बातें गुजरे जमाने की : धर्मेंद्र ने विनोद खन्ना को इतना पीटा , कि पीठ पर पड गए निशान
शोले और मेरा गांव मेरा देश फ़िल्म मे कितनी समाँताएँ
शोले फिल्म के पहले फ्लॉप होने का डर इसलिए बना हुआ था के राइटर जोडी जानती थी के चार साल पहले मतलब साल 1971 में धर्मेंद्र और विनोद खन्ना की फिल्म मेरा गांव मेरा देश रिलीज हो चुकी थी और ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी । अगर दोनों फिल्मों की स्टारकास्ट तथा दोनों फिल्मों के सीन और लोकेशन का मिलान किया जाए तो ये सत्य प्रतीत होता है के साल 1975 में आई शोले फिल्म की स्टोरी तथा स्टारकास्ट बिल्कुल एक समान थी ।
ज्यादातर लोग ऐसी बातों को इग्नोर मार देते है या नोटिस ही नहीं करते । अगर आपने मेरा गांव मेरा देश फिल्म देखी है तो उस फिल्म में विनोद खन्ना साहब डाकू जब्बर के किरदार में दिखाई दिए थे और शोले फिल्म में डाकू के किरदार का नाम जब्बर की जगह पर गब्बर रख दिया गया । और गब्बर के किरदार को अमजद खान ने निभाया था । और मेरा गांव मेरा देश में धर्मेंद्र ने अजीत का किरदार निभाया था जो के एक चोर होता है और शोले फिल्म में जय और वीरू दोनों चोर थे और इनके किरदार धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन दारा निभाए गए । और तो और शोले फिल्म में ठाकुर के किरदार में संजीव कुमार थे और वैसी ही भूमिका पहले से मेरा गांव मेरा देश फिल्म में अमजद खान के पिता जयंत निभा चुके थे, और वैसी ही भूमिका शोले फिल्म में बाद में जयंत के बेटे अमजद खान ने निभाई और उन्हें शोले फिल्म में कास्ट भी फिल्म की राइटर जोडी सलीम जावेद ने ही किया था ।
मेरा गांव मेरा देश फिल्म में डाकू जब्बर सिंह का आतंक दिखाया गया था वैसा ही बिल्कुल मिलता जुलता आतंक रामपुर के वासी गब्बर सिंह शोले फिल्म में भोग रहे थे । और अब अगर एक नजर क्लाइमैक के एक सीन पर मारे तो फिल्म में डाकू जब्बर धर्मेंद्र और आशा पारेख को बांध देता है और धर्मेंद्र की को एक्ट्रेस लक्ष्मी छाया ने जब्बर के कहने पर डांस किया और शोले फिल्म में अकेले धर्मेंद्र को बांधा जाता है और लक्ष्मी छाया की जगह पर हेमा मालिनी मतलब बसंती गब्बर के कहने पर डांस करती है । शोले फिल्म में अमिताभ बच्चन यानी के जय की मृत्यु हो जाती है और मेरा गांव मेरा देश फिल्म में लक्ष्मी छाया की गाने के बाद मौत हो जाती है । एक एक सीन में कुछ कुछ बदलाव करके शोले फिल्म बना डाली गई और राइटर सलीम जावेद पता नहीं क्या क्या मनघड़ंत किस्से सुनाते रहते है । कभी कहते हैं के जय वीरू का किरदार हमने उसको ध्यान में रखकर लिखा है तो कभी कहते है ठाकुर बलदेव सिंह उस कैरेक्टर से इंस्पायर है । और हम जैसे लोग भी उसे रीयल फैक्ट्स लिखकर उन बातों को आगे बढ़ाते रहते हैं ।
दरअसल उस दौर में एक से एक फिल्म डकैतों पर आधारित होती थी । क्योंके वो दौर डकैतों पर आधारित फिल्मों का ही दौर था । और साल 1969 में विनोद खन्ना ने पहली बार मन का मीत फिल्म में खलनायक का किरदार निभाया था ।
उसके बाद मेरा गांव मेरा देश में विनोद खन्ना ने डाकू जब्बर का किरदार निभाया था और वो विनोद खन्ना की बतौर खलनायक पहली हिट फिल्म थी और शोले फिल्म में गब्बर सिंह का किरदार निभाने वाले अमजद खान की भी ये पहली ही फिल्म थी और वो भी विनोद खन्ना जैसे एक खूंखार विलेन बने थे । शोले फिल्म के क्लाइमेक्स में धर्मेंद्र अमजद खान को बहुत बुरी तरह पीटते हैं और वैसी ही बुरी तरह धर्मेंद्र ने बेल्ट के साथ विनोद खन्ना को भी पीटा था । वो जोश जोष में और सीन को रीयलिस्टिक की तरह फिल्माने में इस कदर मदहोश हो गए थे के सीन शूट होने के बाद विनोद खन्ना की पीठ पर बेल्ट के निशान साफ साफ दिखाई दे रहे थे । सीन शूट होता रहा और धर्मेंद्र विनोद खन्ना को पीटते रहे । हालाकि ये दूसरी बात है जब शूटिंग कंप्लीट हो गई तब धर्मेंद्र को पता लगा कि विनोद खन्ना को बहुत चोट आई है और उनकी पीठ पर बेल्ट के निशान पड़ चुके हैं । तो धर्मेंद्र ये सुनकर बहुत परेशान हो गए थे और उन्होंने विनोद खन्ना के पास जाकर माफी भी मांगी थी । विनोद खन्ना को साल 1969 में मन का मीत फिल्म में पहला ब्रेक सुनील दत्त ने दिया था और मेरा गांव मेरा देश के निर्देशक राज खोसला थे और वे सुनील दत्त के अच्छे दोस्त थे इसी लिए कहा जाता है के सुनील दत्त ने ही राज खोसला को बतोर खलनायक विनोद खन्ना का नाम सुझाया था । और विनोद खन्ना ने मेरा गांव मेरा देश फिल्म में डाकू का किरदार इस कदर निभाया के उस फिल्म में वो धर्मेंद्र पर भारी पड़ते दिखे थे और वैसे ही शोले फिल्म में अमजद खान का किरदार इस कदर खौफनाक था के धर्मेंद्र, अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, हेमा मालिनी, ज्या भादुरी जैसे कलाकारो के होते हुए अपने आप को नोटिस करवाया तथा सभी किरदारों पर भारी पड़े थे ।
एक बात इन दोनों फिल्मों में अलग जरूर थी वो ये के विनोद खन्ना को मेरा गांव मेरा देश में कोई अवार्ड नहीं दिया गया जबकि धर्मेंद्र को बेस्ट ऐक्टर के लिए नॉमिनेट किया गया था । लेकिन अमजद खान को शोले फिल्म में बेस्ट खलनायक का नॉमिनेशन भी मिला और अवार्ड भी दिया गया था । लेकिन धर्मेंद्र को शोले फिल्म में न तो नॉमिनेट किया गया और न ही अवार्ड दिया गया ।
हालांकि मेरा गांव मेरा देश फिल्म के बाद विनोद खन्ना ने कच्चे धागे फिल्म में भी डाकू का किरदार निभाया था लेकिन वो उस फिल्म में ग्रे शेड में थे यानी वो डाकू तो बने थे लेकिन साथ साथ फिल्म के हीरो भी थे ।
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