वादा था : ना खाऊंगा ,ना खाने दूंगा ,पर बिहार में 24 घंटे के अंदर 6 “पुलों” ने किया “सुसाइड”
बारिश ने खोल दी सरकार और ठेकेदारों की सच्चाई ?
तेजस्वी ने कसा नीतीश कुमार पर तंज
10 साल पहले जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली थी तो उन्होंने देशवासियों से वादा किया था ना खाऊंगा ना खाने दूंगा । जिसका सीधा सा मतलब था की ना भ्रष्टाचार करूंगा ना भ्रष्टाचार करने दूंगा । पर ऐसा लगता है कि यह शब्द सिर्फ कागजों पर लिखी हुई एक इबारत है । जमीनी हकीकत से ना खाऊंगा ना खाने दूंगा की बातें कोसों दूर-दूर नजर आती है । अगर ऐसा नहीं है तो बीते 15 दिन के अंदर बिहार में 11 पुल ध्वस्त हो गए हैं उसकी क्या वजह है ? क्या ईडी, इनकम टैक्स , सीबीआई या कोई दूसरी जांच एजेंसी होने इस बात की जांच की , कि आखिर सुशासन बाबू के राज में लगातार पल आत्महत्या क्यों कर रहे हैं ?
24 घंटे में गिर गए 6 नदियों पर बने पुल
बिहार के सिवान और सारण जिले में बुधवार को 1 दिन के अंदर 6 पुल ढह जाने की खबर सामने आई है। अधिकारियों का कहना है कि पुल कई साल पुराने थे। अब प्रशासन और शासन की कोशिश है कि जल्द से जल्द नए पुल बनाए जाएं, ताकि लोगों को परेशानी ना हो।
आपको बता दे कि बिहार के सीवान और सारण जिले में बुधवार को एक दिन में छह पुल ढह गए। इनमें चार गंडक नदी पर तो दो धमही नदी पर बने हुए थे। पिछले 15 दिनों के दौरान राज्य में पुल गिरने की ऐसी 11 घटनाएं हुई हैं। इससे पहले मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जैसे जिलों में पुल ढह गए थे। पानी के तेज बहाव से मिट्टी कटाव के कारण इस तरह की घटनाए हो रही है। सरकार द्वारा फैसला लिया गया है कि इन पुलों को फिर से बनाया जाएगा ताकि किसानो और आम व्यक्ति को मुश्किल ना हो, पर तब तक के लिए पुल टूटने के कारण ग्रामीणों का और कई गांवों से संपर्क टूट गया है। दावा किया जा रहा है कि इलाक़े के क़रीब 20-25 गाँवों का सिवान के ग्रामीण इलाक़े से संपर्क टूट गया है।
अधिकारी जी का क्या कहना है?
सिवान के ज़िलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि “यह मृत नदी थी इसलिए इस पर बने पुल भी 40-45 साल पुराने हैं, जो ईंट की नींव पर बने हैं। ये बहुत मज़बूत नहीं होते हैं। पिछले 24 घंटे में हुई भारी बारिश की वजह से नदी में 5 फुट तक पानी बह रहा है और मिट्टी के कटाव की वजह से पुल गिरे हैं।”
नीतीश चाचा की ईमानदारी देखकर पुलों ने कर ली आत्महत्या तेजस्वी यादव
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रहनुमाई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में 6 दलों वाली डबल इंजनधारी एनडीए सरकार में पुल के गिरने से जनता के स्वाहा हो रहे हज़ारों करोड़ को स्वघोषित ईमानदार लोग ‘भ्रष्टाचार’ ना कहकर ‘शिष्टाचार’ कह रहे हैं.”
