अकेले के दम पर तीसरी बार सरकार बनाने का सपना लगभग टूटा, जानें आखिर कहा हुई BJP से गलती
नई दिल्ली। इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे BJP के लिए आंखे खोलने वाले रहे। अब ऐसे में कहा जा रहा है कि, आखिर कब तक बीजेपी पीएम मोदी के भरोसे चुनाव में जीत हासिल कर सकती थी। बेरोजगारी, महंगाई से लेकर घटिया रेल सेवा.. ऐसे कई मुद्दे है जिन्हें सत्ता के नशे में मदमस्त हो चुकी मोदी सरकार ने नजरअंदाज किया। हमें याद है पूर्व पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का वह बयान जब उनसे पेट्रोल के बढे़ हुए दाम को लेकर सवाल किया गया था। तब उन्होंने बड़ी बेरुखी से इसका जवाब तक देने से इनकार कर दिया। योगी मॉडल का डंका बजाने वाली बीजेपी की उत्तर प्रदेश में हालत खराब हो गई। हो सकता है NDA इस बार फिर केंद्र में चुनाव जीत कर सरकार बनाने में कामयाब हो जाएगी लेकिन बीजेपी का अकेले के दम पर सरकार बनाने का सपना आखिर सपना ही रह गया। अभी खबर इस वक्त देश की 80 सीटें लगभग फंसी हुई है। इंडिया गठबंधन ने दावा किया है इन फंसी हुई सीटों पर उनके साथी दल बढ़त हासिल कर सत्ता से बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखा देगी।
आखिर कैसे हो गया खेला ?
बेरोजगारी
इस बार के लोकसभा चुनाव में करोड़ों देश के युवाओ ने वोट डाला था। अग्निपथ योजना एक बहुत बड़ा फैक्टर रहा है इस चुनाव में ये बात अब साबित हो चुकी है। पंजाब की 13 सीटों में से 7 पर कांग्रेस और 3 पर आम आदमी पार्टी बढ़त बनाये हुए है। वही हरयाणा की 10 सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीढ़ी टक्कर चल रही है। केंद्र की मोदी सरकार के राज में रेलवे और एसएससी एक्साम का क्या हाल है ये किसी से छुपी नहीं। बिहार में तेजस्वी यादव ने समय रहते ये बात समझ ली और 1 लाख से भी अधिक सरकारी नौकरियां बांट दी। उनके इस फैसले की इस वक्त हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई है। अब अगर समय रहते मोदी सरकार ने सबक नहीं लेती है तो अगले चुनाव में बीजेपी को बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाएग जनता।
महंगाई
केंद्र की मोदी सरकार ने महंगाई पर खुल कर कोई एक्शन नहीं लिया। न ही कभी ये माना की देश में महंगाई है। मोदी सरकार ने हमेशा वैश्विक मंदी को इसके पीछे की वजह बता दिया। पेट्रोल से लेकर दाल जैसी रोजमर्रा की जरुरत की चीजों की कीमत आज आसमान छू रही हैं। आये दिन सब्जियों भी धीरे धीरे आम आदमी की थाली से दूर होती गई।
किसान मुद्दा
किसान मुद्दा इस बार के लोकसभा इलेक्शन में अहम भूमिका निभाता दिखा। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले किसानों द्वारा आंदोलन किया जाना मोदी सरकार के लिए नुकसानदायक साबित हुई।
रेलवे का व्यवसाईकरण
आखिरी बार ट्रेन टाइम पर कब आई थी ये शायद कोई सवाल करे तो आअदमी को जवाब देने में 15 मिनट शायद लग जायेंगे। कोरोना के बाद से देश में ट्रेने लगातार लेट चल रही है। मोदी सरकार कोयला परिवहन करने वाली माल गाड़ियों को आगे भेज यात्री गाड़ियों को देर से आएगी भेजने का काम करती है। ये हो सकता है कोई बड़ा मुद्दा न लगे लेकिन ये ऐसी समस्या है जो मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग के लिए सबसे अधिक सिरदर्द साबित हुआ है। देश में वंदे भारत ट्रेन चलाई जा रही है। लेकिन उसके टिकट के दाम कितने है ये किसी से छुपा नहीं। उदाहरण के लिए, वंदे भारत के जरिये छत्तीसगढ़ के रायपुर से बिलासपुर 120 किलोमीटर केसफर की कीमत 500 रूपए है। वहीं हरदेव सुपरफास्ट ट्रेन के टिकट की कीमत मात्र 80 रूपए है। दोनों एक घंटे के अंतर से यात्रियों को मंजिल तक पहुंचाती है। वंदे भारत तो अपने समय से आती जाती है लेकिन हसदेव जैसी ट्रेनों को जानबूझ कर कोयला ढोने वाली माल गाड़ी लके पीछे कई बार चला दिया जाता है।
घमंड
मोदी सरकार को ये लगने लगा था की वह कोई भी फैसला लेगी और पीएम मोदीका चेह्रदिखा देगी तो उसे वोट मिल जायेगा। आज अगर बीजेपी दोबारा सरकार बनाने में कामयाब हुई है तो सिर्फ पीएम मोदी के बदौलत लेकिन वे भी उसे अकेले के दम पर सत्ता में पहुंचाने में इस बाल सफल नहीं हो पाए। इससे ये साबित होता है की केवल एक चेहरे के भरोसे आप कुछ भी बिना किसी की चिंता करे फैसले लेंगे और कोई कुछ नहीं करेगा। नेता से लेकर पार्टी हर कोई ये भूल जाता है कि पांच साल बाद उन्हें जनता के बीच जाना होता है और उन्हीं के द्वारा चुने जाने के बाद सत्ता पर बैठना होता है। राजनितिक दल का सबसे बड़ा दुःस्वप्न।
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