कैसा रक्षा का बंधन ! जब बेटियां नहीं सुरक्षित
रक्षाबंधन का क्या है असली मतलब ?
आज देश भर में रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जा रहा है। इस दिन हर एक भाई अपनी बहन को राखी बंधवाने के बाद उसकी सुरक्षा का वादा करता है। बहने अपने भाइयों को राखी बांधती है और बदले में हर एक भाई हिफाज़त करने का वादा करता है, एक भाई का फ़र्ज़ भी है कि वह बुरी नज़र से अपनी बहन को बचा कर रखे। सिर्फ भाई ही नहीं बल्कि हर एक पुरुष का कर्तव्य होता है कि वह महिलाओं को ऐसा माहौल दे जहां वह सुरक्षित महसूस कर सके। पर इस प्रेम के त्यौहार का क्या मतलब रह गया जब हर दिन बेटियां / महिलाएं , समाज में दरिंदगी का शिकार हो रही हो ।
आप सभी लोग जानते हैं हाल ही में कोलकाता रेप केस ने सबका दिल दहला कर रख दिया है। ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ पहले रेप और बाद में उसकी निर्मम हत्या करने से पूरे देश में आक्रोश है। दिल्ली से लेकर मुंबई तक सड़कों पर लोग उतर आए हैं। हर कोई मृतक आत्म के इंसाफ के लिए लड़ता हुआ नजर आ रहा है, लोगों का कहना है कि निर्भया रेप केस के बाद कोलकाता रेप केस इंसानियत पर सवाल उठाने वाल शर्मनाक हादसा है। पर यहां बात कोलकाता या दिल्ली की नहीं हो रही और ना ही बात मौमिता या निर्भया की हो रही है , बल्कि हर उस बच्ची और महिला के बारे में है जिसे अपनी जिंदगी में हैवानियत का सामना करना पड़ा। कई लोग आज भी समाज में यह मानते हैं कि छोटे कपड़े, लड़का लड़की का किसी से हंस बोल कर बात करना, लड़कियों का देर रात घर से बाहर निकलना या लड़कियों का जवान होना बलात्कार के कारण हो सकते हैं। पर सिर्फ उनके पास क्या जवाब होगा जब एक छोटी मासूम बच्ची जो महज़ 1 साल की है, उसके साथ बलात्कार आखिर किस कारण से हुआ? क्या उसने किसी तरीके के छोटे कपड़े पहन रखे थे? या वह घर से बाहर गई? कई लोग रिश्तो तक को शर्मसार कर देते हैं सिर्फ अपनी हवस की भूख मिटाने के लिए।
देश के कई राज्यों में हुआ रेप
कोलकाता में लड़की के साथ हुए रेप-हत्या को लेकर लोगों का गुस्सा अभी शांत भी नहीं हुआ था कि उत्तराखंड समेत देश के अलग-अलग राज्यों से भी लड़कियों के साथ रेप और छेड़छाड़ की अलग-अलग घटनाएं सामने आने लगी। अगर एक महिला से बात करी जाए तो हर एक महिला ने अपने जीवन में गंदी नजरों या छेड़छाड़ का सामना करा होगा। कोलकाता की तरह ही उत्तराखंड में भी एक नर्स के साथ पहले रेप और बाद में उसकी हत्या का मामला कुछ दिन पहले सामने आया था। ऐसे माहौल ने कई सारे सवाल खड़े कर दिए हैं, जैसे क्या आपके घर की बेटियां सुरक्षित है? यदि नहीं तो उनके असुरक्षित होने की वजह क्या है? इस सवाल के कहने को सिर्फ एक बात बच जाती है शुरुआत घर से करिए समाज अपने आप सुधर जाएगा।
हर कोई कोलकाता रेप केस के बाद बंगाल में मां बेटियों की सुरक्षा नहीं जैसे नारे लगा रहा है पर क्या और राज्यों में यह सुरक्षा दी जा रही है?
समाज की नजरों में क्या होते हैं बलात्कार के कारण?
