एलर्जी से राहत: आयुर्वेदिक उपाय और सावधानियां
एलर्जी एक आम समस्या है जिसे हम अक्सर ‘किसी ख़ास व्यक्ति से मुझे एलर्जी है’ के रूप में व्यक्त करते हैं। परंतु, हमारा शरीर भी ख़ास रसायनों के प्रति असहज प्रतिक्रिया को ‘एलर्जी’ के रूप में दर्शाता है। बारिश के बाद आई धूप एलर्जी के रोगियों की स्थिति को और दूभर बना देती है। ऐसे लोग अक्सर अपने चेहरे पर रूमाल लगाए नजर आते हैं। छींक और नजला-जुकाम से परेशान इन रोगियों के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपाय कारगर साबित हो सकते हैं।
आयुर्वेदिक उपचार
- नीम चढ़ी गिलोय: नीम चढ़ी गिलोय के डंठल को छोटे टुकड़ों में काटकर इसका रस हरिद्रा खंड चूर्ण के साथ 1.5 से 3 ग्राम नियमित प्रयोग पुरानी से पुरानी एलर्जी में रामबाण औषधि है।
- गुनगुना नींबू पानी: प्रातःकाल गुनगुने नींबू पानी का नियमित सेवन शरीर में विटामिन-सी की पूर्ति कर एलर्जी के कारण होने वाले नजला-जुकाम जैसे लक्षणों को दूर करता है।
- हर्बल चाय: अदरक, काली मिर्च, तुलसी के चार पत्ते, लौंग और मिश्री को मिलाकर बनाई गई हर्बल चाय एलर्जी से निजात दिलाती है।
- नीम के पत्ते: बरसात के मौसम में होने वाले वायरस संक्रमण के कारण ‘फ्लू’ जनित लक्षणों को नियमित ताजे चार नीम के पत्तों को चबा कर दूर किया जा सकता है।
- सितोपलादि चूर्ण: आयुर्वेदिक दवाई सितोपलादि चूर्ण एलर्जी के रोगियों में चमत्कारिक प्रभाव दर्शाती है।
- कुंजल और नेती क्रिया: नमक पानी से कुंजल क्रिया एवं नेती क्रिया कफ दोष को बाहर निकालकर पुरानी एलर्जी को दूर करने में मददगार होती हैं।
- नस्य: पंचकर्म की प्रक्रिया नस्य का चिकित्सक के परामर्श से प्रयोग एलर्जी से बचाव और उसकी सफल चिकित्सा है।
- कपालभाति प्राणायाम: प्राणायाम में कपालभाति का नियमित प्रयोग एलर्जी से मुक्ति का सरल उपाय है।
सावधानियां
- धूल, धुआं एवं फूलों के परागकण आदि के संपर्क से बचाव करें।
- अत्यधिक ठंडी एवं गर्म चीजों के सेवन से बचें।
- एस्पिरीन, निमासूलाइड जैसी दवाओं का सेवन सावधानी से करें।
- खटाई एवं अचार के नियमित सेवन से बचें।
हरिद्रा खंड: एलर्जी का रामबाण इलाज
हरिद्रा खंड, हल्दी से बनी आयुर्वेदिक औषधि, शीतपित्त, खुजली, एलर्जी और चर्म रोगों को नष्ट करती है। यह औषधि बाजार में सूखे चूर्ण के रूप में मिलती है। इसे मीठे दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद होता है।
हरिद्रा खंड निर्माण विधि
सामग्री:
- हरिद्रा: 320 ग्राम
- गाय का घी: 240 ग्राम
- दूध: 5 किलो
- खांड: 2 किलो
- सोंठ, काली मिर्च, पीपल, तेजपत्र, छोटी इलायची, दालचीनी, वायविडंग, निशोथ, हरड़, बहेड़ा, आंवला, नागकेशर, नागरमोथा और लोह भस्म (प्रत्येक 40-40 ग्राम)
विधि:
- हल्दी को दूध में मिलाकर खोया या मावा बनाएं।
- इस खोए को घी डालकर धीमी आंच पर भूनें।
- भुनने के बाद इसमें खांड मिलाएं।
- खांड गलने पर शेष औषधियों का कपड़छान बारीक़ चूर्ण मिला दें।
- अच्छी तरह पक जाने पर इसे चक्की या लड्डू बनाकर सेवन करें।
सेवन की मात्रा: 20-25 ग्राम दो बार दूध के साथ। बाजार में मिलने वाले हरिद्रा खंड चूर्ण की मात्रा 3-5 ग्राम दो बार रहेगी।
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