भारत का सामाजिक ताना-बाना बिगड़ इंस्टाग्राम रील और फेसबुक ने
थोड़े से फॉलोअर और विवारशिप के लिए पुरुष और महिलाएं अभद्र कपड़े पहनकर बना रहे रील
कई बार रील बनाते-बनाते चली गई जान भी
रील्स के जमाने में कई लोग कम समय में ज्यादा से ज्यादा फेमस होने की कोशिश करते हैं और ऐसे में उन्हें जो भी उन्हें सही लगता है उसे अपना हथियार बनाकर इंस्टाग्राम पर डालते हैं। ताकि वह जल्द से जल्द पैसा कमा सके या अपना नाम बना सके। सोशल मीडिया के जमाने में कई सारे कारणों की वजह से अश्लीलता फैल रही है और अब राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामगोपाल की तरफ से यह कह दिया गया है कि “आजकल इंस्टाग्राम रील्स जो बना रहे हैं, वो ऐसे कपड़े पहनते हैं कि नजरे झुक जाती हैं।”
जहां एक तरफ सोशल मीडिया के जमाने में रिल्स के माध्यम से समाज में अश्लीलता फैलने का चलन चल चुका है, वहीं दूसरी तरफ राज्यसभा में इस तरीके के बयान ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींच लिया है। आज का युवा औसतन तीन घंटा इंस्टाग्राम रील्स बनाने या फिर उसे देखने में व्यतीत कर रहा है। यह सुनकर एक सवाल मन में खड़ा होता है कि इससे आखिर किसका फायदा होगा? युवाओं को ऐसा करने से किस तरीके की शिक्षा प्राप्त हो रही है और इसे समाज पर किस तरीके का असर पड़ेगा? अब इस मुद्दे को देश की संसद में भी उठाया गया है। समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने इस मुद्दे पर विस्तार से बात की है। उन्होंने अपना नजरिया सामने लाकर जिन लोगों की नजर इस मुद्दे पर नहीं भी थी , उनका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लिया है।
रामगोपाल यादव ने अपने बयान में क्या कहा?
राज्यसभा में रामगोपाल यादव की तरफ से कहा गया है कि “आजकल इंस्टाग्राम रील्स जो बना रहे हैं, वो ऐसे कपड़े पहनते हैं कि नजरे झुक जाती हैं।” यहां तक कहा है कि “अगर किसी भी समाज में न्यूडिटी और एल्कोहोलिज्म को बढ़ावा दिया जाता है तो उससे कई सभ्यताएं और संस्कृति नष्ट हो जाती हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि “आज कई प्लेटफार्म अश्लीलता को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं, इंस्टाग्राम खास तौर पर युवक को भ्रमित करने का काम कर रहा है। आज का युवा औसतन 3 घंटे इंस्टाग्राम पर रील्स देखने में निकल रहा है। इसके ऊपर अभद्र और अश्लील प्रोग्राम देखे जाते हैं।” उन्होंने अब सरकार से मांग की है कि “अश्लीलता को रोकने के लिए कोई कठोर कदम उठाने की जरूरत है ।”
सांसद डॉ. रामगोपाल यादव ने अपने बचपन के शिक्षा अनुभवों को याद करते हुए कहा कि “जब उनकी प्रारंभिक शिक्षा शुरू हुई थी, तब अंग्रेजी छठी कक्षा से पढ़ाई जाती थी। उस समय छात्रों को एक वाक्य सिखाया जाता था- इफ वेल्थ इज लॉस्ट, नथिंग इज लॉस्ट; इफ हेल्थ इज लॉस्ट, समथिंग इज लॉस्ट; इफ करैक्टर इज लॉस्ट, एवरीथिंग इज लॉस्ट।” उन्होंने कहा आगे कहां की “उन्हें चिंता और अफसोस है कि समाज धीरे-धीरे ऐसी स्थिति में पहुंच रहा है जहां मूल्यों का पतन हो रहा है।”
रामगोपाल यादव ने कहा यह भी कहा कि “कुछ चैनल और उनके प्रोग्राम निरंतर अश्लीलता और हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले के परिवारों में सभी सदस्य एक साथ बैठते थे, बात करते थे और एक-दूसरे के साथ समय बिताते थे। लेकिन अब स्मार्टफोन और ऑनलाइन गतिविधियों के कारण परिवारों में वह बंधन और प्रेम कम हो रहा है।”
उन्होंने आगे कहा “इससे समाज में बहुत सारी विकृतियां पैदा हो रही हैं। आए दिन हम अखबारों में पढ़ते हैं कि इंस्टाग्राम पर दोस्ती हुई, फिर शादी हुई। इसके बाद लड़के ने लड़की का मर्डर कर दिया। कहीं लड़की लड़के का सारा सामान चुरा कर चली गई। इस तरह की घटनाएं रोज होती हैं। हमारे समाज में ऐसा होता हुआ आया है कि हम पूरे परिवार के साथ एकत्रित होते हुए आए हैं, लेकिन अब इस सोशल मीडिया की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है। अब तो सभी फोन में उलझे रहते है। ऐसे में अब संबंधों में कमी आने लगी है। हमें ऐसी सूचना मिलती रहती है कि बेटे ने बाप को मार दिया, ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि अब प्रेम खत्म हो रहा है। इसके अलावा, सोशल मीडिया के इस मंच की वजह से लोग परिवार में एक-दूसरे से संवाद नहीं कर पा रहे हैं, नहीं तो पहले लोग खुलकर परिवार में बातचीत करते थे। इसकी वजह से युवाओं के बिगड़ने की संभावना कम हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इसी के वजह से ऐसी नौबत आ चुकी है।”
आम आदमी पार्टी की इस बात पर क्या प्रतिक्रिया करी?