- महिला अगर शराब पीती है या लड़कों के साथ घूमती है ऐसे में वह बलात्कार को आमंत्रित करती है। गलत संगति में रहना या लड़कों वाली गाड़ी में जाकर बैठ जाना दूसरों को गलत अंदेशा देता है।
- छोटे कपड़े पहनना तो समाज के हिसाब से सबसे बड़ा कारण है रेप होने का। साड़ियां सूट पहनकर खुद को ढक लेना चाहिए। लड़कियों का शरीर खुली तिजोरी के समान होता है। पूरे शरीर को ढककर रहना चाहिए। ऐसे में किसी की बुरी नजर नहीं पड़ेगी।
- अगर किसी लड़की की मां का चरित्र ठीक नहीं है तो उसके साथ आगे चलकर बुरा ही होगा। लोग उसे गंदी नजरों से ही देखें। कई लोगों का यह भी कहना है कि अगर लड़की की मां तलाकशुदा है यानी पिता का हाथ सर से उठ चुका है तो लड़की भटक सकती है।
- एक जवान लड़की को देख लड़कों के मन में उत्तेजना पैदा होती है। जिसके कारण बलात्कार जैसे अपराध होते है।
बलात्कार के कारणों पर उठेंगे सवाल
- रेप बाहर घूमने से होता है तो घर के अंदर भी बेटियां सुरक्षित क्यों नहीं है? कोई रिश्तेदार या उनका अपना ही उन पर गलत नजर कैसे रख लेता है? कई लड़कियां शराब का सेवन भी नहीं करती पर तब भी वह बलात्कार का शिकार बन जाती है आखिर क्यों?
- अगर छोटे कपड़े पहनना समाज के हिसाब से गलत है तो ऐसे में सूट पहनने वाली महिला को भी बुरी नजर का सामना क्यों करना पड़ता है? क्या शरीर साड़ी में नहीं दिखता? या सिर्फ बुर्का पहनी हुई महिलाएं ही सुरक्षित है?
- जिस लड़की की मां चार दिवारी में ही अपनी जिंदगी निकाल देती है क्या उनके साथ बलात्कार नहीं होता?
- अगर जवान लड़की ही पुरुषों का आकर्षित करती है तो 1 साल की बच्ची या 60 साल यानी दादी की उम्र वाली महिला बलात्कार का शिकार क्यों होती है?
आखिर महिला क्यों नहीं है सुरक्षित?
सबसे पहला कारण है महिलाओं को किसी से कम समझना। जितने भी रेपिस्ट हैं यानी जितने भी लोगों ने बलात्कार किया है उन सब की सोच में एक बात सामान्य देखने को मिली है। सभी लोग महिलाओं को कमजोर समझते हैं। उन्हें कमज़ोर, असहाय और आर्थिक रूप से आश्रित माना जाता है। भारत में, हमारे पास अपराधों के लिए कानून हैं, लेकिन फिर भी महिलाओं को छोटी समझने की भूल करने वाले पुरुष अपराध को अंजाम दे देते हैं। महिला को देवी मानने वाले समाज में उनका उत्पीडऩ शर्म की बात है। लोगों की मानसिकता ही कुछ इस तरीके की बन गई है और उस मानसिकता के हिसाब से महिलाएं कमजोर होती है, अपने हक के लिए लड़ नहीं सकती या उनके साथ ऐसा ही होना चाहिए इस तरीके की सोच बलात्कार जैसे अपराध को बढ़ावा देती है।
आइए रक्षाबंधन पर ले प्रण
चलिए आज रक्षाबंधन के दिन से एक प्रण लेते हैं। रक्षाबंधन के त्यौहार को प्रेम भावना के साथ मनाएंगे और भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की हर एक बेटी की सुरक्षा का कर्तव्य निभाएंगे। ताकि आगे चलकर किसी भी महिला की आंखों से आंसू ना निकले और ना ही कोई लड़की अपने सपनों का गला घोटे। बेटियों की सुरक्षा हर किसी का फर्ज है और यह निभाना जरूरी भी है तभी सही मायने में रक्षाबंधन का अर्थ साबित होगा ।
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