24 घंटे के अंदर भाजपा शासित दो राज्यों में बड़े हादसे, दोनो पर लीपा पोती का प्रयास
हाथरस हादसे की गूंज देश भर मे , पर इंदौर हादसा मीडिया से गायब
इंदौर अस्पताल अयोध्या मंदिर से जुड़े हुए महंत का
पिछले 24 घंटे के अंदर भारतीय जनता पार्टी शासित दो राज्यों से बड़ी घटनाए सामने आई है । हाथरस के साथ , मध्य प्रदेश के इंदौर में मंदबुद्धि बच्चों के आश्रम में पांच बच्चों की मौत के बाद जागा प्रशासन । उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक कार्यक्रम मे भगदड़ मचने के कारण 121 लोगो की मौत हो गई। पूरे देश को झंझोर देने वाली यह घटना तब हुई जब नारायण साकार विश्व हरि के सत्संग के बाद उनका चरण रज लेने और दर्शन करने के लिए लोग उतावले हो गए। तो वही मध्य प्रदेश के इंदौर में बच्चों के एक आश्रम में पांच बच्चों की जान चली गई जबकि 34 बच्चे अस्पताल में भर्ती बताए जा रहे हैं । और यह अस्पताल भी राम जन्मभूमि न्यास बोर्ड से जुड़े भाजपा के उच्च स्तर के महंत का बताया जा रहा है ।
आपको बता दे की देशभर को हाथरस हादसे ने झकझोर दिया है। इस हादसे के बाद जिस बाबा का कोई सुराग नहीं मिल रहा था, उसके मैनपुरी आश्रम पहुंचने की खबर सामने आई । कई मीडिया संस्थानों की रिपोर्ट के अनुसार, बाबा नारायण साकार विश्व हरी के नाम से मशहूर मैनपुरी के एक आश्रम में 2 और तीन जुलाई की दरम्यानी रात मे मौजूद थे । पुलिस का दावा है कि जब वह बाबा को ढूंढते हुए वहां पहुंचे तब भक्तों ने कहा कि बाबा आश्रम पर मौजूद नहीं है। पर हाथरस पुलिस के एक बड़े अधिकारी आश्रम के अंदर अकेले गए और लगभग 1 घंटे के बाद जब वह वापस लौटे तो उन्होंने कहा कि बाबा अंदर नहीं है सवाल इस बात का भी है यह बड़े अधिकारी जांच करने के लिए अकेले कैसे क्यों गए थे और कैसे गए थे । हालांकि, इस बात का अभी तक कोई पुख्ता सुराग नहीं मिल पाया है कि हादसे के बाद से ही बाबा कहा है और पुलिस उनकी तलाश में लगी हुई है। सत्संग समाप्त होने के बाद भोले बाबा गुपचुप मैनपुरी आश्रम पहुंच गए। इस बात की जानकारी लगभग लगभग सार्वजनिक हो चुकी है कि सत्संग के बाद बाबा मैनपुरी आश्रम में ही थे । आश्रम के बाहर भक्तों ने डेरा जमा लिया और आश्रम में बाहरी लोगों का प्रवेश करना रोक दिया गया । पर इस बात को पुख्ता तौर पर कहने को कोई भी तैयार नहीं है ना पुलिस प्रशासन न ही बाबा के अनुयाई । बाबा को बचाने की वजह क्या है यह तो पुलिस प्रशासन ही बता सकता है क्योंकि पुलिस के द्वारा दी की गई एफआईआर पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि उस एफआईआर में 22 लोगों के नाम तो है पर आयोजन करता बाबा का नाम कहीं भी नहीं है ।
गाड़ियों का काफिला बाहर निकला
खबर सामने आई है कि बाबा के अनुयायी रातभर आश्रम के गेट के बाहर डटे रहे और सुरक्षा में पुलिस भी तैनात थी। इसके बाद सुबह साढ़े सात बजे के करीब आश्रम से गाड़ियों का एक काफिला बाहर निकला। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक काफिले में शामिल एक गाड़ी पर भाजपा का झंडा लगा हुआ था । आश्रम से कुल छह गाड़ियां बाहर निकली । सुबह के वक्त मैनपुरी में तेज बारिश हो रही थी इसकी वजह से मीडिया कर्मी आश्रम के गेट से काफी दूर खड़े हुए थे । लोगों का कहना है कि भोले बाबा इन्हीं में से किसी एक गाड़ी में बैठे हुए थे और आश्रम में मौजूद होने की बात सामने आने के बाद बाद यहां से निकल गए। हालांकि, नाम ना छापने की शर्त पर कुछ अनुयायी अब भी बाबा के आश्रम के अंदर ही होने की बात भी कर रहे हैं।
बाबा को बचाने की करी जा रही है कोशिश?
