सॉफ्ट ड्रिंक मार्केट का कोल्ड वार , कैसे कंपा कोला को कर दिया गया खत्म
ये साल 1977 की बात है। इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाई गई इमरजेंसी खत्म ही हुई थी। चुनाव हुए और कांग्रेस को देश की सत्ता से बाहर होना पड़ा। भारत की बागडोर नई सरकार के हाथों में आ गई। अमेरिकी कैपिटलिज़्म का प्रतीक मानी जाने वाली सोफ्ट ड्रिंक कंपनी कोका कोला को भारत से बाहर निकाल दिया गया। क्योंकि अब वक्त था ‘द ग्रेट इंडियन टेस्ट’ का। यानि कैंपा कोला का। बाज़ार में आते ही कैंपा कोला युवाओं का फेवरिट सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड बन गया।
विज्ञापन इंडस्ट्री के दिग्गज रहे एलीक पदमसी ने कैंपा कोला के बारे में कहा था,”कोका कोला के बंद होने के बाद उसकी जगह खाली हो गई थी जिसे कैंपा ने परफेक्टली फिल कर दिया था। कैंपा तब एकदम नया और सेंशेनल ब्रांड बनकर उभरा था। हालांकि वो एक नकल ही था। लोगों को कोका कोला की जगह कुछ चाहिए था। और उन्हें कैंपा कोला मिला। यानि कैंपा के लिए एक्स्ट्रा स्पेस बनाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ी। लोग खुद ब खुद कैंपा की तरफ खिंचे चले आए।”
कैंपा कोला की मार्केटिंग के लिए एक पर्फेक्ट स्ट्रैटेजी तैयार की गई थी। टार्गेट कस्टमर्स यूथ था। साथ ही साथ नेशनलिज़्म का भी थोड़ा तड़का लगाया गया था। आखिरकार कैंपा भारत का अपना प्रोडक्ट जो था। आज के दौर में लोगों को सलमान खान थम्स अप के तूफानी विज्ञापन में कुछ तूफानी करने की बात कहते हुए याद होंगे। लेकिन उससे कई साल पहले सलमान खान कैंपा कोला के ब्रांड एंबेसडर रह चुके थे। वो भी अपनी टीनएज में।
सलमान तब सोलह साल के ही थे जब उन्होंने कैंपा कोला का विज्ञापन शूट किया था। और उस विज्ञापन में सलमान के साथ टाइगर श्रॉफ की मदर आयशा भी नज़र आई थी। और भी कुछ मॉडल्स उस विज्ञापन में थे। विज्ञापन को बीच समंदर एक नाव पर शूट किया गया था। सभी मॉडल्स पानी के अंदर भी अठखेलियां करते दिखे थे। कुछ शॉट्स समंदर किनारे भी लिए गए थे। यूट्यूब पर ये विज्ञापन मौजूद है। देखना चाहें तो देख सकते हैं।
कैंपा कोला को लॉन्च किया था प्योर ड्रिंक्स ग्रुप ने। और इस ग्रुप ने कैंपा कोला के विज्ञापन शूट पर अच्छा-खासा खर्च किया था। अंडमान के समंदर में विज्ञापन शूट किया गया था। शूटिंग से पहले इसके जिंगल पर भी खासी मेहनत की गई थी। जिंगल ऐसा रखा गया था जो एकदम फ्रैश और यूथफुल लगे। युवा लड़के-लड़कियों का एक ग्रुप एक याच पर कैंपा कोला ड्रिंक का लुत्फ ले रहा है। समंदर में अठखेलियां कर रहा है। और फिर समंदर किनारे टैंट लगाकर गिटार संग कैंपा कोला पीते हुए गाना बजाना कर रहा है।
विज्ञापन की सेंट्रल थीम थी सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ। एक ऐसी लाइफ जो शायद दुनिया का हर युवा जीना चाहता होगा। कोई अगर वैसी लाइफ ना जी सके तो कम से कम वो ड्रिंक तो पी ही सकता है। उसी दौरान अखबारों में भी कैंपा कोला का एक विज्ञापन छपा करता था जिसकी टैग लाइन हुआ करती थी ‘लाइफ इज़ फुल ऑफ कैंपा कोला टाइम्स।’ एक और प्रिंट एड में कैंपा की खुली हुई बोतल होती थी और उसे टैग लाइन दी गई थी ‘इट्स टाइम फॉर एन एक्स्ट्रा ट्विस्ट ऑफ फेट।’
