GK : आखिर कैसे होती है वोट की गिनती ?
लोकसभा चुनाव 2024 के सातों चरण पर मतदान खत्म हो चुका है और 4 जून को परिणाम घोषित होने वाला है। ऐसे में आज हम बात करने वाले हैं की वोटो की गिनती किस तरीके से होती है। सबकी आंखें क्योंकि रिजल्ट पर ही टिकी हुई है।
खबरी प्रशाद दिल्ली प्रेरणा ढींगरा
जिन ईवीएम मशीन में उम्मीदवारों की किस्मत कैद है, वह 4 जून यानी आज खुलने वाली हैं। ईवीएम मशीन को कड़ी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखा हुआ है। वोटों की गिनती सुबह 8 बजे होना चालू हो जाती है। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती की जाती है और उसके बाद ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू होती है। करीब 1 घंटे बाद से रुझान आने शुरू हो जाते है। ऐसे में हर एक व्यक्ति के मन में यह सवाल हैं कि आखिर स्ट्रांग रूम का ताला कौन खोलता है? आखिर गिनती होती कैसे हैं? वोटों की गिनती करता कौन है? मतगणना कमरे के अंदर कौन-कौन होता है? वोट गिने जाने के बाद उन लाखों ईवीएम का क्या किया जाता है?
किसके सामने खुलता है स्ट्रांग रूम का ताला
सबसे पहले तो स्ट्रांग रूम का ताला उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में खोला जाता है। रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के स्पेशल ऑब्जर्वर भी उस समय मौजूद होते हैं और वही ताला खोलते हैं।
कितने बजे और कैसे शुरू होती है वोटो की गिनती?
वोटो की गिनती सुबह 8:00 शुरू हो जाती है। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होती है और उसके बाद ईवीएम के वोट गिने जाते हैं। आपको बता दे की चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 54 ए के तहत, वोटो की गिनती सबसे पहले रिटर्निंग ऑफिसर की टेबल पर शुरू होती है और डाक मतपत्रों की गिनती शुरू होने के 30 मिनट बाद ईवीएम से मतों की गिनती शुरू की जाती है। EVM के वोटों की गिनती अलग-अलग राउंड्स में होती है. हर राउंड में 14 EVM के वोट गिने जाते हैं। हर राउंड के बाद एजेंट से फॉर्म 17-C हस्ताक्षर करवाया जाता है और फिर RO को दे दिया जाता है। काउंटिंग हॉल में एक ब्लैकबोर्ड भी होता है, जिसमें हर राउंड के बाद हर प्रत्याशी को कितने वोट मिले, ये लिखा जाता है। फिर लाउडस्पीकर से घोषणा की जाती है। इसे ही रूझान कहा जाता है।
मतगणना कमरे के अंदर कौन-कौन जाता है?
चुनाव आयोग के मुताबिक मतगणना केंद्र के प्रत्येक हॉल में हर टेबल पर उम्मीदवार की तरफ से एक एजेंट मौजूद रहता है और एक हॉल में 15 से ज्यादा एजेंट मौजूद नहीं होते है। प्रत्येक उम्मीदवार अपने एजेंट खुद चुनता है, इसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारी को उनका नाम, तस्वीर और आधार कार्ड देता है। मतगणना केंद्र के अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षा कर्मी और एजेंट ही जा सकते हैं। जब तक रूम में वोटो की गिनती होती है तब तक कोई भी एजेंट रूम छोड़कर बाहर नहीं जा सकता। यहां तक कि ड्यूटी पर लोगों के आलावा कोई भी मोबाइल अंदर नहीं लेकर जाता।
ईवीएम मशीन का बाद में क्या होता है?
गिनती पूरी होने के बाद ईवीएम को दोबारा स्ट्रांग रूम में रखा जाता है। नियमों के अनुसार काउंटिंग के 45 दिनों तक ईवीएम को स्ट्रांग में रूम में ही रखना होता है, ताकि अगर कोई भी उम्मीदवार रिकाउंटिंग की बात करें तो दुबारा गिनती की जा सके। इसके बाद ईवीएम को दूसरी जगह भेजा जाता है।
कैसे चुने जाते हैं वोट काउंटिंग के लिए कर्मचारी?
एक कमरे में 15 टेबल मौजूद होती है। जिसमें से 14 टेबल काउंटिंग के लिए और एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होती है। कौन सा कर्मचारी किस टेबल के लिए काम करेगा यह एक सीक्रेट होता है। रेंडम तरीके से हर एक कर्मचारी को टेबल अलॉट किया जाता है।
हार और जीत का ऐलान कौन करता है?
कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स के नियम 63 के मुताबिक रिटर्निंग ऑफिसर रिजल्ट शीट में हर उम्मीदवार को जो वोट मिलता है वह डालता है और उसके बाद रिजल्ट की घोषणा करता है।
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