द यूपी फाइल्स, जानदार और असरदार है मनोज जोशी, मंजरी फडनीस स्टारर सिनेमा
बॉलीवुड में इन दिनों रियल स्टोरीज से प्रेरित सिनेमा का चलन जोरों पर है। 26 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई हिंदी फिल्म ‘द यूपी फाइल्स’ भी सच्ची घटनाओं से प्रेरित फ़िल्म है जिसमें प्रमुख भूमिका मनोज जोशी ने निभाई है। साथ ही मंजरी फडनिस और मिलिंद गुणाजी सहित कई बेहतर कलाकारों से यह फ़िल्म सजी हुई है। श्री ओस्टवाल फिल्म्स की फिल्म ‘द यूपी फाइल्स’ भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि पर बनी है और इस फिल्म में मनोज जोशी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका निभाई है।
यह फिल्म उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने पर आदित्यनाथ के सामने आने वाली राजनीतिक मुश्किलों पर विस्तार से नज़र डालती है। मनोज जोशी ने इस किरदार में अपना सौ प्रतिशत दिया है। चाहे वह बॉडी लैंगुएज हो, डायलॉग डिलीवरी हो, चेहरे का हाव भाव हो सभी मे उन्होंने प्रभावित किया है। वह यूपी को बदलने के कठिन लक्ष्य का पीछा करते हैं और राज्य से भ्रष्टाचार, गुंडाराज खत्म करने का संकल्प लेते हैं। उनके अभिनय में एक संतुलन दिखाई देता है।
इस सिनेमा में सीएम योगी आदित्यनाथ से इंस्पायर्ड मनोज जोशी के चरित्र का नाम अभय सिंह दिखाया गया है। लेकिन ‘यूपी फाइल्स’ को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की बायोपिक भी नहीं कही जा सकती है।
फिल्म समीक्षा : ‘द यूपी फाइल्स’
कलाकार ; मनोज जोशी, मंजरी फडनिस, अवतार गिल, अली असगर, शाहबाज खान, मिलिंद गुणाजी, अमन वर्मा, अशोक समर्थ
निर्देशक: नीरज सहाय
निर्माता : कुलदीप उमराव सिंह ओस्टवाल
अवधि : 2 घण्टे 2 मिनट
रेटिंग : 3 स्टार्स
इस रियलिस्टिक फ़िल्म में एक भ्रष्ट डीजीपी का रोल शाहबाज खान ने निभाया है वहीं मंजरी फडनीस ने एक ईमानदार और कठोर पुलिस वाली की चुनौती भरी भूमिका को बखुबी जिया है। जब वह यह संवाद अदा करती हैं कि सुजाता मेनन नाम है मेरा, मैं पहले एक्शन लेती हूं।” तो उनके बोलने का अंदाज़ और इंटेंसिटी दमदार डायलॉग में झलकती है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और अपने किरदार में संघर्ष एवं संजीदगी का मिश्रण लाने में सफल रही हैं जो कहानी में ट्विस्ट भी लाती हैं।
फ़िल्म के संवाद इसके हाइलाइट्स हैं। मनोज जोशी जब यह डायलॉग बोलते हैं “हम शास्त्र भी जानते हैं और शस्त्र चलाने वालों पर अंकुश लगाना भी जानते हैं।” तो सिनेमाहॉल तालियों से गूंज उठता है।
मनोज जोशी द्वारा अदा किया गया एक और संवाद भी बहुत असरदार है कि “बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान की कद्र, न एक इंच इधर न एक इंच उधर।”
नीरज सहाय का निर्देशन फिल्म को बांधे रखता है। उन्होंने एक पॉलिटिकल ड्रामा को बड़ी कुशलता से संभाला है। फ़िल्म का कैमरा वर्क उत्तर प्रदेश की लोकेशन को बखूबी पेश करने में सफल रहा है।
फिल्म के सिचुएशनल गीतों का संगीत दिलीप सेन ने दिया है और डांस मास्टर गणेश आचार्य हैं। विष्णु निषाद द्वारा किया गया आर्ट डायरेक्शन और प्रोडक्शन डिज़ाइन अच्छा है। वास्तविकता के एकदम करीब इस फ़िल्म को शानदार अभिनय और कुशल निर्देशन के लिए देखा जाना चाहिए।
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