यह मुद्दा काफी बड़ा है और ऐसे में संसद के अंदर सिर्फ रील्ज तक बात सीमित नहीं रही। आम आदमी पार्टी के सांसद विक्रमजीत ने कहा कि “सोशल मीडिया पर भी लोग कुछ भी लिख देते हैं। प्रधानमंत्री से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी की जा रही हैं। सोशल मीडिया पर इस प्रकार की टिप्पणियों पर रोक लगाने के लिए भी एक सख्त कानून की अब जरूरत है।”
इस मुद्दे पर कार्रवाई की रखी है मांग
सांसदों ने सरकार से इन मुद्दों पर ठोस कार्रवाई करने की मांग करी है। सिर्फ राजनीति ही नहीं बल्कि समाज के लिए भी यह विषय हानिकारक साबित हो सकता है। कई लोगों को कहना है कि अंदर ही अंदर यह मुद्रा समाज को खा जा रहा है और दूसरी तरफ कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने काम से काम रखना ही समझदारी समझते हैं। उनके नजरिए से देखे तो उनका कहना है कि हर किसी की अपनी इच्छा होती है। पर कहीं ना कहीं इस बात को नहीं झुकाया जा सकता की इंस्टाग्राम पर रील्स के जरिए जो असर पड़ रहा है वह गलत है। अश्लीलता, हिंसा और गलत मूल्यों का प्रसार चिंता का विषय है। अब विषय यह बन चुका है कि ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया की लत से युवाओं को बचाने के लिए सख्त कानून और जागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है। इसके साथ ही लोगों का कहना है कि अपनी संस्कृति और मूल्यों को संरक्षित रखने के लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे।
रील्स की वर्चुअल दुनिया का असली दुनिया पर प्रभाव
यह बात तो सच है कि रील्स पर फेमस होने के लिए लोग अश्लीलता फैला रहे हैं। यहां तक कि रील्स की वर्चुअल दुनिया लोगों की याददाश्त को कमजोर कर रही है। वैसे में बच्चे और युवाओं पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। पढ़ाई में कमजोरी और ध्यान भटकने से लेकर संस्कृति पीछे छूटने तक की नौबत आ चुकी है। कई लोगों को रील्स की इतनी लत लग जाती है कि उन्हें अस्पताल तक जाना पड़ जाता है। बच्चे तक इंस्टाग्राम का उपयोग करने लगे हैं और रील्स ऐसी होती है जो उनके देखने लायक नहीं होती। समाज और दुनिया पर यह एक वायरस की तरह फैल गया है। लोग यहां तक की अपना काम छोड़कर रील्स देखने से लेकर बनाने लगे हैं। अब ऐसे में यह सब करना कितना सही और कितना गलत यह सवाल उठ चुका है। जिसने लोगों को दो हिस्सों में बांट दिया है।
लिव इन रिलेशनशिप पर भी कानून बनाने की मांग
इसी मानसून सत्र में राजस्थान की विधानसभा में लिव इन रिलेशनशिप पर भी सख्त कानून बनाने की चर्चा हुई थी राजस्थान के सत्ता पक्ष के एक विधायक ने विधानसभा में कहा कि आजकल ऐसे दृश्य आम हो गए हैं कि एक मां-बाप अपनी लड़की के आगे हाथ पैर जोड़ता है और लड़की उसकी ठुकरा कर चली जाती है। और बाद में कई मामलों में तो नौबत तलाक तक पहुंच जाती है । मंत्री महोदय ने तो यह भी कहा था कि ऐसा कानून बनना चाहिए की बच्चों को अपने मां-बाप की अनुमति के बिना शादी न कर सके।
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