“आप” का सपना, अबकी हरियाणा अपना, पर राह मे मुश्किल बहुत
सच्चाई और बड़ी बातों में होता है फर्क, लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप के बड़े दावे !
खबरी प्रशाद दिल्ली / चंडीगढ़ प्रेरणा ढिंगरा
पंजाब और दिल्ली के अंदर आम आदमी पार्टी का लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन काफी खराब रहा। जहां दिल्ली के अंदर खाता खुला भी नहीं तो पंजाब में सिर्फ तीन सीटों पर ही विजय हासिल कर पाई। ऐसे में अब आप दावा करती है कि हरियाणा के अंदर विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने में वह सक्षम रहेंगी। अब हरियाणा विधानसभा चुनाव में इतनी ऊंची बाते आम आदमी पार्टी के लिए कहीं सपना बनकर तो नहीं रह जाएगा? या फिर आम आदमी पार्टी के सपनों के बीच में स्पीड ब्रेकर कहां पर है?
हरियाणा की बात शुरू करें उसके पहले हाल ही में बीते लोकसभा चुनाव की चर्चा बहुत जरूरी है। पहले तो आपको बता दें लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा थी जिसके तहत दिल्ली हरियाणा में गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा गया था। परंतु ऐसा लगता है गठबंधन का फायदा आम आदमी पार्टी को बिल्कुल भी नहीं मिला । ना तो दिल्ली में एक भी सीट जीत पाई और ना ही हरियाणा में उसके कोटे में एक सीट थी आम आदमी पार्टी जीत पाई। पंजाब में आम आदमी पार्टी अकेले दम पर चुनाव लड़ रही थी तो वहां पर भी उम्मीद से कम सीट लोकसभा चुनाव में हासिल हुई। जहां पंजाब में विधानसभा चुनाव में 92 सीट जीतकर गदगद हुई आम आदमी पार्टी को लोकसभा में भी 8 से 9 सीट जीत जाने की उम्मीद थी। हालांकि नारा उनका 13 सीट जीतने का था पर चुनावी रिजल्ट में पंजाब में आम आदमी पार्टी को महज तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ा। जिस दिल्ली को आप अपना गढ़ मानती है वहां पर भी जनता ने भाजपा को सात की सात सीट पर जीता दिया। दिल्ली में आप का खाता तक नहीं खुला और पंजाब में जहां 13 सीटों पर पार्टी जीत के सपने देख रही थी वहीं उनकी झोली में सिर्फ तीन सीटे ही आई। अब हरियाणा में विधानसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं और हरियाणा में जोरों की टक्कर है। सबसे बड़ी बात तो यह की हरियाणा पंजाब और दिल्ली के बीच में आता है । पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है और दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है। जिसकी वजह से आप नेताओं को लगता है की हरियाणा की जनता बदलाव के मूड में है और इस बार पूर्ण बहुमत की हरियाणा में सरकार आम आदमी पार्टी की बनेगी।
पर क्या पार्टी अपने दावों पर खरी उतर पाएगी? इसके लिए जानना होगा लोकसभा चुनाव में दिल्ली और पंजाब के अंदर आम आदमी पार्टी का कैसा प्रदर्शन रहा।
दिल्ली के अंदर शून्य पर ही सिमट कर रह गई आप
कांग्रेस के साथ गठबंधन के बावजूद आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में राजधानी की एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई। नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने के लिए दिल्लीवासी एक बार फिर से भाजपा के साथ खड़े होते हुए नजर आए। लोकसभा चुनाव में इस बार भी दिल्ली वालों पर मोदी की लोकप्रियता का जादू दिखाई दिया था। आप को उम्मीद थी कि दिल्ली की 7 सीटे उनके पक्ष में ही जाएगी। मुख्यमंत्री केजरीवाल का जेल में होना पार्टी के लिए सहानुभूति बटोरेगा पर हकीकत कुछ उल्टी ही दिखाई दी। वैसे तो हार के कई और भी कारण बताए जा रहे हैं जैसे की शराब घोटाले में केजरीवाल का जेल चले जाना। लोकसभा चुनाव के वक्त दिल्ली की गलियों में बातें चल रही थी कि अरविंद केजरीवाल पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने खेल पलट दिया। शराब घोटाले में फसे केजरीवाल का पूरा फायदा भाजपा के खाते में जाता हुआ दिखाई दिया। वही पार्टी के अन्य नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं। इससे केजरीवाल के चेहरे पर एक दाग सा लगा हुआ दिखाई दिया था, जिसकी वजह से वोट डालने से पहले दिल्ली के लोगों ने काफी सोचा और उनकी सोच का असर लोकसभा चुनाव में देखने को मिला। स्वाति मालीवाल के केस ने आग में घी डालने का काम किया। दिल्ली के कई वोटरों का मानना है कि स्वाति मालीवाल केस की वजह से आम आदमी पार्टी की इमेज महिलाओं के बीच खराब हुई जिसकी वजह से महिलाओं का वोट केजरीवाल को नहीं मिल पाया।
