योगिनी एकादशी: व्रत का महत्व और पौराणिक कथा
आषाढ़ मास (Ashad Month) के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु (Lords Vishnu) की पूजा-आराधना की जाती है. माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं.
इस बार योगिनी एकादशी का व्रत
2 जुलाई, मंगलवार के दिन रखा जाएगा. इस व्रत को करने से किसी के दिये हुए श्राप का निवारण भी हो जाता है. योगिनी एकादशी का व्रत करने से सुंदर रुप, गुण और यश का वरदान मिलता है. जानते हैं कि यह एकादशी क्यों मनाई जाती है.
योगिनी एकादशी का पौराणिक महत्व
योगिनी एकादशी का व्रत तीनों लोकों में प्रसिद्ध है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में समृद्धि और आनन्द की प्राप्ति होती है. इस एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य मिलता है. इस एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है.
योगिनी एकादशी को सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण एकादशियों में से एक माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और ग्रहों के दोष दूर होते हैं. इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि आती है और संतान प्राप्ति के योग बनते हैं.
योगिनी एकादशी की पूजा विधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. घर में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें और पूरे विधि-विधानपूर्वक से उनकी पूजा करें.
भगवान विष्णु को फूल,फल और मीठा
भोग अर्पित करें. इस दिन निर्जला व्रत रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए. दूसरे दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और दक्षिणा देकर व्रत तोड़ना चाहिए.
योगिनी एकादशी की व्रत कथा
सनातन शास्त्रों के अनुसार, एक समय की बात है। जब स्वर्ग में कुबेर नाम का एक राजा रहता था। राजा कुबेर देवों के देव महादेव के अनन्य भक्त थे। शिव जी की रोजाना श्रद्धा भाव से पूजा करते थे। एक दिन माली हेम कामासक्त की वजह से राजा कुबेर को समय पर फूल नहीं पहुंचा सका। यह जान राजा कुबेर क्रोधित होकर बोले- तुमने ईश्वर भक्ति के बजाय कामासक्त को प्राथमिकता दी है। अतः मैं शाप देता हूं कि तुम्हें स्त्री वियोग मिलेगा ? साथ ही धरती पर कष्ट भोगना पड़ेगा।
कालांतर में शाप के चलते माली हेम को कुष्ठ रोग हो गया। वर्षों तक हेम को पृथ्वी पर दुख और कष्ट सहना पड़ा। एक दिन माली हेम को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। उस समय उसने मार्कण्डेय ऋषि से अपनी व्यथा बताई। तब मार्कण्डेय ऋषि ने माली हेम को योगिनी एकादशी के बारे में पूरी जानकारी दी। मार्कण्डेय ऋषि ने कहा- इस व्रत को करने से तुम्हारे समस्त पापों का नाश होगा। साथ ही तुम्हें स्वर्ग लोक भी प्राप्त होगा। माली हेम ने विधि विधान से एकादशी का व्रत रखा। साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-उपासना की। इस व्रत के पुण्य प्रताप से हेम को स्वर्ग की प्राप्ति हुई।
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