आखिर कैसे एक आम भारतीय शादी में अंबानी से ज्यादा पैसे खर्च करता है?
पर चर्चा सिर्फ मुकेश अंबानी के छोटे बेटे की शादी की, जिस पर खर्च हुए 5000 करोड़ रुपए।
शादियों में फिजूल खर्ची पर लोकसभा में लाया गया था बिल, पर नहीं हो सका पास।
देश में आजकल मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत और राधिका की शादी की चर्चा चारों ओर है। अखबार हो, टेलीविजन हो या फिर सोशल मीडिया, सभी पर इस समय अंबानी परिवार की शादी छाई हुई है। कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुकेश अंबानी ने इस शादी में 5000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं, जिसकी वजह से यह शादी चर्चा का विषय बनी हुई है।
पर क्या आप जानते हैं कि एक आम भारतीय भी मुकेश अंबानी से ज्यादा अपने बच्चों की शादी में खर्च करता है?
यह सवाल सुनकर आपका दिमाग चकरा गया होगा और आप कहेंगे कि रिपोर्टर बेवकूफ है। कहां मुकेश अंबानी और कहां आम आदमी। पर साहब, जब आप आंकड़े देखेंगे, तो आप मानेंगे कि वाकई रिपोर्टर सही कह रहा है। आइए समझते हैं कैसे एक आम आदमी मुकेश अंबानी से ज्यादा पैसा अपने बच्चों की शादी में खर्च करता है।
दरअसल, मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति लगभग 8 लाख करोड़ के आसपास है। और अगर रिपोर्ट्स की मानी जाए, तो मुकेश अंबानी ने अपने बेटे अनंत अंबानी की शादी पर लगभग 5000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। मतलब, कुल संपत्ति के मुकाबले महज 0.5 प्रतिशत का खर्च अंबानी ने अपने बेटे की शादी में किया है और वह चर्चा का विषय है।
अब बात करते हैं आम आदमी की
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक आम भारतीय की औसत आय लगभग ढाई लाख रुपए के आसपास रहती है। और एक आम भारतीय अपने बच्चों की शादी में लगभग 10 से 12 लाख रुपए खर्च करता है। यह आंकड़े अलग-अलग हो सकते हैं, पर यह जो दिया गया है, यह एक औसत आंकड़ा है। तो इस हिसाब से देखा जाए, तो एक आम आदमी अपनी टोटल इनकम से लगभग चार से पांच गुना खर्च करता है। पर चर्चा सिर्फ और सिर्फ मुकेश अंबानी की होती है क्योंकि उन्होंने 5000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।
अंबानी ने कुछ दिन की कमाई बेटे की शादी पर लगाई
ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में मुकेश अंबानी की कुल संपत्ति 9.6 अरब डॉलर लगभग 80000 करोड़ रुपए थी। इसका मतलब होता है अंबानी ने हर दिन अरबों रुपए की कमाई की। अगर इस लिहाज से देखा जाए, तो अंबानी ने अपने एक या दो दिन की कमाई ही अपने बेटे की शादी पर खर्च की है।
इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद शादी ब्याह के मामले में एशिया के सबसे अमीर शख्स के मुकाबले आम आदमी शादियों में ज्यादा खर्च करता है और इसका नतीजा भी उसे भुगतना ही पड़ता है।
शादियों में फिजूल खर्ची रोकने के लिए लाया गया था बिल
भारत में शादियों में फिजूल खर्ची रोकने के लिए 2017 में बिहार के सुपौल से लोकसभा सांसद रंजीत रंजन ने एक प्राइवेट बिल लोकसभा में पेश किया था। इस बिल में शादी में फिजूल खर्ची रोकने के लिए सख्त कानून बनाने की बात की गई थी। बिल के अंतर्गत शादी में मेहमानों की सीमित संख्या करने के अलावा शादी का खर्च भी ₹5 लाख तक निर्धारित करने की सिफारिश की गई थी। सांसद रंजीत रंजन ने लोकसभा में बिल पेश करते वक्त मांग की थी कि अगर किसी ने तय सीमा से ज्यादा पैसे खर्च किए, तो उस पर 10% का टैक्स लगाया जाए और इस टैक्स का पैसा गरीब लड़कियों की शादी पर खर्च किया जाए।
लोकसभा में नहीं हो सका पास यह प्राइवेट बिल
सांसद रंजीत रंजन के इस प्राइवेट बिल को लोकसभा से मंजूरी नहीं मिल पाई। पर अगर यह बिल लोकसभा में पास हो जाता, तो शादी का पंजीकरण 7 दिन के अंदर अनिवार्य होता। और इसके साथ ही सरकार शादी में आने वाले मेहमानों की संख्या, बारात की संख्या और परोसे जाने वाले व्यंजन की भी सीमा तय कर देती ताकि शादियों में होने वाले खाने की बर्बादी पर लगाम लगाई जा सके।
शादियों में खाने की खूब होती है बर्बादी
भारत की शादियों में पैसों की फिजूल खर्ची तो एक आम बात है, पर उससे भी ज्यादा खराब बात यह है कि शादियों में खाने की बर्बादी होती है। एक तरफ तो लोग हैं, जिन्हें खाना नसीब नहीं होता और दूसरी तरफ वे लोग हैं, जो खाना सड़कों पर फेंकते हैं।
इस रिपोर्ट को पढ़ने के बाद एक सवाल आपके जेहन में जरूर आया होगा कि आखिरकार लोग अपने जीवन भर की कमाई शादियों में क्यों खर्च करते हैं? शादी तो दो परिवारों के साथ-साथ दो दिलों का बंधन है। शादी के पवित्र बंधन में बंधने के बाद दो नए लोग अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करते हैं। पर जिंदगी के इस अहम मोड़ पर कर्ज लेकर खर्च करना भविष्य के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। वर्तमान में शादियां दिखावे का रूप ले चुकी हैं। अक्सर देखा जाता है कि ऐसी शादियों के बाद कई परिवार कर्जदार हो जाते हैं और इसका खामियाजा उन्हें वर्षों तक भुगतना पड़ता है।
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