इज्जत दांव पर : भाजपा में मल्होत्रा की ,तो कांग्रेस में ” लकी ” की
जीते तो बढ़ेगा का कद गर हारे तो
खबरी प्रशाद, रितेश माहेश्वरी
चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद एग्जिट पोल भी सामने आ चुके हैं। कई एग्जिट पोल में भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन को जीता हुआ दिखाया जा रहा है तो कुछ में मुकाबला कांटे का दिखाया जा रहा है। खैर यह तो बात थी एग्जिट पोल की जीतेगा कौन और हारेगा कौन इसका पता तो 4 जून को चलेगा। पर कोई भी जीते कोई भी हारे , पर इस बार चंडीगढ़ की सीट के लिए इज्जत भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र मल्होत्रा की तो कांग्रेस अध्यक्ष लकी की भीं दांव पर लगी हुई है ।
टंडन जीते , तो 8 वोट का दाग धुलेगा और हारे तो कद घटेगा
चंडीगढ़ में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार संजय टंडन पहली बार रण क्षेत्र में उतरे हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जितेंद्र मल्होत्रा के नेतृत्व में भी पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा जा रहा है। इसके पहले मल्होत्रा के नेतृत्व में जनवरी महीने में चंडीगढ़ के मेयर का चुनाव लड़ा गया था। जिसको लेकर पूरे देश में भाजपा की किरकिरी हुई थी क्योंकि फर्जी तरीके से हथियाए गए 8 वोट को का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था , जिसमें कि उन आठ वोटो को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। जिस कारण भाजपा के मेयर मनोज सोनकर को इस्तीफा देना पड़ा था। इसके अलावा जब से मल्होत्रा ने अध्यक्ष पद की कुर्सी संभाली है तब से वह लगातार भाजपा में चल रही गुटबाजी को कम नहीं कर पाए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यह गुटबाजी खुलकर सामने आई थी जब टंडन के चुनाव प्रचार में किसी भी कद्दावर नेता ने भाग नहीं लिया और तो और तो और चंडीगढ़ में वोट मांगने के लिए ना तो नरेंद्र मोदी आए और ना ही अमित शाह। अब ऐसी विषम परिस्थिति में भी अगर संजय टंडन फतह हासिल कर लेते हैं तो संजय टंडन की तो शाख बढ़ेगी ही बढ़ेगी , कद मल्होत्रा का भी बढ़ेगा और आठ वोटो का दाग धुल जाएगा ।
पर अगर हारे तो : अगर टंडन की किस्मत का ताला नहीं खुला तो ऐसी स्थिति में मल्होत्रा की शाख भाजपा में कम होगी और विरोधी गुट को हावी होने का मौका मिल जाएगा। वैसे मतदान खत्म होने के बाद चंडीगढ़ से वर्तमान सांसद किरण खेर ने सीधे और सपाट लफ्जों में जाते-जाते भाजपा में विस्फोट कर ही दिया है कि मेरे अच्छे कामों का प्रचार नहीं किया गया ना ही मुझे पार्टी से मैसेज दिए गए।
मैडम शायद यह भूल गई कि अगर भाजपा आपके अच्छे कामों का प्रचार करती तो भाजपाई जानते थे कि संभवत जो वोट मिलने वाले भी हैं शायद वह भी ना मिलते।
मनीष तिवारी जीते तो बंसल गुट का होगा अंत और 10 साल बाद कांग्रेस की होगी वापसी , गर हारे तो ?
दूसरी तरफ कांग्रेस में भी कमोबेश भाजपा वाली ही स्थित है। कांग्रेस अध्यक्ष एच एस लकी मनीष तिवारी को लेकर कितने लकी साबित होंगे यह तो 4 जून को ही पता चलेगा। परंतु लोकसभा चुनाव में नाम घोषित होने के बाद जिस तरीके से चंडीगढ़ कांग्रेस से पवन बंसल गुट की नाराजगी सामने आई थी उसके बाद भी अगर मनीष तिवारी जीत जाते हैं तो ऐसी स्थिति में लकी का तो कद बढ़ेगा ही विरोधी गुट को भी जवाब मिल जाएगा जो लकी को चुनाव के दौरान गलत साबित ठहराने में लगे हुए थे। और जवाब उनको भी मिल जाएगा जो भंवर में फंसी नाव को छोड़कर दूसरी नाव में सवार हो गए ।
वही मनीष तिवारी की जीत या फिर हार से चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के गठबंधन का भी भविष्य तय होगा , जीतेंगे तो गठबंधन आगे चलेगा और हारे तो दोनों के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं ।
गर हारे तो : परंतु अगर ऐसा नहीं हुआ तो एक बार फिर बंसल गुट हावी होगा और यह माना जाएगा कि चंडीगढ़ में पवन बंसल के बिना कांग्रेस की गाड़ी नहीं चलने वाली। ऐसी स्थिति में लकी की शाख कांग्रेस में कम हो सकती है।
महाभारत के इस रण में जीतना तो एक को ही है , तो इज्जत किसी न किसी एक की बढ़ेगी और किसी ने किसी एक कि घटेगी। अब किसकी बढ़ेगी और किसकी घटेगी इन सबके लिए आपके साथ हमें भी करना पड़ेगा खबर छपने के बाद 36 घंटे का इंतजार ।
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