विवादित बयान दें स्टार प्रचारक, जवाब दें नड्डा और खड़गे
चुनाव आयोग ने स्टार प्रचारकों को क्यों नहीं दिया नोटिस?
जुर्म कोई करें, सजा कोई भुगते, यह कहावत पूरी तरह से फिट बैठती है चुनाव आयोग के नए नोटिस पर। चुनाव आयोग ने एक बार फिर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को उनके स्टार प्रचारकों के विवादित बयानों को लेकर नोटिस जारी किया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को जारी नोटिस में कहा गया है कि अपने नेताओं से कहें कि सेना और संविधान पर बयानबाजी ना करें। वहीं भाजपा के स्टार प्रचारकों के लिए चुनाव आयोग ने कहा कि धर्म और संप्रदाय पर बयान न दें।
आपको बता दें कि लगातार कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी सेना की अग्निवीर योजना और संविधान को लेकर मोदी सरकार को घेर रहे हैं, तो वहीं भाजपा की तरफ से खुद प्रधानमंत्री मोदी, योगी आदित्यनाथ, या अन्य बड़े-बड़े स्टार प्रचारक हिंदू-मुस्लिम, राम मंदिर को लेकर लगातार सभा में बयान दे रहे हैं। इसको लेकर दोनों तरफ (भाजपा से भी और कांग्रेस से भी) से चुनाव आयोग को शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। उन्हीं शिकायतों के आधार पर चुनाव आयोग ने कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा को नोटिस जारी किया है।
दरअसल, दोनों अध्यक्षों को नोटिस जारी करने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि भाजपा के स्टार प्रचारकों में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हैं, तो चुनाव आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटिस जारी नहीं कर सकता, जिसकी वजह से उन्हें अध्यक्ष को नोटिस जारी करना पड़ा है। जबकि इसके पहले इसी लोकसभा चुनाव में हरियाणा में जब रणदीप सुरजेवाला ने एक जनसभा में हेमा मालिनी को लेकर विवादित बयान दिया था, तब रणदीप सुरजेवाला को नोटिस दिया गया था, न कि मल्लिकार्जुन खड़गे को। और तो और, न सिर्फ नोटिस दिया गया था, बल्कि चुनाव आयोग ने रणदीप सुरजेवाला पर कुछ समय के लिए प्रचार करने पर प्रतिबंध भी लगाया था।
तो चुनाव आयोग का दोहरा रवैया क्यों?
जब रणदीप सुरजेवाला के मामले में नोटिस सुरजेवाला को मिल सकता है, तो भाजपा के स्टार प्रचारकों के मामले में नोटिस जेपी नड्डा को क्यों? यह सवाल आज लगातार सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। यह नोटिस भी कुछ इस तरह से है जैसे 2 दिन पहले पुणे में एक अमीरजादे ने 2 करोड़ रुपए की गाड़ी से दो मासूम लोगों की जान ले ली, पर कोर्ट की तरफ से उसे सजा सिर्फ निबंध लिखने की दी गई। आज राहुल गांधी ने पंचकूला में इसी पुणे के केस को लेकर संविधान सम्मान सम्मेलन में सवाल खड़े किए। उन्होंने पूछा कि जब पुणे एक्सीडेंट में अमीरजादे को निबंध लिखने की सजा मिलती है, तो अगर एक ट्रक चालक किसी व्यक्ति की जान लेता है, तो उसे भी निबंध लिखने की सजा मिलनी चाहिए। तो नोटिस के मामले में भी चुनाव आयोग कुछ ऐसा ही कर रहा है।
नोटिस को लेकर चुनाव आयोग ने भाजपा और कांग्रेस से क्या कहा है?
भाजपा और कांग्रेस दोनों को जो नोटिस जारी हुए हैं, उनमें चुनाव आयोग ने भाजपा से उन प्रचार भाषणों को रोकने के लिए कहा है जिससे समाज में बंटवारा हो सकता है।
वहीं कांग्रेस को दिए गए नोटिस में चुनाव आयोग ने सख्त लहजे में कहा है कि संविधान को लेकर गलत बयानबाजी बिल्कुल न करें। इसके साथ ही अग्निवीर योजना पर भी चुनाव आयोग ने कांग्रेस से कहा है कि वह सेना का राजनीतिकरण बिल्कुल न करें।
किन-किन बयानों को लेकर हुई थी शिकायत और किसने की थी शिकायत?
22 मई को राहुल गांधी ने हरियाणा के महेंद्रगढ़ की एक चुनावी रैली में कहा था कि मोदी सरकार ने हिंदुस्तान के जवानों को मजदूर में बदल दिया है। अब दो तरह के शहीद होंगे, एक सामान्य जवान और एक अफसर। एक के परिवार को पेंशन मिलेगी और एक परिवार को शहीद का दर्जा मिलेगा। वहीं अग्निवीर जो गरीब घर का बेटा होगा, जिस योजना को सेना चाहती ही नहीं है।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 मई को बाराबंकी की सभा में कहा था कि अगर इंडिया गठबंधन की सरकार आई तो यह रामलीला को टेंट में भेज देंगे और राम मंदिर में बुलडोजर चलवा देंगे। इनको योगी जी से ट्यूशन लेनी चाहिए कि बुलडोजर कहां चलना है और कहां नहीं।
हालांकि, यह दोनों बयान सिर्फ एक उदाहरण हैं। लगभग हर सभा में भाजपा और कांग्रेस के स्टार प्रचारक अपनी-अपनी पार्टी की नीतियों के हिसाब से विवादित बयान दे रहे हैं। चुनाव आयोग का मानना है कि चुनाव में राजनीतिक दल को चुनाव जीतने के लिए सर्वश्रेष्ठ के तौर पर अपने आप को प्रस्तुत करना होता है। परंतु, सर्वश्रेष्ठ बताने के चक्कर में कोई गलत बयानबाजी करके चुनाव जीतना भी कहीं न कहीं गलत है।
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!