अमेरिकी मंदी के संकेत से वैश्विक बाजारों में ऐतिहासिक गिरावट: भारतीय निवेशकों के 16 लाख करोड़ रुपये स्वाहा, जापानी बाजार ने तोड़ा रिकॉर्ड
शेयर बाजार की इस साल की दूसरी सबसे बड़ी गिरावट
शुरुआत में 2700 अंक तक गिर गया था शेयर बाजार बाद में बंद होने के वक्त यह 2222 अंक पर जाकर रुका
सोमवार, 5 अगस्त 2024, को वैश्विक शेयर बाजारों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों के बीच हड़कंप मच गया। इस गिरावट की मुख्य वजह अमेरिका में आई आर्थिक मंदी के संकेत माने जा रहे हैं। अमेरिका में हाल ही में जारी हुए रोजगार के आंकड़े बेहद निराशाजनक रहे, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ गई है। इन संकेतों ने वैश्विक शेयर बाजारों को बड़ा झटका दिया, जिससे कई प्रमुख सूचकांक धड़ाम हो गए।
भारतीय बाजार पर असर: भारतीय शेयर बाजार भी इस वैश्विक हाहाकार से अछूता नहीं रहा। बीएसई सेंसेक्स में करीब 2,600 अंकों की गिरावट आई, जिससे यह 78,400 के स्तर पर आ गया। निफ्टी में भी लगभग 750 अंकों की गिरावट देखी गई, जो इसे 24,000 के स्तर से नीचे ले गई। इस गिरावट का सीधा असर निवेशकों के पोर्टफोलियो पर पड़ा, जिसमें लगभग 16 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ।
एशियाई बाजारों की स्थिति: जापान के शेयर बाजार ने इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की। निक्केई 225 इंडेक्स में 4,451 अंकों की गिरावट आई, जो इसके इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट है। यह सूचकांक 12.4% गिरकर बंद हुआ, जो जुलाई की शुरुआत से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट में से एक है। इसके अलावा, कोरिया का कोस्पी इंडेक्स भी 8% से अधिक गिर गया, जिसके कारण कुछ समय के लिए ट्रेडिंग को रोकना पड़ा। ताइवान का Taiex इंडेक्स भी 8.4% गिरकर बंद हुआ, जो इसके इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट में से एक है। अन्य एशियाई बाजारों जैसे ऑस्ट्रेलिया, हॉन्ग कॉन्ग और चीन में भी भारी गिरावट दर्ज की गई।
अमेरिकी बाजार की स्थिति: शुक्रवार को जारी हुए अमेरिकी बेरोजगारी के आंकड़ों ने निवेशकों के बीच डर पैदा कर दिया है। Dow Jones, S&P 500, और Nasdaq Composite में भारी गिरावट देखी गई। Nasdaq अपने 10 जुलाई के उच्चतम स्तर से 10% से अधिक गिर चुका है। इसके साथ ही, कच्चे तेल की कीमतें भी जनवरी के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं, जिससे ब्रेंट क्रूड और WTI क्रूड में 3% से अधिक की गिरावट आई।
वॉरेन बफेट और अन्य बड़े निवेशकों की रणनीति: इस गिरावट के बीच, मशहूर निवेशक वॉरेन बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने भी बड़ा कदम उठाया। कंपनी ने Apple में अपनी 50% हिस्सेदारी बेच दी है, जिससे वह कैश बढ़ाने पर फोकस कर रही है। अन्य बड़े निवेशक भी इस समय अपने पोर्टफोलियो को मजबूत करने के लिए अपने शेयर बेच रहे हैं, जिससे बाजार में और अधिक अस्थिरता देखने को मिल रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट सिर्फ एक शुरुआत हो सकती है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत और वैश्विक बाजारों में अस्थिरता की वजह से आगे भी निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है। भारतीय बाजार में भी मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में अधिक करेक्शन की संभावनाएं हैं। इसके अलावा, ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध की आशंका ने भी वैश्विक बाजारों पर दबाव बढ़ा दिया है।
इस स्थिति में निवेशकों के लिए यह समय बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। बाजार की मौजूदा स्थिति में सूझबूझ के साथ निवेश करने की आवश्यकता है, ताकि आगे होने वाले संभावित नुकसान से बचा जा सके।
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