आखिर क्यों रेलवे यात्रियों को मनपसंद बर्थ चुनने का अधिकार नहीं देता
अक्सर यात्रियों द्वारा भारतीय रेलवे को असुविधाजनक सीटों/बर्थों के लिए दोषी ठहराया जाता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि IRCTC सीट चयन की अनुमति क्यों नहीं देता है? इसका जवाब भौतिकी में निहित है।
ट्रेन में सीट बुकिंग किसी थिएटर की सीट बुकिंग से बहुत भिन्न है। जहां थिएटर एक स्थिर हॉल होता है, वहीं ट्रेन एक चलती हुई वस्तु है, और इसीलिए इसमें सुरक्षा की चिंता अधिक होती है।
भारतीय रेलवे का टिकट बुकिंग सॉफ्टवेयर इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह ट्रेन में समान रूप से लोड वितरित करने के लिए टिकट आवंटित करता है। जब कोई यात्री टिकट बुक करता है, तो सॉफ्टवेयर मध्य कोच में सीट आवंटित करता है, जैसे कि S5 कोच में 30-40 के बीच की संख्या वाली सीट और अधिमानतः निचली बर्थ। यह निचली बर्थ को प्राथमिकता देता है ताकि ट्रेन का गुरुत्वाकर्षण केंद्र कम रहे।
सॉफ्टवेयर सभी कोचों में समान यात्री वितरण सुनिश्चित करने के लिए सीटें आवंटित करता है। इससे ट्रेन में समान भार वितरण होता है, जो सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यदि रेलवे बेतरतीब ढंग से टिकट बुक करता, तो कुछ कोच पूरी तरह भरे होते और कुछ खाली। यह स्थिति ट्रेन के मोड़ पर अपकेंद्र बल (centrifugal force) के कारण ट्रेन के पटरी से उतरने की संभावना बढ़ा सकती थी। ब्रेक लगाने के समय भी कोच के वजन में भारी अंतर के कारण ट्रेन की स्थिरता प्रभावित हो सकती थी।
इस प्रकार, भारतीय रेलवे का सॉफ्टवेयर यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सीट आवंटन करता है, जिससे ट्रेन में उचित संतुलन और भार वितरण सुनिश्चित हो सके।
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