आम के विभिन्न प्रजातियों को पहचानने का सबसे आसान तरीका
हमारे देश में आमों की करीब 1500 प्रजातियां हैं जो देश के अलग अलग हिस्सों में उगाई जाती है. सैकड़ों वैरायटी होने के कारण अक्सर जब हम जब आम के पौधे लेने नर्सरी पर जाते हैं तो ठगे जाते है। दरअसल आम की हर प्रजाति की अपनी एक खास स्वाद ,सुगंध और आकार होता है। उनके पत्तों की साइज में भी विभिन्नताएं पाई जाती है। इसके अलावे भी कई तरह की असामान्यताएं पाई जाती है मसलन विभिन्न प्रजातियां के पौधों व फल के आकार में भी अंतर होता है । हर प्रजाति अपने आप में विशिष्ट गुना से समाहित होता है अतः जब भी आप पौधे की खरीदारी करने जाए तो उसकी विशिष्ट गुणों को अपने दिमाग में रखें। यहां पर सबसे मशहूर कुछ वैरियटयों के लक्षण और गुणवत्ता के बारे में बताया जा रहा है जिसके मदद से आप आसानी से उनका पहचान सकते हैं।
दशहरी आम : दशहरी आम उत्तर प्रदेश से ताल्लुख रखता है. इस प्रजाति की उत्पत्ति लखनऊ के पास दशहरी गांव से हुई यही वजह है कि इसका नाम ही दशहरी रख दिया. यूपी में दशहरी आम बहुत ही पसंद किया जाता है और वो भी अगर मलिहाबादी दशहरी हो तो क्या बात है. मलिहाबादी आम को दुनियाभर में निर्यात किया जाता है.
चौसा आम : बिहार और उत्तर भारत में चौसा आम खासा लोकप्रिय है. कहा जाता है कि 16वीं सदी में शेरशाह सूरी ने इस आम से लोगों का परिचय करवाया था. उत्तर प्रदेश के हरदोई का चौसा आम खासा लोकप्रिय है. यह आम स्वाद में बहुत ही मीठा होता है और ब्राइट येल्लो रंग का होता है. आप इसे इसके खास रंग से ही पहचान सकते हैं. इस आम के नाम पर बिहार में एक कस्बा भी है.
तोतापुरी आम : इस आम का आकार तोता पक्षी की तरह होता है और इस लिए इसे तोतापुरी आम कहा जाता है. ये आम स्वाद में हल्का खट्टा होता है. ये दक्षिण भारत का प्रचलित आम है जिसका पैदावार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना है. इस आम का प्रयोग ज्यादातर अचार आदि में किया जाता है.
अल्फांसो आम : अल्फांसो को अंग्रेजी में हापुस है जो मूल रूप से महाराष्ट्र में पैदा होता है. हालांकि इसकी खेती कर्नाटक और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी की जाती होती है. यह आम की सबसे महंगी किस्म है और इसे दुनिया के दूसरे हिस्सो में भी निर्यात किया जाता है. यह जितना मीठा होता है इसकी खुशबू भी विशेष होती है.
हिमसागर आम : पश्चिम बंगाल और ओडिशा का प्रचलित आम हिमसागर आम है. यह आम खाने में बहुत ही मीठा होता है और एक आम का वजन करीब 250 से 300 ग्राम होता है. यह बाहर से हरे रंग का होता है और इसका पल्प पीला होता
सिंधुरा आम : यह एक खट्टा मीठा आम है. इसका स्वाद आपकी जुबान पर काफी देर तक टिक सकता है. इसका पल्प पीले रंग का होता है और बाहर से यह लाल रंग का दिखता है.
लंगडा आम : यह आम भी आमों की प्रजातियों में एक प्रचलित आम है. उत्तर प्रदेश के काशी बनारस से ये ताल्लुख रखता है. यह जून जुलाई में बाजार में आसानी से मिल सकता है. इसका रंग लेमन येल्लो और हरा रंग के मिश्रण का होता है जो स्वाद में वाकई स्वादिष्ट होता है.
रसपुरी आम : कर्नाटक के ओल्ड मैसूर से ताल्लुख रखने वाले इस आम को महारानी के तौर पर जाना जाता है. आम की यह किस्म मई के माह में आती है और जून के अंत तक खत्म हो जाती है. इसे जैम और स्मूदी बनाने के लिए खूब प्रयोग किया जाता है. अंडाकार शेप का यह आम करीब 4 से 6 इंच लंबा होता है.
बायगनपल्ली आम : यह आम दिखने में बिलकुल अल्फांसो की तरह दिखता है. इसी वजह से इसे अल्फांसो का जुड़वा भाई भी कहते हैं. इसकी खेती आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के बांगनापल्ले में की जाती है. यह आम भी अंडाकार और पीले रंग का होता है जिसकी लंबाई करीब 14 सेंटीमीटर होती है. इस आम पर हल्के धब्बे होते हैं और ये ही इसकी पहचान होती है
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