कहा जा सकता है कि प्योर ड्रिंक्स ग्रुप तब भारत में सॉफ्ट ड्रिंक बाज़ार को शेप कर रहा था। यहां एक रोचक बात और है जो जानने लायक है। वो ये कि प्योर ड्रिंक्स ग्रुप ने ही साल 1949 में भारत में कोका कोला को भी इंट्रोड्यूज़ किया था। तब से 1977 तक यही ग्रुप भारत में कोका कोला का मैन्यूफैक्चरर था। 1977 में जब विदेशी कंपनियों को भारत में बैन किया गया तब सिर्फ कोका कोला ही नहीं, आईबीएम को भी भारत छोड़ना पड़ा था।
खैर, कैंपा कोला को भारत के लोगों ने हाथों हाथ लिया। पसंद किया। कंपनी ने ऑरेंज और लैमन फ्लेवर ड्रिंक्स भी लॉन्च किए। और उनकी भी खूब मार्केटिंग की गई। तो क्या उस वक्त कैंपा कोला का कोई कॉम्पिटीटर था ही नहीं? जी हां, बिल्कुल था। कैंपा का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी था थम्स अप, जो उसी साल यानि 1977 में ही लॉन्च हुआ था। और थम्स ने भी अपना अच्छा-खासा मार्केट खड़ा कर लिया था। मगर कैंपा कोला मार्केट को लीड कर रहा था।
1991 में भारत में हुए आर्थिक सुधारों से भी पहले देश में एक कोला वॉर देश में छिड़ गया था। ये वॉर शुरु हुआ था पेप्सी की वजह से। दरअसल, तत्कालीन सरकार की छत्रछाया में पेप्सी भारतीय बाज़ार में अपनी जगह बनाने का प्रयास करने लगा। उस वक्त पेप्सी को भारतीय बाज़ार में एंट्री देने का बहुत विरोध किया गया था। मशहूर वेबसाइट द प्रिंट पर प्रकाशित हुए एक आर्टिकल के मुताबिक, तत्कालीन सरकार ने पेप्सी को भारतीय बाज़ार में एंट्री दिलाने के लिए फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री स्थापित की।
तब सरकार की तरफ से कहा गया था कि किसान पेप्सी को चिप्स और कैचअप्स बनाने के लिए अपना आलू व टमाटर सीधे बेच सकते हैं। बड़ी चालाकी से पेप्सी ने पंजाब एग्रो के साथ जॉइन्ट वेंचर में लहर पेप्सी लॉन्च कर दिया। कोका कोला भी फिर से भारतीय बाज़ार में एंट्री लेने की कोशिशें करने लगा। उस वक्त थम्स अप के को-ऑनर प्रकाश चौहान ने पेप्सी और कोका-कोला को भारतीय बाज़ार में जगह देने का कड़ा विरोध किया था।
प्रकाश चौहान ने तो इन बड़ी अमेरिकी कंपनियों और पॉलिटीशियन्स के बीच एक गठजोड़ होने की बात भी कही थी। उनके मुताबिक वो गठजोड़ साजिशन भारतीय कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों के सामने कमज़ोर कर रहा था। प्रकाश चौहान ने अपनी तरफ से इन अमेरिकी कंपनियों को रोकने के लिए कड़े प्रयास किए थे। मगर आखिरकार उनकी हार हुई। थम्स अप को बेचना पड़ गया। और थम्स अप को खरीदा कोका-कोला ने।
कैंपा कोला ने कुछ साल संघर्ष किया। हालांकि अमेरिकी कंपनियों की चालाकी के कारण वो भी बहुत ज़्यादा दिनों तक नहीं टिक सका। साल 2000 के आस-पास दिल्ली में मौजूद कैंपा कोला के बोटलिंग प्लांट्स बंद हो गए। और इसी के साथ कैंपा कोला भी बंद हो गया। अब सालों बाद एक बार फिर से कैंपा कोला भारतीय बाज़ारों में नज़र आने लगा है।
नोट- उपरोक्त सभी जानकारियां द प्रिंट की अंग्रेजी वेबसाइट पर छपे एक आर्टिकल से ली गई हैं।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!