सूचीबद्ध कंपनियों ने भी पिछले वित्तीय वर्ष में 26,000 कर्मचारियों की छंटनी की है। कुल मिलाकर, 2022-23 में इन कंपनियों के पास 4.55 लाख कर्मचारी थे, जो 2023-24 में घटकर 4.29 लाख रह गए।
कुछ कंपनियों ने बढ़ाई कर्मचारियों की संख्या
हालांकि, इस छंटनी के बीच कुछ कंपनियां ऐसी भी हैं, जिन्होंने अपने कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है। ट्रेंट ने 19,716 से बढ़ाकर 29,275, डीमार्ट ने 60,901 से 73,932, वीमार्ट ने 9,333 से 10,935, बाटा ने 10,051 से 10,422 और जुबिलेंट ने 32,752 से 34,120 कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई है।
गैर-जरूरी खर्चों में कटौती और बिक्री की धीमी रफ्तार
बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों में वृद्धि और स्टार्टअप व आईटी सेक्टर में छंटनी ने उपभोक्ताओं को अपने गैर-जरूरी खर्चों में कटौती करने पर मजबूर कर दिया है। इसका असर खुदरा क्षेत्र की बिक्री पर पड़ा है, जो महामारी के बाद तेजी से बढ़ी थी, लेकिन अब 4% की धीमी रफ्तार पर आ गई है।
स्टोर विस्तार भी प्रभावित
सीबीआरई की एक रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा क्षेत्र के स्टोर विस्तार की दर 9% रही, जो पिछले पांच सालों में सबसे कम है। 2023 में खुदरा कंपनियों ने शीर्ष-8 शहरों में 71 लाख वर्ग फुट जगह ली थी, जो 2024 में घटकर 60-65 लाख वर्ग फुट रहने का अनुमान है।
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