चुनाव की घोषणा कर दी गई, अब देखते हैं कौन जलाएगा रावण
हरियाणा विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान हो चुका है। इसके साथ ही राज्यों में आदर्श आचार संहिता भी लागू कर दी गई है। यानी ज्यादातर सरकारी कामों पर अब से रोक लगा दी जाएगी, जिससे सरकार को फायदा होने का अंदेशा होता है। अब ऐसे में देखना यह होगा कि सत्तारूढ़ भाजपा या विपक्ष, किसका पड़ला भारी रहता है।
आपको बता दे कि भारतीय चुनाव आयोग ने शुक्रवार को हरियाणा में विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान कर दिया है। राज्य में 1 अक्टूबर को वोटिंग होगी वहीं 4 अक्टूबर को मतों की गिनती होगी। अब कई पाबंदियां लगा दी जाएगी। 7 अक्टूबर को देश में दशहरा मनाया जाएगा ऐसे में सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है कि कौन जलाएगा रावण? यानी कौन मनाएगा जीत का जश्न? हरियाणा के राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार के लिए 17 अगस्त से लेकर 29 सितंबर तक कि मोहलत मिलेगी यानी उन्हें 44 दिन का समय मिला है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना है कि “90 में 73 सीटें सामान्य और 17 सीटें आरक्षित हैं। हरियाणा में 27 अगस्त को फाइनल वोटर लिस्ट जारी होगी। हरियाणा में 2 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं। 20 हजार 629 पोलिंग बूथ हैं। 150 मॉडल पोलिंग बूथ हैं। लोकसभा का चुनाव दुनिया में हमारी लोकतांत्रिक ताकत का प्रमाण है।”
जानिए क्या होती है आचार संहिता
भारत निर्वाचन आयोग जिस दिन से चुनाव की अधिसूचना जारी करता है, उसी दिन से आदर्श आचार संहिता लागू कर दी जाती है और जब तक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक यह लागू ही रहती है। लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू होती है। हालांकि, विधानसभा चुनाव के समय सिर्फ संबंधित राज्य में लागू की जाती है। अगर कोई व्यक्ति विशेष या राजनीतिक दल या उसका प्रत्याशी नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
आचार संहिता के क्या है नियम?
- कोई भी प्रत्याशी सरकारी गाड़ी, सरकारी बंगला या सरकारी विमान का इस्तेमाल नहीं कर सकता।
- जातीय धर्म के नाम पर कोई भी राजनीतिक पार्टी वोट नहीं मांग सकती।
- प्रचार के दौरान किसी की प्रॉपर्टी पर उनके अनुमति के बिना झंडा, पोस्ट या बैनर लगाना माना है।
- कोई भी प्रत्याशी या राजनीतिक दल किसी भी व्यक्ति को उनके पक्ष में वोट डलवाने के लिए डरा या धमका नहीं सकता।
- यहां तक की शराब या लोगों में पैसे बांटना वोट पाने के लिए मना है और दूसरी तरफ मतदान के दिन शराब की दुकान बंद रहनी चाहिए।
जानिए सरकारी भर्तियों का क्या होगा
अब ज्यादातर सरकारी कार्यों पर अस्थाई रोक लगी रहेगी। ऐसे में सबके मन में एक सवाल उठ रहा होगा कि सरकारी भर्तियों का अब क्या होगा जिसका वादा नायब सिंह सैनी ने किया था। हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने लोगों से 50 हजार भर्तियों का वादा किया था। इनमें से 34 हजार पदों पर भर्ती अब तक हो चुकी है और बाकी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी रहेगी। जो भर्ती प्रक्रिया चल रही है, उस पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी, लेकिन मुख्यमंत्री या कोई मंत्री नियुक्ति पत्र अपने हाथों से नहीं दे पाएंगे। इसके अलावा प्रदेश के 1.20 लाख कर्मचारियों की नौकरी की सुरक्षा पर संकट मंडराने लगा है। सीएम नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और संस्थाओं में 5 साल से अधिक समय से कार्यरत 1.20 लाख अस्थायी कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा देने के लिए अध्यादेश को मंजूरी दे दी गई। इसकी अधिसूचना 14 अगस्त को जारी कर दी गई। अगले दिन 15 अगस्त की छुट्टी थी और 16 अगस्त की शाम को आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। इस वजह से अब 1.20 लाख कर्मचारियों को जॉब सिक्योरिटी मिलने में पेंच फंस गया है।
क्या बोले अनिल विज
विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि “हम पूरी तरह से तैयार हैं। आज तारीख की घोषणा हो गई है। कल से नामांकन शुरू हो जाएंगे। हमारे कार्यकर्ता पूरी तरह से तैयार हैं हमने चुनाव की तैयारी कर ली है।
अब जहां इनेलो इस बार बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव में एक साथ मैदान में उतरी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग ही चुनाव लड़ेंगी। लोकसभा चुनाव की बात करें तो कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों को ही पांच-पांच सीटें हासिल हुई थी, अब विधानसभा चुनाव में किसकी होगी जीत और किसकी होगी हार यह तो देखने वाली बात है। कांग्रेस की बात करें तो वह जाट वोट बैंक के सहारे चुनाव की दौड़ में शामिल होंगी तो बीजेपी गैर जाट नेताओं के सहारे जीत हासिल करने का दावा कर रही है। पर एक बात तो देखने को मिल रही है कि इस बार विधानसभा चुनाव में टक्कर बराबरी की होने वाली है। भाजपा ने किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। पर सोचने वाली बात तो यह भी है कि यह घोषणा ठीक चुनाव शुरू होने से पहले ही क्यों की गई? जीत की घंटी किसके पक्ष में बजेगी क्योंकि कांग्रेस भी पीछे नहीं दिखाई दे रही है क्योंकि इस बार चुनाव की कमान कांग्रेस पार्टी ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंप दी है।
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