तेजस्वी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा “आज बिहार में एक ही दिन में पुल और गिरे। सुशासनी नेकचलनी के सौजन्य से विगत दिन में बिहार में कुल पुल जल समाधि ले चुके हैं। डबल इंजन सरकार अब इसका दोष भी विपक्ष को देकर अपने कर्तव्यों, सुशीलता से परिपूर्ण वसूली तंत्र एवं डबल इंजन पॉवर्ड भ्रष्टाचार का इतिश्री कर सकती है।
बिहार में 15 दिन के अंदर गिरे 12 पुल
- सबसे पहला पुल 18 जून को अररिया के सिकटी में बकरा नदी पर बन रहा एक निर्माणाधीन पुल गिर गया था। यह पुल सिकटी और कुर्साकांटा को जोड़ने के लिए बनाया गया था। पुल बनाने की जिम्मेदारी बिहार पुल निगम को दे रखी थी। पुल करीब 180 मीटर लंबा था। स्थानीय अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कारण बकरा नदी का जलस्तर बढ़ जाने से पुल दबाव झेल नहीं पाया और ढह गया।
- 22 जून को सिवान में एक पुल ढह गया। इसे करीब 33 साल पुराना बताया जा रहा था। यह पुल दरौंदा और महाराजगंज ब्लॉक के गांवों को जोड़ने वाली नहर पर बनाया गया था।
- 23 जून के दिन मोतिहारी के घोड़ासहन में निर्माणाधीन पुल गिर गया था। यह पुल करीब 2 करोड़ की लागत से बन रहा है। पुल की लंबाई करीब 80 फीट है। पुल का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग के जिम्मे है। जानकारी के मुताबिक 22 जून को पुल की ढलाई हुई थी और अगले ही दिन यह गिर गया था।
- इसके बाद 26 जून को किशनगंज में मरिया नदी पर बना पुल धंस गया। हादसे के बाद ग्रामीण कार्य विभाग की टीम द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण हुआ। स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पिछले 2 साल से जर्जर अवस्था में था यह पुल और लगातार शिकायत करने के बावजूद भी इसकी मरम्मत नहीं की गई।
- 28 जून को मधुबनी में एक निर्माणाधीन पुल का गर्डर गिर गया। पिछले 4 वर्षों से पुल बनाया जा रहा था। पुल का निर्माण मे करीब 3 करोड़ की लागत लग रही थी। लोग पुल निर्माण में नियम के उल्लंघन का भी आरोप लगा रहे हैं।
- अब सीवान और सारण जिले में बुधवार को ही एक दिन में छह पुल ढह गए। जिसमें से चार गंडक नदी पर तो दो धमही नदी पर बने थे। इसका कारण बारिश को बताया जा रहा है।
पुल गिरने के कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
बिहार के अंदर हाल ही के दिनों में पुल गिरने की कई घटनाएं सामने आई हैं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें मांग रखी गई है कि सुप्रीम कोर्ट बिहार सरकार को निर्देश दे कि वह राज्य के सभी मौजूदा और निर्माणाधीन पुलों की उच्च स्तरीय जांच करवाए। ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना ना हो। याचिका में कहा गया है कि पुल गिरने की घटनाओं में कई लोगों की मौत हुई है और कई अन्य घायल हुए हैं। बाद में चलकर ऐसे हादसों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। याचिकाकर्ता का मानना है कि तुरंत जांच करने की जरूरत है , ताकि सरकार की लापरवाही और ठेकेदारों के भ्रष्ट होने की सच्चाई सबके सामने आ जाए।
अगले साल होने हैं बिहार में विधानसभा के चुनाव
अगले साल ही बिहार में विधानसभा के चुनाव होने हैं और नीतीश कुमार की पार्टी एक बार फिर सत्ता में वापसी करने के लिए पूरा प्लान बना रही है । केंद्र में मोदी सरकार का बिहार में नीतीश कुमार को कितना फायदा मिलेगा यह तो आने वाला वक्त बताएगा पर लगातार पुलों के गिरने को विरोधी दल जनता के बीच में बड़ा मुद्दा अभी से बनाने में लगे हुए हैं । और यही वजह है की नीतीश कुमार को अपनी ईमानदार की और सुशासन की छवि को बनाए रखने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही हैकटघरे में
कटघरे में है सरकार
विपक्ष लगातार सरकार पर वार करती हुआ नजर आ रहा है। बिहार में इस तरह से पुल गिरने को लेकर सियासत गर्म होने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि राज्य में लगातार इस तरह की घटनाए हो रही है। पुल गिरने की तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लोगों ने सरकार पर सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। लोगों का कहना है कि अगर पुल पुराने थे और कमजोर पड़ गए थे तो उनकी मरम्मत पहले ही शुरू क्यों नहीं हुई? बारिश की आने का इंतजार क्यों किया गया? इसमें सरकार की लापरवाही है या ठेकेदारों के भ्रष्टाचार होने की सच्चाई? कुछ पुल तो ऐसे भी थे जिनका निर्माण पूरा होने से पहले ही वह भगवान को प्यारे हो गए। अब सवाल यह उठता है कि उन पुलों में किस तरीके की कमी थी, जिसके कारण ऐसी घटनाएं हुई?
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