उम्मीद के अनुरूप पंजाब में नहीं कर पाई प्रदर्शन आप
पंजाब चुनाव की चर्चा करें उसके पहले एक कहानी पढ़ लेते हैं। एक बच्चा जब परीक्षा से लौटता है तो वह बड़े-बड़े वादे करता है। अपने प्रिय जनों को कहता है कि उसके 100 में से 90 मार्क्स तो आ ही जाएंगे पर जब रिपोर्ट कार्ड मे नंबर 30 ही आए, तो कैसा होगा ? क्या इससे हम उन नंबरों पर पास मान लेंगे? आम आदमी पार्टी के साथ पंजाब के अंदर कुछ ऐसा ही हुआ । लगभग 30 महीने पहले आम आदमी पार्टी पंजाब में जिस लहर पर सवार थी, वह उतरती हुई नजर आई। हालांकि अब 10 जुलाई को होने वाले जालंधर वेस्ट सीट के लिए के विधानसभा उपचुनाव और स्थिति साफ करेंगे कि पंजाब की जनता आम आदमी पार्टी पर कितनी मेहरबान होती है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने पूरे परिवार के साथ जालंधर वेस्ट में डेरा डाल रखा है क्योंकि इस बार यह सीट उनके लिए नाक का सवाल बन गई है। किसी भी हालत में इस सीट को जितना आप का मनोबल हरियाणा विधानसभा चुनाव में मोरल बूस्ट देगा। क्योंकि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अलग-अलग वादों और इरादों पर लड़े जाते हैं।
बिना गठबंधन के लड़ेगी हरियाणा में विधानसभा चुनाव आप
हरियाणा में आम आदमी पार्टी बिना गठबंधन के अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी। आप ने 5 जुलाई को इसकी पुष्टि की थी। आम आदमी पार्टी इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आप हरियाणा यूनिट के उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने कहा कि राज्य में हमारा कांग्रेस के साथ गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनावों के लिए था।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में आप
हरियाणा में अक्टूबर माह में विधानसभा चुनाव संभावित हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं। लोकसभा स्तरीय रैलियों के बाद आम आदमी पार्टी ने जिला व विधानसभा स्तरीय बैठकों का सिलसिला आरंभ करने की कार्य योजना बनाई है। गांवों व शहरों में वार्ड स्तर पर जनसंवाद के कार्यक्रमों को गति प्रदान की जाएगी। 15 जुलाई तक जनसंवाद के कार्यक्रम पूरे कर लिए जाएंगे। इसी के साथ सुशील गुप्ता और अनुराग ढांडा ने दावा किया कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जल्दी ही जेल से बाहर आ जाएंगे। जिला स्तरीय बैठकें आप के राष्टीय संगठन महामंत्री संदीप पाठक लेंगे, जिनमें विधानसभा चुनाव की तैयारियों के अंतिम रूप दिया जाएगा।
जीत के लिए आप को 10 साल की एंटी इनकंबेंसी तो केजरीवाल की गारंटी का भरोसा
आम आदमी पार्टी के हरियाणा इकाई के अध्यक्ष डॉ सुशील गुप्ता का मानना है कि 10 साल की भारतीय जनता पार्टी की सरकार से हरियाणा की जनता बुरी तरीके से परेशान है। सरकार के फैसले जन उपयोगी ना होकर जनविरोधी रहे हैं। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव हारने के बाद सरकार अपने लगभग सभी पुराने फैसले बदलने में लगी हुई है। जिन कामों के लिए जनता धक्के खाया करती थी अब उन कामों के लिए जनता पर अचानक सैनी सरकार को प्यार उमड़ पड़ा है। वही दिल्ली की जनता और पंजाब की जनता आम आदमी पार्टी के शासन से पूरी तरीके से खुश है ना तो लोगों के बिजली के बिल आते हैं स्वास्थ्य की सुविधा दिल्ली हो या पंजाब पहले से बेहतर की गई है । दिल्ली सरकार के शिक्षा के मॉडल को लेकर दूर-दूर तक चर्चा होती है । पर हरियाणा में खुद स्वास्थ्य मंत्री रहते हैं कि हरियाणा में डॉक्टरों की कमी है स्कूलों की हालत बदतर है ।
एक तरफ लोकसभा चुनाव में हार और दूसरी तरफ जेल में है केजरीवाल। इन परिस्थितियों मे कैसे लड़ेगी हरियाणा में विधानसभा चुनाव? धीरे-धीरे आम आदमी पार्टी का ग्राफ गिरता हुआ नजर आ रहा है। ऊपर से हरियाणा के अंदर विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन छोड़ने का फैसला कही आम आदमी पार्टी के लिए भारी न पड़ जाए। लोकसभा चुनाव में हार के बाद विधानसभा चुनाव में हरियाणा के अंदर बड़े दावे तो इसी बात का संकेत देते हैं कि आम आदमी पार्टी का मनोबल अभी तक नहीं टूटा है। पर आप की हरियाणा में जीत कैसे होगी यह एक बहुत बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो चुका है।
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