मेरे भांजे को या मेरी बेटी को दे दो टिकट : वंशवाद की शिकार हो रही हरियाणा भाजपा
हरियाणा भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए जिन नेताओं को अभी से लगने लगा है कि इस बार मेरी टिकट पर कैंची चल सकती है तो उन्होंने अभी से ही अपने करीबी रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगनी शुरू कर दी है। कोई अपने बिटिया के लिए मांग रहा है टिकट तो कोई भतीजे के लिए कोई पत्नी के लिए तो कोई भांजे के लिए टिकट के लिए कतार में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार चुनावी जनसभाओं के साथ-साथ अलग-अलग मंच पर विरोधी दलों को वंशवाद के मामले पर घेरते हुए नजर आते हैं। परंतु हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं पर शायद मोदी जी के भाषण का कोई असर नहीं है या फिर उनके कानों में उन भाषणों की गूंज नहीं सुनाई पड़ती जिन भाषणों में मोदी जी ने कहते हैं कि वंशवाद से देश पिछड़ता है। वंशवाद से देश की आर्थिक स्थितियां खराब होती जैसे बातें वह रखते हैं।
हरियाणा के कद्दावर नेता अपने करीबियों के लिए मांग रहे टिकट: किसने किसके लिए मांगा है टिकट जानिए
हरियाणा विधानसभा के स्पीकर और पंचकूला से विधायक ज्ञानचंद गुप्ता ने अपने भांजे अमित गुप्ता के लिए टिकट मांगा है। हालांकि अमित गुप्ता को अब तक किसी प्रकार की कोई चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं है। ज्ञानचंद गुप्ता 2014 और 2019 में हरियाणा का पंचकूला विधानसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं।
तो वहीं कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई और राज्यसभा की उम्मीदवार बनी किरण चौधरी अपनी बेटी श्रुति चौधरी के लिए तोशाम हल्के से टिकट मांग रही है। तोशाम उनका गढ़ है।
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए कुलदीप बिश्नोई भी अपने बेटे लक्ष्य बिश्नोई के लिए भाजपा में टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हुए हैं। हालांकि भव्य बिश्नोई अभी भी विधायक है और इस बार उम्मीद है कि उन्हें एक बार फिर टिकट मिलेगा।
भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से चौधरी धर्मवीर सिंह अपने बेटे मोहित चौधरी के लिए टिकट मांग रहे हैं।
तो वही एक और कांग्रेस से भाजपा में आए और कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से नवनियुक्त सांसद नवीन जिंदल भी अपनी माता जी सावित्री जिंदल के लिए भाजपा से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हुए हैं। सावित्री जिंदल हिसार लोक विधानसभा सीट से टिकट मांग रही है जहां से कमल गुप्ता टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हुए हैं ।
फरीदाबाद सीट से सांसद कृष्णपाल गुर्जर अपने बेटे देवेंद्र चौधरी के लिए टिकट बीजेपी आला कमान से टिकट मांग रहे हैं।
तो गुरुग्राम लोकसभा सीट से राव इंद्रजीत सिंह अपनी सुपुत्री आरती राव के लिए टिकट की गुहार लगा रहे हैं ।
अगर नेताओं के करीबियों को ही मिलेगी टिकट तो नए लोगों को कब मिलेगा मौका।
अगर नेताओं के करीबी लोगों को ही टिकट मिल जाएगी तो नए कार्यकर्ताओं को या पुराने कार्यकर्ताओं को कब मौका मिलेगा। ऊपर दिए गए सभी नाम पिछले कई सालों से अपने इलाके के छत्रप है कहने का मतलब राज कर रहे हैं। मगर कह सकते हैं कुर्सी एक ऐसी चीज है की कुर्सी का मोह छोड़ा नहीं जाता। खुद सांसद है या विधायक है या राज्यसभा से है पर चाहते हैं कि अब उनके उत्तराधिकारी भी किसी तरीके से विधायक बन जाए। यह नेता उस वक्त तो बहुत तालियां बजाते हैं जब मोदी जी वंशवाद पर सवाल उठाते हैं और वंशवाद को लेकर तगड़े तगड़े पुराने बयान भी इन नेताओं के सोशल मीडिया पर मिल जाएंगे। पर जब बात अपनी आती है तब यह सारी बातें बेमानी हो जाती है। अब यह आल्हा कमान या कांग्रेस हाई कमान को तय करना है कि वंशवाद की राजनीति को हरियाणा में पनपने देना है या फिर जैसा पीएम मोदी का सपना है कि वंशवाद भारत के लिए हानिकारक है तो पीएम मोदी की बाद को हरियाणा विधानसभा चुनाव में मानी जाएगी।
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