इस मामले में पुलिस ने मुख्य सेवादार देव प्रकाश और अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। लेकिन पुलिस की इस एफआईआर पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि इसमें नारायण साकार विश्व हरि का नाम मौजूद नहीं है। इससे सवाल खड़े होते हैं सत्संग करने वाले भोले बाबा का नाम शामिल क्यों नहीं किया गया? क्या उन्हें किसी तरीके से बचाने की कोशिश की जा रही है?
इन सब बातों से क्या यह कहना सही होगा कि इस हादसे ने प्रशासन और पुलिस की पोल खोल कर रख दी है? भगदड़ के दौरान पुलिसकर्मी लाचार दिखाई दिए। यहां तक की एक पुलिस कर्मी की ही मौत हो गई। हाथरस ट्रॉमा सेंटर में जब शव पहुंचे तो वहां पर किसी तरीके की कोई व्यवस्था नहीं थी। पुलिस के मुताबिक, कार्यक्रम स्थल पर जिस समय भगदड़ हो रही थी, सेवादार और आयोजक चुपचाप देखते रहे। इसमें किसी का कोई सहयोग नहीं था।
पुलिस की एफआईआर में भी मुख्य सेवादार को आरोपी बना दिया गया है पर जिसके नाम पर कार्यक्रम आयोजित किया गया उसका कहीं नामोनिशान नहीं है।
सीबीआई जांच के लिए पीआईएल दायर
हाथरस हादसे को लेकर प्रयागराज के वकील गौरव द्विवेदी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक पीआईएल दायर करके इस हादसे की सीबीआई जांच की मांग की है । सुप्रीम कोर्ट के वकील विशाल तिवारी ने भी एक जांच कमेटी रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में पांच विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर जांच करने की मांग की गई है ।
देर रात भोले बाबा का बयान आया सामने
सत्संग कार्यक्रम में भगदड़ मचने के लगभग 24 घंटे बाद भोले बाबा का पहला बयान आया है । भोले बाबा ने सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए एक लिखित बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा मेरे समागम से निकलने के बाद यह हादसा हुआ है । असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई है मैं इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा । मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं । परंतु बाबा कहां है इस बात की जानकारी किसी को नहीं है ।
बाबा ने अपने ही बयान में अपने भक्तों को बता दिया असामाजिक तत्व
एक दिन पहले तक जो भक्त बाबा के लिए जान देने को तैयार थे और बाबा के लिए वह उनके अनुयाई थे हादसा होने के बाद बाबा के लिए वह असामाजिक लोग हो गए । 24 घंटे बाद आए बाबा के बयान से तो यही कहा जा सकता है । भोले बाबा के बयान में घायलों के लिए तो चिंता जताई गई है पर 121 लोगों के निधन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है ।
अयोध्या श्री राम मंदिर से जुड़े बाबा जी के आश्रम में पांच बच्चों की मौत 34 अस्पताल में
इंदौर का सच प्रशासन ने छुपा कर रखा
इंदौर के एक शेल्टर होम ( बाबा से जुड़ा ) में संदेहास्पद तरीके से फूड प्वाइजनिंग के शिकार 5 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं 38 बच्चे अस्पताल में भर्ती हैं। सभी को सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। न्यूज एजेंसी से मिली सूचना के अनुसार शेल्टर होम के अधिकारी ने बताया कि यहां करीब 204 बच्चे रहते हैं। और बीते दिनों कुछ बच्चों की तबीयत खराब हो गई थी उनको सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है । बच्चों की मौत के बाद आश्रम पहुंचे अधिकारी जांच में उलझे रहे और दूसरी तरफ बच्चे दम तोड़ते रहे।
सोमवार 2 जुलाई को सुबह 12 बच्चों को इंदौर के चाचा नेहरू हास्पिटल में भर्ती कराया गया था। जबकि अन्य बच्चों को भी दस्त और उल्टी की समस्या थी। जांच में पता चला है कि बच्चों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने में लापरवाही बरती गई। इस बात की आशंका भी है कि दूषित पानी पीने से बच्चों की तबियत बिगड़ी हो। आशंका जताई जा रही है कि कुछ दूर एक नल बह रहा है, जिसके पानी से आश्रम के बोरिंग का पानी दूषित हो गया हो और आरओ का दूषित पानी बच्चों ने पीया होगा। ऐसा भी बताया जा रहा है कि आश्रम के अंदर आरो बंद था।
संस्था की शुरुआत कब हुई?
