वंदे भारत में उपमा के पैकेट में कीड़ा: यात्री की शिकायत पर भी रेलवे ने नहीं लिया संज्ञान
वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे आधुनिक भारत की शान और रेलवे की सबसे आधुनिक ट्रेनों में गिना जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार मामला इसके तेज़ स्पीड या आरामदायक सफर का नहीं, बल्कि खाने में कीड़ा मिलने का है। यह घटना तब हुई जब भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन से हजरत निजामुद्दीन जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रा कर रहे एक यात्री के ब्रेकफास्ट पैकेट में कीड़ा पाया गया।
सुबह करीब 8 बजे, झांसी स्टेशन पर यात्री अभय सिंह सेंगर को अन्य यात्रियों के साथ ब्रेकफास्ट के रूप में उपमा का पैकेट दिया गया। जब उन्होंने पैकेट खोला तो उन्हें उसमें कीड़ा मिला। इस अप्रत्याशित घटना से स्तब्ध होकर, उन्होंने तुरंत ट्रेन के स्टाफ को इसकी सूचना दी और इस घटना का वीडियो भी बना लिया।
यात्री अभय सिंह ने बताया, “मैं वंदे भारत जैसी प्रतिष्ठित ट्रेन में यात्रा कर रहा था, और जब मैंने खाने का पैकेट खोला तो उसमें कीड़ा था। मैंने तुरंत इसकी शिकायत की, लेकिन रेलवे का रवैया बेहद निराशाजनक रहा। उन्होंने सिर्फ खाना वापस ले लिया, लेकिन दूसरा खाना देने की जहमत नहीं उठाई। मैं 9:40 बजे ग्वालियर स्टेशन पर उतरा, लेकिन तब तक मुझे कोई दूसरा भोजन नहीं दिया गया था।”
यात्रियों का कहना है कि ऐसी घटनाएं वंदे भारत जैसी हाई-प्रोफाइल ट्रेनों में बढ़ रही हैं, और रेलवे को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस तरह की लापरवाही यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।
वहीं, आईआरसीसीटी के रीजनल मैनेजर आर. भट्टाचार्य का कहना है कि यात्री को दूसरा फूड पैकेट दिया गया है और मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा, “हम इस घटना को लेकर पूरी तरह से गंभीर हैं। वेंडर पर सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।”
लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर यात्री की शिकायत पर समय पर कार्रवाई नहीं होती, तो क्या यह रेलवे की लापरवाही को उजागर नहीं करता? क्या वंदे भारत जैसी प्रतिष्ठित ट्रेन में यात्रियों के स्वास्थ्य के साथ इस तरह का खिलवाड़ किया जा सकता है? रेलवे प्रशासन को इस घटना को गंभीरता से लेकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और यात्रियों की शिकायतों को समय पर निपटाया जाए।
वंदे भारत जैसी ट्रेनों में इस तरह की घटनाएं न केवल रेलवे की छवि को धूमिल करती हैं, बल्कि यात्रियों के भरोसे को भी कमजोर करती हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि रेलवे प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर जल्द से जल्द उचित कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में कोई भी यात्री इस तरह की स्थिति का सामना न करे।
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