चंडीगढ़ में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन के पहले बदलने लगे समीकरण
कई संस्थानों से समर्थन मिलने के बाद निर्दलीय प्रत्याशी प्रताप राणा का पलड़ा भारी
ताजा समीकरणों के अनुसार आगामी चंडीगढ़ लोकसभा चुनाव में आजाद प्रत्याशी समाजसेवी प्रताप सिंह राणा दोनों राष्ट्रीय दलों ( कांग्रेस और भाजपा ) को टक्कर देते नजर आ रहे हैं। हाल ही में पिछले दिनों ट्राई सिटी टैक्सी यूनियन तथा श्री करणी सेना के राष्ट्रीयाध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना के समर्थन के बाद चंडीगढ़ चुनाव के समीकरण बदल गए हैं।
इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि वह सरकारी सेवा के दौरान दबंग कर्मचारी नेता रहे है। पहले हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष तथा सेवानिवृत्ति से पहले अखिल भारतीय सरकारी/अर्ध सरकारी चालक परिसंघ के राष्ट्रीयाध्यक्ष रहे हैं, इसी कारण चंडीगढ़ के जितने भी सरकारी कर्मचारी संगठन जो पहले भाजपा या कांग्रेस की तरफ बटे हुए थे अब पूर्व कर्मचारी नेता होने के चलते चंडीगढ़ के सभी कर्मचारी संगठनो के समर्थन का लाभ उन्हें मिल सकता है।
दूसरा बड़ा कारण यह है कि वह जमीन से जुड़े हुए आंदोलनकारी नेता है। जीरकपुर नगर परिषद में अपनी पार्षद पत्नी के वार्ड के साथ लगते चंडीगढ़ के रायपुर कलां रेलवे अंडरपास को बनवाने के लिए पांच बार आमरण अनशन रख चुके हैं, जिस कारण मौली जागरण, विकास नगर तथा रायपुर कला में काफी विख्यात है और इन्हीं कॉलोनियों के मतदाताओं का चंडीगढ़ के चारों तरफ बसी कॉलोनियों में रहते मतदाताओं से सीधा संपर्क है, जिनका चंडीगढ़ में काफी बड़ा जनाधार है।
अपने सेवाकाल में राज्यपाल, मुख्यमंत्री तथा कई उच्च पदस्थ IAS, IPS अधिकारियों के साथ कार्य करने के कारण उनकी प्रशासनिक पकड़ भी काफी मजबूत है।
चंडीगढ़ से कांग्रेस प्रत्याशी मनीष तिवारी लगातार अपना लोकसभा क्षेत्र बदलते रहे हैं इस कारण चंडीगढ़ की जनता विश्वास नहीं कर पा रही। तो वही चंडीगढ़ में हुए ताजा मेयर चुनाव के कारण भारतीय जनता पार्टी की जो छवि चंडीगढ़ के लोगों के बीच में बनी है वह कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए चिंता का कारण है। भाजपा के प्रत्याशी संजय टंडन के चुनाव प्रचार में बड़े-बड़े स्टार प्रचारक आकर उनकी मदद कर रहे हैं लेकिन 10 साल की एंटीकैमेंसी के कारण भाजपा का वोट बैंक खीसका है।
आखरी और सबसे बड़ी बात यह है कि आजाद उम्मीदवार प्रताप सिंह राणा ने अपना चुनावी घोषणा पत्र नहीं बल्कि संकल्प पत्र बनाया है, जो उन्होंने पहले ही 4 फरवरी को जारी कर दिया था। इसी कारणवश चंडीगढ़ प्रशासन चुनाव आचार संहिता लगने से पहले दशकों पुरानी उन समस्याओं पर कार्य करना शुरू कर दिया था, लेकिन सबसे प्रभावी तथा महत्वपूर्ण संकल्प चंडीगढ़ को संपूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का संकल्प जो उन्होंने लिया है वह सीधे-सीधे चंडीगढ़ के स्थानीय लोगों को प्रभावित कर रहा है।
यही वह सब समीकरण है जो कही ना कही यह इशारा कर रहे हैं कि इस बार स्वच्छ, ईमानदार छवि के आजाद प्रत्याशी प्रताप सिंह राणा चंडीगढ़ के अगले सांसद हों सकते हैं।
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