आश्रम संचालिका डा. शर्मा ने बताया कि आश्रम की शुरुआत 2006 में हुई थी। परमानंद गिरि महाराज से प्रेरणा लेकर इस आश्रम को शुरू किया गया था। जिसमें वर्तमान समय में 112 बालक मौजूद है और 89 बालिकाएं हैं। 100 बच्चों के लिए वित्तीय मदद महिला बाल विकास विभाग से मिलती है। महिला व बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी आरएन बुधोलिया ने बताया है कि वह 100 बच्चों के लिए करीब तीन हजार रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से राशि जारी की जाती है। सभी बच्चे मानसिक रूप से बीमार हैं। आश्रम के 51 बच्चों को मिर्गी की दवाई दी जाती है। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर आश्रम के अंदर जाकर बच्चों की जांच करता है। बच्चों की सेवा के लिए 38 लोगों का स्टाफ मौजूद होता है।
अब इन दोनों घटनाओं से सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। हाथरस मामले में पुलिस की एफआईआर में बाबा का नाम शामिल नहीं था और इंदौर के आश्रम में बच्चों के लिए साफ पानी मौजूद नहीं था। इन सभी बातों पर लगता है कि लापरवाही बरती गई है। एक तरफ प्रशासन की लापरवाही और दूसरी तरफ आश्रम की लापरवाही। दोनों की गलतियों से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में लोगों की मौत हुई। अब इस हादसे की जिम्मेदारी कौन लेगा? सरकार इस पर क्या निर्णय लेगी? वैसे तो सरकार ने उत्तर प्रदेश हाथरस में हुए कांड पर जिनकी मौत हुई उनको 2 लाख देने का वादा किया है और जो घायल हुए उन्हें 50,000 पर क्या इस से जिम्मेदारी पूरी हो जाती है?
कांग्रेस ने इस मामले को ड्रग ट्रायल से जोड़ा
मध्य प्रदेश कांग्रेस के महासचिव राकेश सिंह यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहां बच्चों की मौत के मामले में प्रशासन के तीन बयान सामने आए हैं एक बयान में बच्चों की मौत मिर्गी से बताई गई है तो दूसरे बयान में बच्चों की मौत हार्ट अटैक से बताई गई है और तीसरे बयान में बच्चों की मौत पानी के इंफेक्शन से हुई है । इंदौर ड्रग ट्रायल में संदिग्ध रहा है यहां के 78 डॉक्टर ड्रग ट्रायल में आर्थिक अपराध शाखा ने 2012 में शिकायत दर्ज की थी । जिस आश्रम में यह हादसा हुआ है वहां पर कई डॉक्टर ऐसे हैं जिन पर ड्रग ट्रायल के आरोप है । यह अस्पताल श्री राम मंदिर ट्रस्ट बोर्ड से जुड़े हुए एक बहुत बड़े व्यक्ति का है जिसकी वजह से प्रशासन भी इस मामले में कार्रवाई करने से बच रहा है ।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले पर किया ट्वीट
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बच्चों की मौत पर संवेदना व्यक्त की है और उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाने की बात कही है ।
सरकारें बाबाओं को बचाने की क्यों करती है कोशिश
यहां सवाल इस बात का भी है कि आखिरकार सरकारें ( चाहे दल कोई भी हो ) ऐसे बाबाओं को बचाने की कोशिश क्यों करती हैं । दरअसल यह सारा खेल वोट बैंक का है । सरकारों को पता होता है कि एक-एक बाबा के पीछे करोड़ों लोगों का वोट बैंक छिपा है और चुनाव में यही बाबा वोट बैंक के तौर पर सरकारों के लिए काम करते हैं । अक्सर चुनाव के वक्त पर देखा जाता है कि ज्यादातर नेता बाबाओ के दरबार में माथा टेक कर आशीर्वाद लेते हैं । दरअसल नेता आशीर्वाद नहीं लेते उनकी निगाहें तो सिर्फ बाबा के अनुयायियों के रूप में वोट बैंक पर होती है । बाबा लोग भी इस बात को बहुत बखूबी समझते हैं और चुनाव के वक्त पर आने वाले नेताओं से पर्दे के पीछे आशीर्वाद देने के बहाने एक अच्छी खासी रकम वसूलते हैं । चुकी यह सारा खेल परदे के पीछे होता है जिसकी वजह से कभी ऐसी बातें सामने नहीं आ पाती ।
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