नीट रीरिजल्ट : टॉपर पहले 67 अब 61, नीट एग्जाम के “क्लीन” रिजल्ट सवालों के घेरे में
सदन में चर्चा से भाग रही मोदी सरकार : विपक्ष
4 जून को जारी हुए नीट यूजी में टॉप हुए 67 छात्रों के रिजल्ट को लेकर विवाद थमता हुआ नजर नहीं आ रहा है। हालांकि संस्था के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद विवादित रहे 1563 कैंडिडेट का दोबारा से इम्तिहान लिया गया था। इस दोबारा वाले इम्तिहान में 1563 के बजाय 813 छात्र ही शामिल हुए थे। मतलब 750 छात्रों ने तो पहले ही सरेंडर कर दिया था। ऐसा लगता है कि उनको पता था कि दोबारा के एग्जाम में उनको वह नंबर नहीं मिल पाएंगे जो उनको पहले वाले एग्जाम में मिल गए थे। दोबारा हुए इम्तिहान के रिजल्ट सोमवार 1 जुलाई को जारी किए गए हैं जबकि पिछली बार 4 जून को जारी रिजल्ट में जहां 67 बच्चों ने टॉप किया था वहीं अब यह संख्या घटकर 61 हो गई है। सवाल इसी बात का एक बार फिर खड़ा हो गया है कि 4 जून को जब 67 बच्चों ने टॉप किया था तो रीएग्जाम के रिजल्ट में 61 बच्चे ही क्यों टॉप हुए हैं यानी संख्या 6 घट गई है। जिससे साफ जाहिर होता है कि नीट का रिजल्ट पूरी तरीके से तब क्लीन नहीं था। मजे की बात तो यह है कि पिछली बार फुल नंबर पाने वाले छह छात्रों में से री एग्जाम पांच छात्रों ने ही दिया था, यहां पर भी एक टॉपर ने सरेंडर कर दिया था । री एक्जाम के जारी हुए रिजल्ट में इस बार किसी ने भी टॉप नहीं किया। मगर उनका रिजल्ट 680 से ज्यादा है जो कि पिछली बार के 720 नंबर से काफी दूर है।
अगर यही हाल रहा रिजल्ट का तो युवाओं का टूटेगा भरोसा
मात्र 27 दिन के अंदर टॉप रिजल्ट में डिफरेंस आने से युवाओं का भरोसा अब सरकार की महत्वपूर्ण परीक्षाओं पर कम हो सकता है या कहे कि कम हो रहा है। लगातार पेपर लीक होने की वजह से सरकारी एजेंसियों पर सवालिया निशान खड़े हो ही रहे हैं और सरकारें भी हर बार छात्रों का भरोसा जीतने में नाकाम साबित हो रही है। भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा चुनाव की समीक्षा बैठक में पेपर लीक कांड को भी मोदी सरकार के बहुमत के आंकड़े तक ना पहुंच पाने को एक पॉइंट माना गया था। आने वाले कुछ महीनो के अंदर कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं और भारतीय जनता पार्टी को अंदर खाने इस बात का डर सता रहा है कि कहीं पेपर लीक कांड की वजह से लोकसभा में बहुमत से दूर रहने वाली मोदी सरकार ( अब एनडीए सरकार ) को विधानसभा चुनाव में भी छात्रों की नाराजगी भारी न पड़ जाए।
महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सरकार बदलाव के लिए तो तैयार पर जमीनी हकीकत क्या ?
नीट एग्जाम में इस बार हुए गड़बड़ झाले के बाद सरकार अब महत्वपूर्ण परीक्षाओं के एग्जाम पैटर्न में बदलाव को लेकर तैयारी कर रही है। केंद्र सरकार से जुड़े हुए अधिकारियों के अनुसार जेईई मेंस एग्जाम के तर्ज पर नीट एग्जाम में बदलाव किया जा सकता है। नए पैटर्न पर एग्जाम करवाने का फैसला नेशनल मेडिकल कमिशन को देना है यहां यह भी जिक्र करने योग्य है कि 2018 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मेडिकल एंट्रेंस के लिए ली जाने वाली नीट परीक्षा कोर्स 2019 से साल में दो बार ऑनलाइन करने का प्रस्ताव रखा था। जिसे स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अनुमति नहीं दी गई थी। तब यह बताया गया था की नीट की परीक्षा ऑनलाइन मोड में होने से दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को इससे नुकसान हो सकता है। परंतु अब तो मोदी सरकार का विकास का मॉडल है और जमाना 5जी की स्पीड पर पहुंच चुका है। जब चुनाव ईवीएम से बिना धांधली के हो सकते हैं तो आखिरकार महत्वपूर्ण परीक्षाएं भी ऑनलाइन करवाई जा सकती है। वह भी बिना धांधली के हो सकती है । पर उसके लिए जरूरत है साफ नियत की , साफ और क्लीन सिस्टम की । और उससे भी ज्यादा जरूरत है अगर किसी परीक्षा में भ्रष्टाचार पाया भी जाए तो जिन पर आरोप लगे उनको कड़ी से कड़ी सजा दिए जाने की ।
