1971 युद्ध में पाकिस्तानी सेना की आत्मसमर्पण का प्रतीक मूर्ति पर हमला: थरूर ने लगाया ‘एंटी-इंडिया’ तोड़फोड़ का आरोप
बांग्लादेश के मुजीबनगर में स्थित लिबरेशन वॉर मेमोरियल परिसर में पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण को दर्शाने वाली मूर्तियों के टूटने की खबरें आई हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने सोमवार को इस पर प्रतिक्रिया देते हुए तस्वीरें साझा कीं और इसे “एंटी-इंडिया” तोड़फोड़ का परिणाम बताया। हालांकि, कुछ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने थरूर की तस्वीरों पर संदेह जताया है और गलत जानकारी फैलाने के खिलाफ चेतावनी दी है।
थरूर का बयान: थरूर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर साझा की गई तस्वीरों के माध्यम से बांग्लादेश में अराजकता की निंदा की। उन्होंने नये अंतरिम सरकार से कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए कदम उठाने की अपील की। उन्होंने लिखा, “1971 शहीद स्मारक परिसर, मुजीबनगर में मूर्तियों को एंटी-इंडिया तोड़फोड़कारियों द्वारा नष्ट होते देखना दुखद है।”
संदिग्ध हमले और विरोध प्रदर्शन: थरूर ने शेख हसीना के 5 अगस्त को सत्ता से बेदखल होने के बाद अल्पसंख्यक समुदायों पर कथित हमलों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय ढाका में अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे हैं, जबकि युनुस छात्रों और युवाओं से मुलाकात करने वाले हैं।
पाकिस्तानी सेना के आत्मसमर्पण की ऐतिहासिक मूर्तियों का महत्व: 1971 की युद्ध में पाकिस्तान और भारत के बीच आत्मसमर्पण का समझौता ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण था। बांग्लादेश के मुजीबनगर में स्थित यह स्मारक परिसर उस समय बांग्लादेश की अस्थायी सरकार का गवाह था। इस समझौते ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण की पुष्टि की, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा आत्मसमर्पण था।
बांग्लादेश की नई सरकार की चुनौती: हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार को एक विशाल चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी नौकरियों में भेदभाव के आरोपों के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप हुए हिंसा में अब तक कम से कम 450 लोग मारे जा चुके हैं।
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