बातें गुजरे जमाने की : कभी दूसरों के घर बोरे पर बैठकर देखते थे टीवी और अब…..
इनके घर पर टीवी नहीं था। एक अमीर दोस्त था जिसके घर में टीवी हुआ करता था। ये अपना बोरा लेकर जाते थे उस दोस्त के घर टीवी देखने। इनके बगीचे में खीरा-ककड़ी की पैदाइश होती थी। तो ये अपने दोस्त के घर खीरे व ककड़ी ले जाते थे। ये सोचकर कि दोस्त के परिवार वाले रोज़-रोज़ इनके टीवी देखने आने से चिढ़ेंगे नहीं। कभी-कभार दूध व मट्ठा भी ले जाते थे। छोटी सी उम्र से ही टीवी का जादू इन पर कुछ ऐसा चला कि ये ख्वाब देखने लगे कि एक दिन कुछ ऐसा करना है कि लोग इन्हें भी टीवी पर देखें।
पहचान तो इन्हें आप गए ही होंगे। नाम है इनका हेमंत पांडे। इन्हें आपने कई फिल्मों व टीवी धारावाहिकों में देखा होगा । 1 जुलाई 1970 को पिथौरागढ़ में हेमंत जी का जन्म हुआ था। चूंकि ईश्वर ने इन्हें भेजा ही था एक्टर बनने के लिए तो रास्ता भी खुद ब खुद तैयार होता चला गया। हुआ कुछ यूं कि स्कूल के दिनों से ही नाटकों में हिस्सा लेने लगे। दोस्तों व रिश्तेदारों को जब पता चला कि ये एक्टर बनने के ख्वाब देखते हैं तो इनका खूब मज़ाक उड़ा। मगर इन्होंने किसी की परवाह नहीं की।
एक दफा इनका दिल्ली आना हुआ। दिल्ली में इनकी बहन रहा करती थी। ये बहन के पास ही आए थे। दिल्ली इन्हें इतना पसंद आया कि इन्होंने तय कर लिया कि अब तो वो इसी शहर में रहेंगे। घरवालों के शुरुआती विरोध के बाद आखिरकार इन्हें दिल्ली में रहने की परमिशन मिल गई। पिथौरागढ़ में रहते हुए इन्हें ये पता चल गया था कि दिल्ली में मंडी हाउस और श्रीराम सेंटर जैसी जगहें हैं जहां खूब नाटक होते हैं। एनएसडी की जानकारी भी इनको हो चुकी थी। यानि इन्हें पता था कि दिल्ली में इनकी मंज़िल क्या है।
थोड़े प्रयास के बाद इन्हें दिल्ली की कुछ नाट्य संस्थाओं से जुड़ने का मौका मिल गया। और प्रत्येक नाटक का इन्हें पचास रुपए मेहनताना मिलता था। वक्त गुज़रा और इन्होंने दिल्ली के थिएटर जगत में अपना बढ़िया नाम बनाया। फिर इन्हें एनएसडी की रैपेटरी कंपनी में नौकरी मिल गई। लगभग तीन सालों तक हेमंत जी ने वहां नौैकरी की। इस दौरान रंगमंच की कई दिग्गज हस्तियों संग इन्हें काम करने का मौका मिला। शेखर कपूर जब बैंडिट क्वीन बना रहे थे तो एक्टर्स की तलाश में वो एनएसडी में भी आए थे।
एनएसडी से शेखर कपूर ने कई एक्टर्स को बैंडिट क्वीन में लिया था। उनमें से एक हेमंत पांडे भी थे। हालांकि हेमंत पांडे का रोल बहुत छोटा था। लेकिन उस छोटे से रोल को निभाने के बाद इन्होंने तय कर लिया कि अब ये दिल्ली छोड़ेंगे और फिल्मी दुनिया में भविष्य बनाने के लिए मुंबई जाएंगे। इस समय तक हेमंत पांडे दूरदर्शन के लिए फिरदौस नाम के एक सीरियल में भी काम कर रहे थे। साथ ही इन्होंने गुलाबरी नाम की एक टेलीफिल्म में भी काम किया था। दूरदर्शन के और चंद टीवी शोज़ में ये तब काम कर रहे थे।
मुंबई आने के बाद इन्हें एक टीवी शो में काम करने का मौका मिला जिसका नाम था हम बंबई नहीं जाएंगे। वो शो शेखर कपूर ने प्रोड्यूस व तिग्मांशु धूलिया ने डायरेक्ट किया था। उस शो के लिए इन्हें पांच सौ रुपए रोज़ मेहनताना व सौ रुपए कनवेयंस के मिलते थे। इनके लिए तब वो एक बड़ी बात थी। फिर तो इन्हें कई टीवी शोज़ में काम मिला। और फिर जब ऑफिस ऑफिस शो में ये नज़र आए तो मानो इनकी ज़िंदगी ही बदल गई। पैसा भी अच्छा मिलने लगा। और पहचान भी ज़बरदस्त बनने लगी। ये पांडे जी नाम से मशहूर हो गए।
फिल्मों में हेमंत पांडे जी की शुरुआत हुई साल 2000 में आई ‘मुझे कुछ कहना है’ से। हालांकि इससे पहले ये एक तमिल फिल्म में छोटा सा रोल कर चुके थे। लेकिन ‘मुझे कुछ कहना है’ के बाद इन्हें फिल्मों में भी लगातार काम मिलने लगा। इन्होंने रहना है तेरे दिल में, आप मुझे अच्छे लगने लगे, अब के बरस, बधाई हो बधाई व फरेब जैसी फिल्मों में छोटी लेकिन नोटेबल भूमिकाएं निभाई। मगर फिल्मी दुनिया में इनके लिए माइल स्टोन साबित हुई 2006 में आई ऋतिक रोशन की सुपरहीरो फिल्म क्रिस। क्रिस में ये ऋतिक के दोस्त बहादुर के रोल में दिखे थे।
आज हेमंत पांडे अभिनय जगत का एक जाना-पहचाना चेहरा हैं। फिल्मों के अलावा वो थिएटर में भी काफी काम करते हैं।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!