यादें पहले विश्व कप की : जब बीसीसीआई के पास विश्व चैंपियन टीम को देने के लिए 1लाख रुपए भी नहीं थे
तब टीम इंडिया को इनाम दिलाने के लिए बीसीसीआई को लेनी पड़ी थी संगीत साम्राज्ञी लता मंगेशकर की मदद
BCCI आज दुनिया का सबसे रईस क्रिकेट बोर्ड है। टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद बीसीसीआई सेक्रेटरी जय शाह ने टीम इंडिया को 125 करोड़ रुपए ईनाम देने का ऐलान किया है। लेकिन जब भारतीय क्रिकेट टीम ने 1983 का वर्ल्ड कप जीता था तब बीसीसीआई के पास 1 लाख रुपए प्रति खिलाड़ी देने के लिए भी नहीं था।
इसकी एक बानगी साल 2021 में रिलीज़ हुई मूवी 83 में भी दिखाई थी। उस फिल्म में एक दृश्य है जिसमें दिखाया गया है कि क्रिकेटर बलविंदर सिंह का किरदार कहता है कि उनकी शादी इसलिए कैंसिल हो गई है क्योंकि उनकी मंगेतर के भाई को कोई ऐसा मिल गया है जो उनसे ज़्यादा कमाता है। संधू को ये कड़वी सच्चाई स्वीकारनी पड़ती है। फिर 25 जून 1983 को टीम इंडिया दो बार की चैंपियन वेस्ट इंडीज़ को 43 रनों से हराकर वर्ल्ड चैंपियन बन जाती है।
टीम इंडिया की उस एतिहासिक जीत को सेलिब्रेट करने के लिए तत्कालीन बीसीसीआई प्रेज़ीडेंट एनकेपी साल्वे प्रत्येक खिलाड़ी को एक लाख रुपए का बोनस देने का ऐलान कर देते हैं। ये पूरा घटनाक्रम 1983 में सच में हुआ भी था। एनकेपी साल्वे ने हर खिलाड़ी को एक लाख रुपए बोनस देने की घोषणा तो कर दी थी। लेकिन बीसीसीआई के कोष में उतनी रकम थी ही नहीं कि हर खिलाड़ी को उतना बोनस दिया जा सके।
BCCI की स्थिति तब क्या थी इसका अंदाज़ा ऐसे लगाया जा सकता है कि उस समय बीसीसीआई खिलाड़ियों को दो सौ रुपए डेली अलाउंस के तौर पर चुकाती थी। और ये अलाउंस भी सिर्फ मैच के एक दिन पहले, मैच वाले दिन, और मैच के अगले दिन का ही मिलता था। यानि सिर्फ तीन दिन का अलाउंस। उस वक्त मैच फीस थी 1500 रुपए। मतलब किसी भी मैच के लिए टीम इंडिया के खिलाड़ियों को तब कुल 2100 रुपए का भुगतान किया जाता था।
ऐसी स्थिति में बीसीसीआई प्रेज़िडेंट का हर खिलाड़ी को एक लाख रुपए बोनस देने का ऐलान करना बोर्ड के लिए मुश्किल का सबब बन गया। पर चूंकि भारतीय टीम ने देश के लोगों को तब बहुत बड़ी खुशी दी थी तो इस ऐलान से पीछे हटने का सवाल ही नहीं था। उस वक्त एनकेपी साल्वे के राइट हैंड माने जाते थे राज सिंह डूंगरपुर, जो डूंगरपुर शाही परिवार के सदस्य थे। और वो फर्स्ट क्लास क्रिकेटर भी रह चुके थे। साथ ही क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया बॉम्बे के भी वो एडमिनिस्ट्रेटर्स में से एक थे। एनकेपी साल्वे ने राज सिंह डूंगरपुर को ही खिलाड़ियों के लिए उस बोनस रकम का इंतज़ाम करने को कहा।
उनके कहने पर राज सिंह डूंगरपुर ने अपने एक दोस्त को फोन किया। उनका वो दोस्त महान लता मंगेशकर जी का करीबी था। और ये बात सभी जानते हैं कि लता जी भी क्रिकेट फैन थी। उन्हें जब भी मौका मिलता था वो क्रिकेट मैच देखने स्टेडियम जाती थी। वो रणजी मैच देखने भी स्टेडियम पहुंच जाती थी। राज सिंह डूंगरपुर के उस दोस्त ने लता जी को पूरी स्थिति से अवगत कराया और टीम इंडिाय के लिए एक लाइव कॉन्सर्ट करने को कहा। लता जी खुशी-खुशी इसके लिए राज़ी हो गई।
दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में कॉन्सर्ट का आयोजन हुआ। और वो कॉन्सर्ट पूरे दो घंटे तक चला। कॉन्सर्ट के दौरान टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने भी एक गाने में लता जी के साथ कोरस गाया। यहां एक बात और है जो बतानी ज़रूरी है, कुछ लोगों का कहना है कि वो कॉन्सर्ट जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में नहीं, इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुआ था। इनमें से सही बात कौन सी है ये फिलहाल हमें नहीं पता है।
उस कॉन्सर्ट में तब देश की कई बड़ी हस्तियों ने हिस्सा लिया था। और कुल 21 लाख रुपए उस कॉन्सर्ट के ज़रिए जमा हुए थे। जिनमें से 15 लाख रुपए बीसीसीआई को दे दिए गए थे। बीसीसीआई ने 14 लाख रुपए खिलाड़ियों को वितरित कर दिए। व एक लाख रुएप उस वक्त टीम इंडिया के मैनेजर रहे पीआर मान सिंह जी को दे दिए गए। 21 लाख में से बचे हुए छह लाख रुपए स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया को दे दिए गए।
लता जी के उस अहसान को बीसीसीआई ने कभी नहीं भुलाया। साल 2007 में जब टीम इंडिया ने पहली दफा टी20 वर्ल्ड कप जीता था तब सभी खिलाड़ियो कों मुंबई की एक ओपन बस राइड कराई गई थी। और उस समय टीम इंडिया का कारवां पेड्डर रोड की एक बिल्डिंग के सामने कुछ सेकेंड्स के लिए रुका था। वो वही बिल्डिंग थी जिसमें लता जी रहती थी। लता जी के सम्मान में ही उस दिन वो कारवां वहां रोका गया था। लता जी ने भी तब टीम का अभिवादन किया था।
लता जी के सम्मान में बीसीसीआई ने टीम इंडिया के हर मैच में दो वीआईपी टिकट्स रिज़र्व रखने शुरू कर दिए थे। यानि देशभर में जहां कंही पर भी टीम इंडिया का मैच हो, लता जी उसे बिना कोई शुल्क दिए देख सकती थी। और ये टिकट्स तब तक रिज़र्व रखे जाते रहे थे जब तक लता जी जीवित थी।
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