भोजन के बाद क्यो सर्व की जाती है सौंफ मिश्री
आपने अक्सर शादी में या होटल में खाने सौंफ रखी देखी होगी जिसका प्रयोग आप खाने के बाद के लिए करते हैं. खाने के बाद अक्सर लोग सौंफ खाते हैं और ये ज्यादातर रेस्टोरेंट में दिखाई देती हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि खाने के बाद सौंफ क्यों खाई जाती है ? दरअसल खाने के बाद सौंफ इसलिए खाई जाती है क्योंकि इसे खाने से आपकी पाचन क्रिया झट से काम करेगी और आपका खाना अच्छे से पच जाता है.
इसमें अगर मिश्री और चीनी का मिश्रण हो तो और भी अच्छा है क्योंकि सौंफ और चीनी को एक साथ मिलाकर खाने से आपका पाचन क्रिया दुरुस्त रहती है और खाना बहुत अच्छे से डायजेस्ट हो सकता है ।
क्यों खाई जाती है खाने के बाद सौंफ ये तो आपको बता दिया लेकिन इसके अलावा भी इसके कई गुणकारी लाभ होते हैं, चलिए आपको बताते हैं.
दरअसल , मसाले से युक्त भोजन खाने के बाद मुंह से बदबू आने लगती है, जिसे दूर करने के लिए सौंफ और मिश्री खाया जाता है। ये प्रयोग बहुत ही अच्छा है, अगर आपको यकीन नहीं है तो आप भी खाने का बाद मुह की स्मेल को सुंघिये, उसके बाद कुछ सौंफ और मिश्री खा लीजिए फिर दोबारा से स्मेल को सुंघिये आपको खुद महसूस हो जाएगा और आप फ्रेश फील करेंगे।
हर दिन सौंफ खाने से आपके आंखो की रोशनी भी ठीक रहती है. अगर आप चाहें तो इसमें मिश्री भी मिला सकते हैं.
हर दिन अगर आप नियमित रूप से सुबह खाली पेट सौंफ खाने से खून साफ होता है और त्वचा में भी चमक आती है.
सौंफ में कैल्शियम, पोटेशियम के अलावा आयरन और सोडियम जैसे औषधीय तत्व पाये जाते हैं. इसका हर दिन सेवन करने से आपकी बॉडी में होने वाली ये सारी कमियां खत्म हो जाएंगी.
हर दिन सौंफ का प्रयोग करने से खांसी, मुंह के छाले और लूज मोशन जैसी बीमारियां नहीं होती और अगर हो गई है तो ऐसे में सौंफ का सेवन समय-समय पर करते रहें.
बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए मिश्री एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मिश्री को मस्तिष्क के लिए प्राकृतिक दवा के रूप में भी उपयोग किया जाता है। रॉक शुगर याददाश्त सुधार करने और मानसिक थकान (mental fatigue) को दूर करने में मदद करता है। आप अपने बच्चों को रात में सोने से पहले गर्म दूध के साथ मिश्री पिलाएं। यह स्मृति में सुधार (Memory improvement) के लिए एक अच्छा और प्रभावी प्राकृतिक उपाय होता है।
महिलाओ के गर्भावस्था (Pregnancy) एक ऐसी स्थिति होती है जहां उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इस स्थिति में महिलाएं अक्सर अवसाद ग्रस्त देखी जा सकती हैं। जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल होता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान उन्हें मिश्री का सेवन करना चाहिए। मिश्री अवसाद (Depression) को दूर करने में मदद करती है। यह उन माताओं के लिए भी फायदेमंद होता है जो स्तनपान करा रही हैं।
मिश्री और लाल इलायची को लेकर बारीक पीस लें। फिर इस चूर्ण को सरसों के तेल में डालकर 2 घंटों तक रहने दें। 2 घंटे के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की 3-4 बंदे रोजाना सुबह-शाम कान में डालने से बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
6 ग्राम से 10 ग्राम महात्रिफला घृत में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से पित्तज चक्षु प्रदाह (गर्मी के कारण आंखों में जलन), आंखें ज्यादा लाल सुर्ख हो जाना, आंखों की पलकों का सूज जाना, रोशनी के ओर देखने से आंखों में जलन होना आदि रोग दूर होते हैं। इसके साथ ही त्रिफला के पानी से आंखों को धोने से भी आराम आता है।
मिश्री, मोटी सौंफ, सूखा धनिया को बराबर मात्रा में पीसकर 1 चम्मच सुबह पानी के साथ लेने से मोटापा दूर होता है।
50 ग्राम सूखे हुए कमल के फूल और 50 ग्राम मिश्री को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच गर्म दूध के साथ फंकी लेने से सिर्फ 1 ही हफ्ते में ही नकसीर (नाक से खून बहना) का रोग दूर हो जाता है!
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