वर्तमान में नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए किस तरीके से करनी पड़ती है तैयारी
नीट परीक्षा हो या कोई अन्य महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए तैयारी को लेकर जब हमने कई छात्रों से बात थी तो उनका कहना था कि किसी भी प्रकार की परीक्षा की तैयारी के लिए महंगी महंगी कोचिंग लेनी पड़ती है। रात दिन पढ़ाई करनी पड़ती है। उसके बाद में एग्जाम में एक छात्र बहुत उम्मीद के साथ जाकर बैठता है। उसके बाद भी अगर रिजल्ट में भ्रष्टाचार होता है तो छात्र का मनोबल टूटता है। ना सिर्फ छात्र का मनोबल टूटता है बल्कि परिवार का भी मनोबल टूट जाता है। कई बार तो मीडिया में ऐसी खबरें भी छपती है की उम्मीद से भरे हुए छात्र आत्महत्या भी कर लेते हैं पर साहब यह सरकारें हैं इनको किसी के आत्महत्या करने से कोई फर्क नहीं पड़ता । फर्क तो उस परिवार को पड़ता है जिस परिवार का बच्चा सरकार की नाकामी की वजह से आत्महत्या का रास्ता चुनता है ।
छात्र नीट जैसी अन्य परीक्षा में क्या बदलाव चाहते हैं
छात्र नीट जैसी बड़ी और महत्वपूर्ण परीक्षाओं के लिए सरकार से ही अपेक्षा रखते हैं, कि कोई भी परीक्षा हो वह साफ-सुथरे तरीके से हो क्योंकि एक छात्र परीक्षा में अपनी मेहनत से अंक पाना चाहता हैं। जो जितनी काबिलियत रखता हो उसको उतने मार्क्स मिले, लेकिन परीक्षा को लेकर रिजल्ट कितना क्लीन है यह तो देखने को मिल ही रहा है। बच्चे बस सिर्फ इतना ही चाहते हैं कि उनके साथ किसी भी तरीके की नाइंसाफी ना हो और जिसके भी हाथ स्कैम से रंगे हुए हैं उन सबको कड़ी से कड़ी सजा मिले। कई बच्चे तो ऐसे भी थे जिन्होंने पहले ही कई बार नीट की परीक्षा दे चुके हैं और फिर भी वापस देना चाहते हैं। अपनी मेहनत से मार्क्स हासिल करना चाहते हैं, पर बच्चों के भविष्य में भी भ्रष्टाचार मिलाकर उनके कल को अंधकार में डाला जा रहा है ।
विपक्ष संसद में चाहता है चर्चा बात पर केंद्र सरकार ने साध रखी है चुप्पी
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी नीट एग्जाम पर लगातार बात करते हुए नजर आए हैं। 28 जून को भी सदन में इस बात को लेकर हंगामा हुआ। विपक्ष ने लगातार केंद्र सरकार को नीट एग्जाम पर घेरा और सवाल पूछे। जहां एक तरफ एनडीए सरकार इस मुद्दे पर बात भी करना नहीं चाहती, दूसरी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने स्टूडेंट को इंसाफ दिलाने की बात कही थी। अब सवाल यह होता है कि केंद्र सरकार इस बात पर क्यों मौन व्रत धारण करें बैठी है? वह बच्चों के भविष्य के लिए सदन में चर्चा से क्यों बचना चाह रही है ।
सोमवार 1 जुलाई को भी नीट मामले पर सदन में हंगामा हुआ
राहुल गांधी का नीट पर आरोप- इस एग्जाम को कमर्शियल बना दिया
राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, आपने हर व्यक्ति के लिए डर का पैकेज दिया। रोजगार तो आपने खत्म कर दिया। अब नया फैशन निकला है नीट। एक प्रोफेशनल स्कीम को आपने कमर्शियल स्कीम में तब्दील कर दिया। गरीब मेडिकल कॉलेज नहीं जा सकता। पूरा का पूरा एग्जाम अमीर बच्चों के लिए बनाया है। हजारों करोड़ रुपए बन रहे हैं और कमर्शियल पेपर आपने जो बना रखे हैं, 7 साल में 70 पेपर लीक हुए हैं । प्रेसिडेंट एड्रेस में न पेपर लीक की बात होगी न अग्निवीर की बात होगी। हम ने एक दिन के डिस्कशन की मांग की, सरकार ने बोला – नहीं, नहीं हो सकता।
1 जुलाई से भारतीय न्याय संगीता लागू अब छात्रों को उम्मीद
1 जुलाई से भारत में नई कानून व्यवस्था लागू की गई है जिसे भारतीय न्याय व्यवस्था का नाम दिया गया है । और इस न्याय व्यवस्था में पेपर लीक करने वाले लोगों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है । हालांकि सख्त सजा का प्रावधान पिछले कानून में भी था । पर तब आरोपी कानून की कमियों को ढूंढ कर बच निकलते थे उम्मीद की जानी चाहिए कि लागू किए गए नए कानून में किसी भी प्रकार का ऐसा लूप होल नहीं होगा जिससे आरोपी बच कर निकल सकेंगे।
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